मिडिल ईस्ट में ईरान-इजरायल संघर्ष: कौन है ज्यादा ताकतवर और भारत पर क्या पड़ेगा असर?

मिडिल ईस्ट का इलाका एक बार फिर से तनाव और युद्ध की कगार पर खड़ा है। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने न सिर्फ इस क्षेत्र को, बल्कि पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। जनसंख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से ईरान काफी बड़ा देश है, जबकि इजरायल छोटा लेकिन तकनीकी और सैन्य रूप से अत्याधुनिक है। ईरान-इजरायल संघर्ष मध्य पूर्व की राजनीति का सबसे जटिल अध्याय है।

हाल ही में इजरायल ने तेहरान और आसपास के इलाकों में हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने तेल अवीव और यरुशलम को निशाना बनाया। इस टकराव ने वैश्विक राजनीति को झकझोर दिया है। आइए समझते हैं कि इस संघर्ष की जड़ें क्या हैं, दोनों देशों की सैन्य ताकत क्या कहती है, और भारत जैसे देशों पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।

ईरान और इजरायल का ऐतिहासिक टकराव:

ईरान-इजरायल संघर्ष iran israel conflict

ईरान और इजरायल के बीच दुश्मनी कोई नई बात नहीं है। 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद जब अयातुल्ला खुमैनी सत्ता में आए, तब से ही ईरान ने इजरायल को एक ‘नाजायज राष्ट्र’ माना है। ईरान का दावा है कि इजरायल ने फिलिस्तीनियों की जमीन पर कब्जा किया है, वहीं इजरायल का कहना है कि वह अपने अस्तित्व की रक्षा कर रहा है।

ईरान हिजबुल्ला (लेबनान) और हमास (गाजा) जैसे संगठनों को समर्थन देता है, जो कि इजरायल के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में शामिल हैं। वहीं इजरायल ने समय-समय पर ईरान के परमाणु कार्यक्रमों पर हमले किए हैं। दोनों देशों के बीच यह संघर्ष कूटनीति, सैन्य टकराव और प्रॉक्सी वॉर तक फैला हुआ है।

सैन्य ताकत की तुलना:

1. जनसंख्या और क्षेत्रफल:

  • ईरान: क्षेत्रफल 16,48,000 वर्ग किमी | जनसंख्या: 8.8 करोड़
  • इजरायल: क्षेत्रफल 22,000 वर्ग किमी | जनसंख्या: 90 लाख

जनसंख्या और क्षेत्रफल में ईरान स्पष्ट रूप से आगे है।

2. सेना की संख्या:

  • ईरान:
    • 6 लाख सक्रिय सैनिक
    • 2 लाख रिवोल्यूशनरी गार्ड
    • बड़ी साइबर और प्रॉक्सी फोर्स
  • इजरायल:
    • 1.7 लाख सक्रिय सैनिक
    • 4 लाख रिजर्व सैनिक

3. हथियार और तकनीक:

  • ईरान:
    • पुराने अमेरिकी और रूसी हथियार
    • शाहद ड्रोन (रूस ने यूक्रेन में उपयोग किया)
    • S-300 मिसाइल सिस्टम
    • खुद की बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम
  • इजरायल:
    • अत्याधुनिक टैंक (Merkava)
    • Iron Dome, Arrow और David’s Sling जैसे मिसाइल डिफेंस सिस्टम
    • दुनिया की सबसे घातक एयर फोर्स में से एक
    • स्पेस, साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित हथियार प्रणाली

4. परमाणु क्षमता:

  • ईरान:
    • परमाणु बम बनाने की प्रक्रिया में तेजी
    • इजरायल के हमलों से परमाणु ठिकानों को नुकसान
  • इजरायल:
    • माना जाता है कि इसके पास 80-90 परमाणु हथियार हैं
    • कभी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई

सैन्य दृष्टिकोण से देखा जाए तो जनसंख्या, भौगोलिक विस्तार और प्रॉक्सी नेटवर्क जैसे पहलुओं में ईरान को बढ़त प्राप्त है। लेकिन तकनीकी श्रेष्ठता, आधुनिक हथियार प्रणाली, वायु शक्ति, साइबर क्षमता और अमेरिका जैसे शक्तिशाली सहयोगी के कारण इज़रायल रणनीतिक रूप से कहीं अधिक मजबूत नजर आता है। यदि कभी यह संघर्ष पूर्ण युद्ध में बदलता है, तो इज़रायल की तेज, सटीक और तकनीक-आधारित रणनीति उसे निर्णायक बढ़त दिला सकती है, जबकि ईरान लंबे समय तक क्षेत्रीय अस्थिरता और प्रॉक्सी वॉर से दबाव बनाए रखने की कोशिश करेगा।

अमेरिका का समर्थन:

ईरान-इजरायल संघर्ष में इजरायल की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका का अडिग समर्थन है। अमेरिका ने हमेशा इजरायल की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। हाल ही में अमेरिका ने अरब सागर में 60 लड़ाकू विमानों और हजारों सैनिकों को तैनात किया है। यदि ईरान हमला करता है, तो अमेरिका सैन्य रूप से इजरायल के साथ खड़ा हो सकता है।

ईरान की चुनौतियां:

