अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 पर भारत ने दिया विश्व शांति का मंत्र: “योग से जुड़े, धरती से जुड़ें”

21 जून 2025 को भारत समेत पूरी दुनिया में 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस वर्ष का थीम है: “योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ”, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 मार्च को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में घोषित किया था। इस थीम के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि मानव स्वास्थ्य न केवल उसके शरीर पर, बल्कि पर्यावरण, पशु-पक्षी और पौधों के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है। योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक जीवनशैली है, जो शांति, संतुलन और समरसता की भावना को जागृत करता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान और विश्व संदेश

इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में आयोजित भव्य योग कार्यक्रम में भाग लिया, जहाँ हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए थे। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि योग आज न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि यह विश्व में शांति और स्वास्थ्य का आधार बन चुका है। उन्होंने कहा, “यह थीम — ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ — एक गहरी सच्चाई को दर्शाता है। पृथ्वी की हर इकाई का स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। योग हमें इस परस्पर जुड़ाव की याद दिलाता है और प्रकृति के साथ एकता की भावना को पोषित करता है।”

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, मानसिक तनाव, महामारी और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से जूझ रही है, तब योग आत्म-चिंतन, शरीर-मन संतुलन और विश्व समुदाय के बीच सामंजस्य स्थापित करने का मार्ग है।

1300 शहरों में योग: भारत का वैश्विक नेतृत्व

भारत सरकार ने इस वर्ष योग दिवस के अवसर पर 1,300 शहरों में विशेष योग कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इन आयोजनों में न केवल स्थानीय नागरिक बल्कि विदेशी पर्यटक, राजनयिक, विद्यार्थियों और विभिन्न धर्मों-संप्रदायों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये सभी कार्यक्रम भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ — अर्थात बिना किसी हिंसा या प्रतिस्पर्धा के, अपनी संस्कृति और ज्ञान के माध्यम से विश्व में प्रभाव पैदा करने की क्षमता — का सशक्त प्रदर्शन थे।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025
      अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 (Photo Credit: X handle of Narendra Modi)

भारत ने यह प्रमाणित किया कि योग एक सार्वभौमिक मूल्य है, न कि केवल किसी धर्म या देश का हिस्सा। इसीलिए 191 देशों में भी इस दिन विशेष आयोजन किए गए, जो कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2014 में योग दिवस को मान्यता दिए जाने के बाद से लगातार हो रहा है।

गुजरात ने बनाया विश्व रिकॉर्ड — वडनगर बना ऐतिहासिक स्थल

गुजरात ने इस बार योग दिवस के मौके पर एक अद्वितीय उपलब्धि हासिल की। वडनगर में 2121 प्रतिभागियों ने एक साथ ‘भुजंगासन’ (Cobra Pose) किया और इस प्रयास को गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया। गिनीज के आधिकारिक निर्णायक रिचर्ड स्टनिंग ने कार्यक्रम की पुष्टि करते हुए बताया कि सभी प्रतिभागियों को कम से कम एक मिनट तक यह आसन करना था, लेकिन उन्होंने इसे दो मिनट नौ सेकंड तक किया।

इस आयोजन को गुजरात स्टेट योग बोर्ड ने खेल, युवा एवं संस्कृति विभाग के साथ मिलकर आयोजित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि यह गुजरात और भारत के लिए गर्व का क्षण है।

जापान में भी योग की गूंज — भारत की सांस्कृतिक मित्रता

भारत के बाहर भी योग दिवस की धूम रही। जापान की राजधानी टोक्यो में भारतीय दूतावास द्वारा एक भव्य योग कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन जापान के प्रधानमंत्री की पत्नी मैडम योशिको इशिबा ने किया। इस मौके पर जापान के विदेश मंत्री की पत्नी मैडम सातोको इवाया भी उपस्थित थीं। भारतीय राजदूत सिबी जॉर्ज ने दो हजार से अधिक लोगों की सभा को संबोधित किया और योग के लाभों पर प्रकाश डाला।

इसके साथ ही त्सुकिजी होंगवानजी के दो प्रमुख संत — रेवरेंड म्योकेन हयामा और रेवरेंड तोमोहिरो किमुरा, भारतीय राजदूत की पत्नी मैडम जोइस सिबी, वरिष्ठ जापानी अधिकारी, राजनयिक और जापान में भारत के मित्र भी उपस्थित थे। इस आयोजन ने भारत-जापान सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक सशक्त किया।

योग का वर्तमान और भविष्य — क्यों है इसकी आवश्यकता?

आज के समय में जब मानवता मानसिक अवसाद, तनाव, अनियमित जीवनशैली और वैश्विक संकटों जैसे महामारी और पर्यावरणीय आपदाओं का सामना कर रही है, तब योग एक उपचार की तरह सामने आता है। यह न केवल शारीरिक व्यायाम है, बल्कि मानसिक एकाग्रता, भावनात्मक संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम भी है।

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी योग को बाल विकास, महिलाओं के स्वास्थ्य और मानसिक समस्याओं के निदान में उपयोगी माना है। योग आज स्कूलों, दफ्तरों, अस्पतालों और सैन्य प्रशिक्षण केंद्रों तक में अपनाया जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की शक्ति

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत के लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि एक राजनयिक अवसर है। यह दिन भारत को अपनी सांस्कृतिक विरासत को विश्व के समक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देता है। योग भारत का वह उपहार है, जिसे पूरी दुनिया ने अपनाया है। यह भारत की वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा — “संपूर्ण विश्व एक परिवार है” — को वास्तविकता में बदलने की दिशा में एक कदम है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देना भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की एक बड़ी सफलता थी। तब से लेकर अब तक, हर वर्ष इस दिन को लेकर वैश्विक भागीदारी बढ़ी है।

योग से विश्व शांति की ओर

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 इस बात का प्रमाण है कि जब मानवता मिलकर, एकजुट होकर अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए कदम उठाती है, तब उसका प्रभाव केवल शरीर पर नहीं, बल्कि समाज और वैश्विक संतुलन पर भी पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश — कि “योग हमें प्रकृति से जोड़ता है, और यह अहसास कराता है कि हम सभी एक ही धरती का हिस्सा हैं” — एक वैश्विक मार्गदर्शन है।

आज, जब विश्व अनेक संकटों से जूझ रहा है, तब भारत का यह योगदान — योग के रूप में — शांति, स्वास्थ्य और समरसता की दिशा में एक शक्तिशाली प्रकाशपुंज है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 को केवल एक वार्षिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सतत आंदोलन के रूप में देखा जाना चाहिए, जो आने वाले वर्षों में न केवल भारत को, बल्कि सम्पूर्ण मानवता को एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण भविष्य की ओर ले जाएगा।

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