iPhone 16 Pro for Delhi MLAs: दिल्ली विधानसभा में इस हफ्ते कुछ ऐसा हुआ जिसने देशभर की नजरें खींच लीं। राजधानी के सभी 70 विधायकों, जिनमें विपक्ष के सदस्य भी शामिल हैं, को एक नया iPhone 16 Pro दिया गया है। इसके साथ ही iPads और Tablets भी सौंपे गए हैं। यह पहल विधानसभा के कामकाज को पूरी तरह से डिजिटल बनाने और कागज रहित व्यवस्था लागू करने की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है।
यह सब दिल्ली विधानसभा में National e-Vidhan Application (NeVA) के तहत किया गया है। यह पहल केंद्र सरकार की “One Nation, One Application” योजना के अंतर्गत आती है। इसकी शुरुआत सोमवार को हुई जब मानसून सत्र के पहले दिन सभी विधायक अपने-अपने नए स्मार्टफोनों और टैबलेट्स के साथ विधानसभा पहुंचे।
NeVA क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?
National e-Vidhan Application (NeVA) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका मकसद देश की सभी विधानसभाओं को एकीकृत करना और उन्हें कागज रहित बनाना है। इसका लक्ष्य है कि विधायकों को सभी दस्तावेज़, विधेयक, प्रस्ताव, नोट्स आदि रियल टाइम में डिजिटल रूप में उपलब्ध हों, जिससे कामकाज में पारदर्शिता और तेजी लाई जा सके।
इस एप्लिकेशन के जरिये विधानसभा की कार्यवाही को डिजिटल डिवाइसेज़ जैसे कि iPhone, iPad, टैबलेट्स, और स्मार्ट डेलिगेट यूनिट्स के जरिए संचालित किया जाएगा। इसमें मल्टी-लैंग्वेज सपोर्ट, HD कैमरे, रियल टाइम डॉक्युमेंट एक्सेस, वोटिंग पैनल, और सिक्योर नेटवर्किंग जैसी आधुनिक सुविधाएं शामिल हैं।
विधायकों के लिए ट्रेनिंग भी हुई
डिजिटल परिवर्तन को सफल बनाने के लिए बीते महीने सभी विधायकों को इस नए सिस्टम की प्रशिक्षण कार्यशाला दी गई थी। इसमें उन्हें बताया गया कि किस तरह से वे अपने iPhone, iPad और टैबलेट के माध्यम से विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेंगे, वोटिंग करेंगे, और ज़रूरी दस्तावेज़ पढ़ेंगे।
ट्रेनिंग में RFID/NFC आधारित उपस्थिति प्रणाली, डिजिटल वोटिंग और इलेक्ट्रॉनिक नोट्स तक पहुंच जैसे फीचर्स पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके साथ-साथ ऑटोमेटेड ऑडियो-विजुअल सिस्टम भी लगाया गया है जिससे कार्यवाही की गुणवत्ता और पारदर्शिता दोनों में सुधार होगा।
आईफोन 16 प्रो पर राजनीतिक हलचल | iPhone 16 Pro for Delhi MLAs
जहां एक ओर इस कदम की तारीफ हो रही है, वहीं दूसरी ओर iPhone 16 Pro जैसे महंगे फोन के वितरण ने राजनीतिक बहस भी छेड़ दी है। बीते महीने दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए मोबाइल फोन खरीद की सीमा को बढ़ा दिया था।
अब मुख्यमंत्री के लिए ₹1.5 लाख और मंत्रियों के लिए ₹1.25 लाख तक के मोबाइल फोन की खरीद को मंजूरी दी गई है, जो पहले केवल ₹50,000 थी। यह आदेश 9 जुलाई को जारी हुआ था और इसके तुरंत बाद सत्तारूढ़ बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई।
विपक्ष का कहना है कि जनता के टैक्स के पैसे से इतने महंगे फोन लेना उचित नहीं है, वहीं सरकार का तर्क है कि यह तकनीकी सशक्तिकरण और पारदर्शिता के लिए जरूरी है।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की प्रतिक्रिया
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस पहल को एक “Institutional Turning Point” बताया। उन्होंने कहा कि जब देशभर में डिजिटल इंडिया की बात हो रही है, तब विधानसभा में भी तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देना ज़रूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि NeVA और अन्य डिजिटल उपकरणों से न केवल कार्यवाही तेज होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह बड़ा कदम होगा।
भारत की पहली सोलर-पावर्ड विधानसभा
डिजिटल पहल के साथ-साथ एक और बड़ी उपलब्धि यह रही कि दिल्ली विधानसभा अब पूरी तरह से सोलर एनर्जी पर चलेगी। रविवार को 500 किलोवॉट की रूफटॉप सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन किया गया। इससे यह भारत की पहली ऐसी विधानसभा बन गई है जो पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस अवसर पर कहा कि दिल्ली ने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली में अब तीन नए आपराधिक कानूनों को पूरी तरह लागू किया जा चुका है।
क्या कहती है जनता और विशेषज्ञ?
जनता के बीच इस खबर को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोग इस फैसले को डिजिटल क्रांति की दिशा में बड़ा कदम मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि आम लोगों की ज़रूरतों पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी है।
प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह के उपकरणों का उपयोग सही तरीके से हो, तो इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि नीति निर्माण की प्रक्रिया भी सरल और तेज हो जाएगी।
क्या यह सही दिशा में कदम है?
इस सवाल का जवाब काफी हद तक इस पर निर्भर करता है कि विधायकों द्वारा इन डिवाइसेज़ का वास्तव में कितना और कैसे उपयोग किया जाता है। अगर ये उपकरण सिर्फ दिखावे के लिए इस्तेमाल हों और विधानसभा की कार्यवाही में कोई बड़ा सुधार न हो, तो यह जनता के पैसों की बर्बादी ही कहलाएगी।
लेकिन अगर इनका सही ढंग से प्रयोग किया जाए, तो न सिर्फ कार्यवाही पारदर्शी बनेगी, बल्कि जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही भी बढ़ेगी। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण और कागज की बचत जैसे सकारात्मक परिणाम भी सामने आएंगे।
डिजिटल इंडिया की राजधानी
दिल्ली विधानसभा का यह कदम दर्शाता है कि राजधानी केवल नाम की नहीं, बल्कि डिजिटल इंडिया की दिशा में असली राजधानी बनने की ओर भी अग्रसर है। iPhone 16 Pro, iPads, Tablets, NeVA, और सोलर एनर्जी—ये सभी मिलकर एक ऐसे भविष्य की ओर इशारा करते हैं जहां तकनीक, पारदर्शिता, और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चलें।
हालांकि इस पूरे मामले पर राजनीतिक बहस जारी है, लेकिन इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि तकनीक के सही इस्तेमाल से लोकतंत्र को और अधिक मज़बूत बनाया जा सकता है।
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