ईरान-इजरायल संघर्ष में इजरायल के ड्रोन और साइबर हमलों से ईरान को भारी नुकसान हुआ है। जनरल होसैन सलामी और मोहम्मद बाघेरी जैसे शीर्ष कमांडरों की मौत और पुराने सैन्य उपकरणों की विफलता ने ईरान की स्थिति को और कमजोर कर दिया है।

ईरान के आर्मी चीफ मोहम्मद बाघेरी जनरल होसैन सलामी

इजरायल की मजबूती:

  1. टेक्नोलॉजी में बढ़त- ईरान-इजरायल संघर्ष में टेक्नोलॉजी एक निर्णायक भूमिका निभा रही है। इजरायल ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर डिफेंस, और उन्नत ड्रोन टेक्नोलॉजी में बड़ी सफलता हासिल की है, जिससे वह ईरान समर्थित संगठनों के खतरे को पहले से पहचान कर जवाब देने में सक्षम हो गया है।
  2. एयर डिफेंस सिस्टम जैसे आयरन डोम- ईरान-इजरायल संघर्ष के दौरान जब भी हमास या हिजबुल्ला रॉकेट हमले करते हैं, इजरायल का ‘आयरन डोम’ सिस्टम रक्षात्मक दीवार बन जाता है। यह प्रणाली सैकड़ों मिसाइलों को हवा में ही इंटरसेप्ट कर नष्ट कर देती है, जिससे नागरिक हताहतों की संख्या बेहद कम होती है।
  3. अमेरिका का समर्थन- ईरान-इजरायल संघर्ष में अमेरिका इजरायल का सबसे बड़ा सहयोगी है। अमेरिकी फंडिंग से इजरायल को आधुनिक हथियार, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और खुफिया तकनीक मिलती है। साथ ही, संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर अमेरिका हमेशा इजरायल का कूटनीतिक समर्थन करता है।
  4. युद्ध का लंबा अनुभव (गाजा, लेबनान, सीरिया)- गाजा, लेबनान और सीरिया जैसे क्षेत्रों में इजरायल ने कई दशकों तक सैन्य अभियानों का अनुभव प्राप्त किया है। यही अनुभव ईरान-इजरायल संघर्ष में उसकी रणनीतियों को अधिक परिष्कृत और प्रभावी बनाता है। इजरायल की स्पेशल फोर्स और एयर स्ट्राइक की क्षमता वैश्विक स्तर पर मानी जाती है।

भारत पर असर:

भारत के लिए यह संघर्ष आर्थिक, कूटनीतिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है:

  1. तेल की कीमतें:
    • ईरान मिडिल ईस्ट का एक प्रमुख तेल उत्पादक देश है। युद्ध की स्थिति में तेल सप्लाई बाधित हो सकती है, जिससे भारत को महंगे तेल का सामना करना पड़ सकता है।
  2. अनाज और व्यापार:
    • भारत-ईरान और भारत-इजरायल दोनों से व्यापार करता है। व्यापार मार्ग बंद होने से नुकसान संभव है।
  3. भारतीय डायस्पोरा:
    • मिडिल ईस्ट में रहने वाले लाखों भारतीयों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
  4. कूटनीतिक संतुलन:
    • भारत को दोनों देशों से संबंध बनाए रखने की चुनौती होगी। एक ओर अमेरिका और इजरायल से रणनीतिक साझेदारी है, दूसरी ओर ईरान से ऐतिहासिक संबंध और चाबहार पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स हैं।
  5. सुरक्षा पर असर:
    • यदि मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ता है, तो आतंकी संगठन इसका फायदा उठा सकते हैं, जिसका असर दक्षिण एशिया पर भी पड़ सकता है।

भविष्य की आशंका: युद्ध या समाधान?

इजरायल और ईरान की सीमाएं आमने-सामने नहीं हैं, इसलिए बड़े पैमाने पर जमीनी युद्ध की संभावना कम है। लेकिन एयरस्ट्राइक, साइबर अटैक, ड्रोन युद्ध और प्रॉक्सी वॉर की संभावना अधिक है। अगर युद्ध लंबा खिंचा तो इसमें अमेरिका, रूस, चीन और यूरोप जैसे बड़े देश भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकते हैं।

निष्कर्ष:

ईरान-इजरायल संघर्ष सिर्फ दो देशों का युद्ध नहीं, बल्कि यह मिडिल ईस्ट और वैश्विक स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा है। जहां ईरान संख्या में बड़ा है, वहीं इजरायल तकनीकी और रणनीतिक रूप से ताकतवर है। अमेरिका का साथ और अत्याधुनिक हथियार इजरायल को बढ़त देते हैं। भारत के लिए यह संघर्ष एक चुनौती और अवसर दोनों हो सकता है।

दुनिया को चाहिए कि वह इस संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश करे। युद्ध से किसी का भला नहीं होता, और इसका असर दुनिया की हर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। भारत को अपने हितों की रक्षा करते हुए, संतुलन बनाकर कूटनीति का परिचय देना होगा।

ऐसे और भी एक्सप्लेनर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।

Flightradar24 Viral: इजरायली हमले के बाद ईरान-इराक ने एयरस्पेस किया बंद, आसमान से अचानक गायब हुईं फ्लाइट्स

Ahmedabad Plane Crash हादसा: क्या हाई-टेक भी फेल हो सकता है? जानिए इस स्मार्ट विमान की खूबियां

जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: 27 जून से 5 जुलाई तक नौ दिवसीय भव्य आयोजन

Leave a Comment