HIV Vaccine Trial Success: दुनिया भर में लाखों लोगों की जिंदगी पर असर डालने वाली जानलेवा बीमारी HIV (Human Immunodeficiency Virus) को लेकर अब एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। सालों की रिसर्च के बाद अब पहली बार HIV वैक्सीन के ट्रायल से सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। खास बात यह है कि इस वैक्सीन को उसी mRNA टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया है, जिससे COVID‑19 की सफल वैक्सीन बनाई गई थी।
इस नई वैक्सीन ने न सिर्फ मेडिकल साइंस में एक नई दिशा दिखाई है, बल्कि दुनियाभर में उन लाखों मरीजों के लिए नई उम्मीद की किरण भी जलाई है जो सालों से इस बीमारी से जूझ रहे हैं।
HIV जैसी बीमारी से लड़ना क्यों है इतना मुश्किल?
HIV एक ऐसा वायरस है जो हमारे इम्यून सिस्टम पर हमला करता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह वायरस बहुत तेजी से म्यूटेट यानी अपना रूप बदलता रहता है। ऐसे में जब तक शरीर एंटीबॉडी बनाता है, तब तक वायरस अपना चेहरा बदल लेता है और फिर से हमला करता है।
यही वजह है कि अब तक कोई स्थायी और असरदार वैक्सीन नहीं बन पाई थी। लेकिन mRNA टेक्नोलॉजी और नए एंटीबॉडी रिस्पॉन्स ने अब इस जंग में एक नया मोड़ ला दिया है।
mRNA टेक्नोलॉजी से बनी HIV वैक्सीन – कैसे काम करती है?
mRNA टेक्नोलॉजी को दुनिया ने पहली बार बड़े पैमाने पर COVID‑19 के समय जाना। Pfizer और Moderna जैसी कंपनियों ने इसी तकनीक का उपयोग कर करोड़ों लोगों को कोरोना से बचाया।
अब यही तकनीक HIV के लिए भी इस्तेमाल की जा रही है। इस तकनीक में वायरस का पूरा स्वरूप शरीर में नहीं डाला जाता, बल्कि उसके एक हिस्से का जेनेटिक कोड (mRNA) भेजा जाता है।
जब यह कोड शरीर में जाता है, तो हमारी इम्यून सेल्स इसे पहचान कर उसी के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देती हैं, जो वायरस से लड़ने में मदद करती हैं।
क्या है bnAb – जो HIV वैक्सीन में गेम चेंजर हो सकता है?
इस वैक्सीन की सबसे बड़ी ताकत है इसमें इस्तेमाल होने वाली bnAb यानि Broadly Neutralizing Antibody। आसान भाषा में समझें तो यह ऐसी एंटीबॉडी होती है जो HIV वायरस के अलग-अलग रूपों को भी पहचान सकती है।
क्योंकि HIV लगातार अपना रूप बदलता है, इसलिए एक आम एंटीबॉडी इसे पकड़ नहीं पाती। लेकिन bnAb वायरस की जड़ों पर वार करता है और वायरस के कोर एरिया को पहचान कर उसे खत्म करने की क्षमता रखता है।
HIV वैक्सीन ट्रायल में क्या रहा खास? HIV Vaccine Trial Success
हाल ही में अमेरिका और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में इस नई HIV वैक्सीन का फेज 1 क्लीनिकल ट्रायल किया गया। इसमें करीब 108 स्वस्थ वॉलंटियर्स को वैक्सीन दी गई और उनकी इम्यून रिस्पॉन्स को परखा गया।
परिणाम काफी सकारात्मक रहे। 80% लोगों में वैक्सीन ने असर दिखाया और न्युट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि वैक्सीन शरीर में वायरस को पहचानने और उससे लड़ने की क्षमता को विकसित करने में सफल रही।
कौनसी कंपनियां कर रही हैं HIV वैक्सीन पर काम?
वैक्सीन की इस रेस में सबसे आगे हैं Moderna और IAVI (International AIDS Vaccine Initiative), जो मिलकर इस mRNA बेस्ड वैक्सीन को तैयार कर रही हैं। इसके अलावा कई रिसर्च यूनिवर्सिटीज और संस्थान भी इस प्रोजेक्ट में शामिल हैं।
Moderna पहले ही कोरोना काल में अपनी mRNA टेक्नोलॉजी की बदौलत दुनिया भर में पहचान बना चुकी है, और अब वो HIV के खिलाफ भी यही फार्मूला आजमा रही है।
क्या HIV वैक्सीन से कोई साइड इफेक्ट हुआ?
