रविवार सुबह ISRO को एक बड़ा झटका लगा जब पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-09 को ले जा रहे PSLV-C61 रॉकेट का मिशन सफल नहीं हो सका। रॉकेट के तीसरे चरण में तकनीकी गड़बड़ी के कारण मिशन अधूरा रह गया।
यह उपग्रह पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) रॉकेट पर सवार होकर शनिवार रात 8:29 बजे EDT (भारतीय समय अनुसार रविवार सुबह 5:59 बजे) सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। हालाँकि शुरुआती चरण सफल रहे, लेकिन प्रक्षेपण के करीब छह मिनट बाद, रॉकेट के तीसरे चरण में तकनीकी गड़बड़ी आ गई, जिससे उपग्रह EOS-09 खो गया।
इसरो प्रमुख एस. नारायणन ने जानकारी देते हुए कहा, “EOS-09 मिशन पूरा नहीं हो सका। PSLV एक भरोसेमंद चार-चरणीय रॉकेट है और इसके पहले दो चरण सामान्य तरीके से काम कर रहे थे। तीसरे चरण की मोटर भी चालू हुई, लेकिन संचालन के दौरान हमने कुछ असामान्य गतिविधियां देखीं, जिसके चलते मिशन पूरा नहीं किया जा सका।” नारायणन ने कहा, “विश्लेषण के बाद हम वापस आएंगे।“
यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा से इसरो का 101वां मिशन था। इसरो ने बताया कि तकनीकी टीम गड़बड़ी की गहराई से जांच कर रही है और जल्द ही पूरी रिपोर्ट पेश की जाएगी।
EOS-09 के बारे में
EOS-09 एक पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth observation satellite) है, जिसे भारत की निगरानी और इमेजिंग क्षमताओं को बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है , विशेष रूप से सभी मौसम और दिन-रात की परिस्थितियों में। EOS-09 का उद्देश्य देश के विभिन्न परिचालन क्षेत्रों के लिए सुदूर संवेदन (remote sensing) डेटा प्रदान करना है — जिससे अवलोकन की आवृत्ति और डेटा की विश्वसनीयता बेहतर हो सके। यह C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) तकनीक से लैस है। इस तकनीक की मदद से EOS-09 दिन और रात, किसी भी मौसम में काम कर सकता है — चाहे बादल हों या बारिश। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें खींचने में सक्षम है।
EOS-09 के संभावित उपयोग
इस उपग्रह से प्राप्त डेटा का उपयोग कई अहम क्षेत्रों में किया जा सकता है, जैसे:
- कृषि निगरानी (फसल की स्थिति, मिट्टी की नमी आदि)
- आपदा प्रबंधन (बाढ़, भूस्खलन जैसी स्थितियों में तुरंत प्रतिक्रिया)
- वन और पर्यावरण संरक्षण
- सुरक्षा एवं सीमाई निगरानी
- शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे की निगरानी
मिशन की योजना क्या थी?
