Satyapal Malik Death News: पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, भारतीय राजनीति ने खोया एक मुखर और बेबाक नेता

Satyapal Malik Death News: भारतीय राजनीति के एक प्रमुख और बेबाक चेहरा रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में इलाजरत थे। बीते कुछ हफ्तों से उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी और डॉक्टर्स की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।

उनकी उम्र 77 वर्ष थी और वह कई राज्यों में राज्यपाल जैसे अहम पदों पर अपनी सेवा दे चुके थे। उन्होंने न केवल संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाया, बल्कि कई बार खुलकर सरकार और सिस्टम की आलोचना करके भी चर्चाओं में रहे।

इस लेख में हम सत्यपाल मलिक के जीवन, उनके राजनीतिक सफर, विवादों, कार्यशैली और उनके निधन से उपजे राजनीतिक और सामाजिक असर को विस्तार से समझेंगे।

कौन थे सत्यपाल मलिक? जानिए उनका शुरुआती जीवन और शिक्षा

सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में हुआ था। एक सामान्य जाट परिवार में जन्मे मलिक ने अपनी पढ़ाई मेरठ विश्वविद्यालय से की। उन्होंने बी.एससी, फिर एलएलबी और बाद में राजनीति विज्ञान में एम.ए. की डिग्री हासिल की।

उनके जीवन की शुरुआत एक सामान्य छात्र के रूप में हुई लेकिन कॉलेज जीवन से ही उनमें राजनीतिक चेतना और जनसेवा का जुनून साफ देखा गया। छात्र राजनीति से शुरुआत करते हुए उन्होंने धीरे-धीरे राष्ट्रीय राजनीति तक अपनी जगह बनाई।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर: गांव से दिल्ली तक

सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य के रूप में की। इसके बाद वे 1980 में जनता पार्टी के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी जैसे कई राजनीतिक दलों के साथ काम किया।

हालांकि, उनका सबसे सक्रिय और निर्णायक राजनीतिक दौर भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के बाद शुरू हुआ। वे 2017 में बिहार के राज्यपाल बनाए गए, जिसके बाद उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ गया।

बिहार के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर, फिर गोवा और बाद में मेघालय का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इन राज्यों में उन्होंने संवैधानिक दायित्वों के साथ-साथ कई बार अपनी स्पष्टवादिता के लिए सुर्खियां बटोरीं।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में बहुचर्चित कार्यकाल

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सत्यपाल मलिक का सबसे चर्चित कार्यकाल जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में रहा। उन्हें 2018 में जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया था और वे उस समय इस पद पर थे जब अनुच्छेद 370 हटाया गया था।

इस ऐतिहासिक फैसले के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के निर्णयों को लागू करने में अहम भूमिका निभाई। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित किया गया।

सत्यपाल मलिक ने इस दौरान कई बार सुरक्षा और राजनीतिक हालातों को लेकर केंद्र सरकार को सलाह दी और कुछ मुद्दों पर अलग राय भी जताई। उन्होंने कश्मीर में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही के मुद्दों पर भी खुलकर अपनी बात रखी।

गोवा और मेघालय: संवैधानिक पद पर भी नहीं थमी बेबाकी

गोवा और मेघालय जैसे राज्यों में भी सत्यपाल मलिक ने राज्यपाल के पद पर रहते हुए कई बार विवादास्पद बयान दिए। उन्होंने किसानों के मुद्दों, केंद्र सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ खुलकर आवाज़ उठाई।

उन्होंने एक बार यह तक कह दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की बात नहीं बताई गई, इसलिए वह ग़लतफ़हमी में रहे। यह बयान मीडिया और राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चित रहा।

मेघालय के राज्यपाल रहते हुए भी उन्होंने कहा था कि “सरकारी योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार है”, जो कि एक राज्यपाल के लिए असामान्य लेकिन प्रभावशाली बयान था।

किसान आंदोलन पर मुखर रहे सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक का नाम किसान आंदोलन के संदर्भ में भी अक्सर सामने आया। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन का खुलकर समर्थन किया और कई बार किसानों के पक्ष में बयान दिए।

उनकी साफगोई और निष्पक्षता को लेकर किसान संगठनों ने भी उन्हें अपना समर्थक माना। उन्होंने कहा था कि किसान देश की रीढ़ हैं और उनकी बात न सुनी जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

निधन पर शोक की लहर, राजनीतिक जगत में शोक | Satyapal Malik Death News

सत्यपाल मलिक के निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। कई दिग्गज नेताओं और पार्टियों ने उनके निधन पर गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्री, विपक्षी दलों के नेता, किसान संगठन और आम लोग – सभी ने उनके बेबाक स्वभाव और जनसेवा के जज़्बे को याद किया।

उनका जाना न सिर्फ एक संवैधानिक पदाधिकारी का अंत है, बल्कि एक ऐसे राजनेता की विदाई भी है जो सच बोलने से कभी नहीं डरा।

मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं

उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर लोग उनके पुराने भाषणों, इंटरव्यू और बयानों को शेयर कर रहे हैं।

#RIPSatyapalMalik और #SatyapalMalik ट्रेंड कर रहे हैं, और लोग उन्हें ‘सच बोलने वाला नेता’ और ‘जनता का गवर्नर’ कहकर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

निजी जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

सत्यपाल मलिक एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से आए नेता थे। उनका जीवन सदैव सादगी और ईमानदारी का प्रतीक रहा। उनके परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं।

उन्होंने कभी भी राजनीतिक जीवन में निजी लाभ या वैभव की चाह नहीं रखी। उनका जीवन एक प्रेरणा है उन सभी लोगों के लिए जो राजनीति को सेवा का माध्यम मानते हैं।

एक साहसी और ईमानदार नेता का अंत

सत्यपाल मलिक का जाना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक बड़ा नुकसान है। उन्होंने एक राज्यपाल होते हुए भी जो बातें कहीं, जो सवाल उठाए, वह किसी राजनेता की हिम्मत को दर्शाते हैं।

उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर नियत साफ हो, तो बड़े से बड़ा पद भी इंसान की आवाज़ को रोक नहीं सकता। वह न केवल एक राजनीतिक शख्सियत थे, बल्कि एक विचारधारा भी थे जो लोकतंत्र, किसानों और आम जनता के हक में हमेशा खड़े रहे।

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