वैसे तो फेज 1 ट्रायल का मुख्य उद्देश्य यह देखना होता है कि वैक्सीन सुरक्षित है या नहीं। इस ट्रायल में किसी भी वॉलंटियर को कोई गंभीर रिएक्शन नहीं हुआ।
हालांकि कुछ लोगों में त्वचा पर हल्की सूजन या खुजली जैसे रिएक्शन जरूर देखने को मिले, लेकिन यह सामान्य वैक्सीनेशन के बाद होने वाले मामूली लक्षणों की तरह ही थे। वैज्ञानिक अब इन बातों पर ध्यान दे रहे हैं कि आगे आने वाले चरणों में इन संभावनाओं को कैसे कम किया जा सकता है।
फेज 2 और फेज 3 में क्या होगा?
फेज 1 ट्रायल के बाद अब अगला कदम होगा फेज 2 और फेज 3, जहां बड़ी संख्या में लोगों पर वैक्सीन को टेस्ट किया जाएगा। इनमें अलग-अलग उम्र, जातीय समूह, और स्वास्थ्य स्थिति वाले लोगों को शामिल किया जाएगा ताकि देखा जा सके कि यह वैक्सीन हर परिस्थिति में कितना असरदार है।
साथ ही अब यह भी परखा जाएगा कि यह वैक्सीन:
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शरीर में बनी एंटीबॉडी कितने समय तक सक्रिय रहती हैं?
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क्या किसी को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ेगी?
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क्या यह वैक्सीन HIV से संक्रमित लोगों पर भी असर करेगी या केवल प्रिवेंशन के लिए ही है?
क्या पहले से संक्रमित लोगों को भी फायदा मिलेगा?
यह एक बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल है। HIV वैक्सीन का उद्देश्य अभी तक रोकथाम (Prevention) पर केंद्रित है। यानी यह वैक्सीन उन लोगों के लिए है जो अभी संक्रमित नहीं हुए हैं, लेकिन रिस्क में हैं।
हालांकि वैज्ञानिक इस दिशा में भी काम कर रहे हैं कि क्या वैक्सीन संक्रमित मरीजों की स्थिति सुधार सकती है या उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकती है। इस सवाल का जवाब आने वाले वर्षों में फेज 3 और रीयल-वर्ल्ड स्टडी से मिलेगा।
HIV वैक्सीन बाजार में कब तक आएगी?
फिलहाल, HIV वैक्सीन अभी ट्रायल फेज में है और बाजार में आने में कुछ साल लग सकते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक चला और आने वाले चरण भी सफल रहे, तो यह वैक्सीन 2027-2028 तक उपलब्ध हो सकती है।
वैसे भी वैक्सीन की मार्केट में एंट्री से पहले उसे कई बार सेफ्टी, एफिकेसी और लॉन्ग टर्म असर के आधार पर परखा जाता है।
क्या HIV अब बीते जमाने की बात बन सकता है?
ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि HIV पूरी तरह खत्म हो जाएगा, लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि यह वैक्सीन मानवता के लिए एक बहुत बड़ा ब्रेकथ्रू हो सकती है।
अगर आने वाले वर्षों में यह वैक्सीन सफलता के साथ बाजार में आती है, तो यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी – ठीक वैसे ही जैसे पोलियो या चेचक के खिलाफ इंसान ने जीत हासिल की थी।
उम्मीद की नई सुबह
HIV जैसी बीमारी से जूझते लोगों के लिए यह वैक्सीन नया जीवन, नई उम्मीद लेकर आई है। मेडिकल साइंस का यह प्रयास न सिर्फ एक बीमारी के खिलाफ है, बल्कि यह दिखाता है कि जब दुनिया मिलकर किसी समस्या से लड़ती है, तो समाधान जरूर निकलता है।
mRNA टेक्नोलॉजी और bnAb एंटीबॉडी का यह मेल आने वाले समय में शायद HIV की कहानी को ही बदल दे। बस अब इंतजार है फेज 2 और फेज 3 के परिणामों का।
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