हरिहरा वीरा मल्लू: तेलुगु सिनेमा की ऐतिहासिक गाथा का भव्य प्रदर्शन

हरिहरा वीरा मल्लू: 2025 में रिलीज़ हुई “हरिहरा वीरा मल्लू” (Hari Hara Veera Mallu) तेलुगु सिनेमा की उन फिल्मों में से एक है, जो इतिहास, नायकत्व और एक्शन को एक साथ पिरोकर दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाती है। निर्देशक कृष जगर्लामुडी (Krish Jagarlamudi) और अभिनेता पवन कल्याण की जोड़ी ने इस फिल्म को न केवल एक ऐतिहासिक महाकाव्य के रूप में पेश किया है, बल्कि इसे दक्षिण भारतीय सिनेमा की महत्त्वपूर्ण फिल्मों की सूची में भी शामिल कर दिया है।

हरिहरा वीरा मल्लू
                 हरिहरा वीरा मल्लू

कहानी की पृष्ठभूमि:

फिल्म की कहानी 17वीं शताब्दी में स्थापित है, जब भारत मुगल शासन के अधीन था। पवन कल्याण इस फिल्म में वीरा मल्लू नामक एक वीर और न्यायप्रिय डाकू की भूमिका निभा रहे हैं, जो अमानवीय मुगल शासकों से आम जनता को बचाने का प्रण लेता है।

वीरा मल्लू न केवल तलवार का धनी है, बल्कि एक रणनीतिक योद्धा भी है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे वह मुगल खजाने और दुर्लभ वस्तुओं को लूटकर गरीबों में बांटता है, और कैसे वह अंततः सत्ता के खिलाफ एक क्रांतिकारी नायक बन जाता है।

अभिनय:

पवन कल्याण ने अपने अभिनय से यह साबित कर दिया कि वे सिर्फ एक स्टार नहीं, बल्कि एक प्रभावशाली कलाकार भी हैं। उनकी चाल, संवाद अदायगी और तलवारबाज़ी देखते ही बनती है। फिल्म में उनका किरदार एक रहस्यमयी और करिश्माई नायक का है, जो दर्शकों को अपने साथ जोड़कर रखता है।

निधि अग्रवाल ने फिल्म में महिला प्रधान भूमिका निभाई है और उन्होंने अपने अभिनय और भावनात्मक दृश्यों में संतुलन बनाए रखा है। अर्जुन रामपाल, जो औरंगज़ेब के किरदार में हैं, फिल्म में खलनायक के रूप में काफी दमदार दिखाई देते हैं।

निर्देशन और पटकथा:

कृष जगर्लामुडी एक ऐसे निर्देशक हैं जो ऐतिहासिक फिल्मों में गहराई और सजीवता लाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इस फिल्म में भी वही चमत्कार किया है। फिल्म का हर दृश्य बड़ी बारीकी और शोध के साथ फिल्माया गया है। उन्होंने वीरा मल्लू की गाथा को न सिर्फ वीरता के रूप में पेश किया, बल्कि उसमें मानवीय संवेदनाएं और संघर्ष की गहराई भी जोड़ी।

पटकथा थोड़ी धीमी जरूर लग सकती है, खासकर पहले भाग में, लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, उसका रोमांच बढ़ता जाता है। युद्ध के दृश्य, षड्यंत्र और व्यक्तिगत संघर्ष सब कुछ बहुत ही दिलचस्प ढंग से दर्शाया गया है।

सिनेमैटोग्राफी और संगीत:

फिल्म की सिनेमैटोग्राफी शानदार है। चाहे वो किले के दृश्य हों, रेगिस्तान की धूल हो या रात के अंधेरे में तलवारबाज़ी—हर फ्रेम एक पेंटिंग जैसा लगता है। डीओपी ने उस युग को जीवंत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

एम.एम. कीरवाणी द्वारा रचित संगीत फिल्म की आत्मा है। बैकग्राउंड स्कोर और गाने दोनों ही फिल्म की भव्यता में इज़ाफा करते हैं। खासकर वीरा मल्लू के थीम संगीत में शौर्य की झलक मिलती है।

विशेषताएँ और कमजोरियाँ:

विशेषताएँ:

  • पवन कल्याण का प्रभावशाली अभिनय

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की गहराई

  • भव्य सेट्स और कॉस्ट्यूम डिज़ाइन

  • दमदार क्लाइमेक्स और एक्शन सीक्वेंस

कमज़ोरियाँ:

  • फिल्म की गति पहले भाग में थोड़ी धीमी है

  • कुछ दृश्य खिंचे हुए लगते हैं

  • कहानी में कुछ पूर्वानुमेय मोड़ हैं

“हरिहरा वीरा मल्लू” एक ऐसी फिल्म है जो इतिहास को नाटकीयता के साथ पेश करती है और एक नए नायक की गाथा को जनमानस तक पहुंचाती है। यह फिल्म सिर्फ एक्शन या ड्रामा नहीं है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और परंपरा के सम्मान की एक भव्य प्रस्तुति है।

अगर आप ऐतिहासिक फिल्मों के प्रेमी हैं, और एक प्रेरणादायक नायक की कहानी देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपके लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5)
देखने लायक? – बिल्कुल! खासकर पवन कल्याण के प्रशंसकों और ऐतिहासिक ड्रामा प्रेमियों के लिए।

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Hari Hara Veera Mallu Review: A Grand Historical Epic That Falters in Execution

 

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