इस मिशन के तहत योजना यह थी कि:
- PSLV रॉकेट के ज़रिए EOS-09 उपग्रह को कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
- इसके बाद रॉकेट के चौथे चरण (PS4) की ऊँचाई कम करने के लिए ऑर्बिट चेंज थ्रस्टर्स (OCT) का इस्तेमाल किया जाएगा।
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अंतिम चरण में इसे निष्क्रिय कर दिया जाएगा ताकि इसका कक्षीय जीवन (orbital life) सीमित रहे और यह जिम्मेदार अंतरिक्ष संचालन को सुनिश्चित कर सके।
EOS-09 को विशेष रूप से ऐसे डिजाइन किया गया था कि यह लगातार और भरोसेमंद रिमोट सेंसिंग डेटा प्रदान करे, जिससे कृषि, पर्यावरण निगरानी, आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों को फायदा पहुंचे।
🚀 ISRO के सफल मिशन:
ISRO, ने अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अद्भुत उपलब्धियाँ हासिल की हैं। छोटे बजट और सीमित संसाधनों के बावजूद, ISRO ने अपनी लगन, मेहनत और नवीनता से विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। हम यहां ISRO के कुछ खास और शानदार सफल मिशनों के बारे में बात करेंगे, जिनकी वजह से भारत दुनिया के अंतरिक्ष में एक बड़ी पहचान बना चुका है।
क्रम | मिशन का नाम | वर्ष | खास उपलब्धि / विवरण |
---|---|---|---|
1 | आर्यभट्ट | 1975 | भारत का पहला उपग्रह, जिसने भारत को अंतरिक्ष क्लब में शामिल किया। |
2 | SLV-3 (पहला सफल प्रक्षेपण) | 1980 | भारत का पहला सफल स्वदेशी रॉकेट प्रक्षेपण। |
3 | INSAT सीरीज | 1983-तक | दूरसंचार, टीवी और मौसम विज्ञान के लिए भारत के लिए महत्वपूर्ण उपग्रह। |
4 | IRS-1A | 1988 | पहला भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह, जो पृथ्वी की निगरानी करता है। |
5 | PSLV-C37 (104 सैटेलाइट्स) | 2017 | एक ही प्रक्षेपण में 104 सैटेलाइट्स भेजकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। |
6 | चंद्रयान-1 | 2008 | भारत का पहला चंद्र मिशन, जिसने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया। |
7 | मंगलयान (Mangalyaan) | 2013 | भारत का पहला मंगल मिशन, दुनिया का सबसे सस्ता मंगल अभियान और सफलता। |
8 | चंद्रयान-2 ऑर्बिटर | 2019 | चंद्रमा की परिक्रमा करता उपग्रह, अभी भी सक्रिय और डेटा भेज रहा है। |
9 | Gaganyaan (आगामी) | 2024-25 (तैयार) | भारत का मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन, जो जल्द ही लॉन्च होगा। |
🚀 ISRO के अन्य असफल / आंशिक रूप से असफल मिशन
ISRO) ने पिछले कई दशकों में अनेक सफल मिशन किए हैं, लेकिन कुछ मिशन ऐसे भी रहे हैं जो आंशिक या पूरी तरह असफल रहे।
क्रम | मिशन का नाम | वर्ष | क्या हुआ? (संक्षिप्त विवरण) |
---|---|---|---|
1 | रोहिणी-1 (RS-1) | 1979 | पहला सैटेलाइट लॉन्च विफल रहा, रॉकेट में गड़बड़ी के कारण कक्षा में नहीं पहुँच सका। |
2 | INSAT-1A | 1982 | लॉन्च के कुछ समय बाद बिजली से जुड़ी तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गया। |
3 | INSAT-1C | 1988 | लॉन्च के बाद कुछ महीनों में इसकी संचार प्रणाली फेल हो गई। |
4 | IRS-1D | 1997 | रॉकेट ने सैटेलाइट को गलत कक्षा में पहुंचा दिया; आंशिक रूप से उपयोग किया गया। |
5 | GSAT-6A | 2018 | लॉन्च सफल रहा, लेकिन कुछ दिन बाद सैटेलाइट से संपर्क टूट गया। |
6 | चंद्रयान-2 | 2019 | ऑर्बिटर सफल, लेकिन लैंडर “विक्रम” चंद्रमा पर उतरते समय क्रैश हो गया। |
7 | EOS-03 (GISAT-1) | 2021 | GSLV रॉकेट के क्रायोजेनिक चरण में खराबी आई, जिससे मिशन फेल हो गया। |
8 | EOS-09 (PSLV-C61) | 2025 | PSLV के तीसरे चरण में विसंगति आई, उपग्रह खो गया। |
📌 आगे क्या?
ISRO की टीम EOS-09 मिशन की पूर्ण जांच और विश्लेषण करेगी ताकि गड़बड़ी के कारणों को समझा जा सके। इसरो प्रमुख ने संकेत दिया कि संगठन जल्द ही फिर से लौटेगा, बेहतर तैयारी के साथ।
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