डिक्लटर टिप्स: हम सबके घरों में कुछ ना कुछ ऐसा सामान होता है जो न काम आता है, न दिल से जुड़ा होता है। जैसे पुराने बर्तन, एक्सपायर हो चुका खाना, टूटे चार्जर या बेमतलब के गिफ्ट। हम उन्हें “शायद कभी काम आएंगे” सोचकर रखे रखते हैं, लेकिन असल में ये सिर्फ घर की जगह घेरते हैं और मन को बोझिल करते हैं। डिक्लटर टिप्स केवल एक साफ-सुथरा घर पाने का जरिया नहीं हैं, बल्कि यह एक मानसिक और भावनात्मक स्वच्छता का माध्यम भी हैं।
तो चलिए जानते हैं ऐसी 6 चीजें, जिन्हें अगर आप आज ही फेंक दें, तो आपके घर और मन दोनों में हल्कापन और पॉजिटिव एनर्जी आएगी।
1. एक्सपायर हो चुका खाना या सामग्री
डिक्लटर टिप्स आज के समय में केवल एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक ज़रूरत बन चुके हैं। हममें से अधिकतर लोग किचन की अलमारी या फ्रीज़ में चीज़ें स्टोर तो कर लेते हैं, लेकिन उन्हें समय-समय पर चेक नहीं करते। नतीजा—महीनों पुराना अचार, एक्सपायर्ड मसाले, खुला पड़ा बिस्किट का पैकेट और फंगस लगे अनाज! ये चीज़ें न केवल स्वाद बिगाड़ती हैं, बल्कि खतरनाक बैक्टीरिया और टॉक्सिन भी पैदा कर सकती हैं।
- पुराने मसालों में खुशबू और गुण खत्म हो जाते हैं।
- फ्रीज़ में रखा पुराना अचार या सॉस फफूंदी वाला हो सकता है।
- बासी बिस्किट और अनाज में कीड़े लग सकते हैं, जो फूड पॉयज़निंग का कारण बनते हैं।
क्या करें?
मासिक “किचन डेट चेक” रूटीन बनाएं:
- हर महीने की एक तारीख तय करें – जैसे हर महीने की 1 या 15 तारीख।
- उस दिन सिर्फ 15 मिनट दें – सभी मसाले, डिब्बे, सॉस और अचार की एक्सपायरी डेट चेक करें।
लक्ष्य रखें – FIFO (First In, First Out):
- जो सामान पहले आया है, उसे पहले इस्तेमाल करें।
- नया सामान पीछे रखें और पुराना आगे – ताकि पहले दिखाई दे।
अनावश्यक चीज़ें फेंकने में संकोच न करें:
-
अगर कोई चीज़ दो महीने से बिना इस्तेमाल पड़ी है और उसकी गंध, रंग या स्वाद बदल गया है – बिना पछतावे के फेंक दीजिए।
ड्राय स्टोरेज और लेबलिंग करें:
- हर डिब्बे पर लेबल लगाएं – खरीदने की तारीख लिखें।
- सील बंद कंटेनर का प्रयोग करें ताकि नमी और कीड़े न लगें।
फायदे – सिर्फ सफ़ाई नहीं, सेहत भी!
- बीमारियों से बचाव:
एक्सपायर्ड चीज़ें शरीर में विषैले तत्व पहुंचाती हैं, जो फूड पॉयज़निंग, पेट दर्द, उल्टी, दस्त और गैस जैसी समस्याओं का कारण बनती हैं। इनसे छुटकारा पाकर आप पूरे परिवार को सुरक्षित रखते हैं। - किचन ताज़ा और सुव्यवस्थित:
जब आपके डिब्बे, मसाले और फ्रिज साफ होते हैं, तो खाना बनाना भी आसान, आनंददायक और तेज़ हो जाता है। - मानसिक शांति:
जब अलमारी में अनावश्यक चीजें नहीं होतीं, तो ज़रूरी सामान ढूँढना आसान होता है और मन शांत रहता है। - पैसे की बचत:
एक्सपायर्ड सामान छिपा होने से हम नया सामान खरीदते रहते हैं – लेकिन जब अलमारी साफ़ होती है, तो हमें पता होता है कि क्या पहले से मौजूद है।
2. पुराने ब्यूटी प्रोडक्ट्स
डिक्लटर टिप्स अपनाना हमारे निर्णय लेने की क्षमता को तेज करता है, क्योंकि जब हमारे पास कम चीज़ें होती हैं, तो हम उन्हीं पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो वास्तव में हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। हममें से बहुत से लोग ब्यूटी प्रोडक्ट्स—जैसे लिपस्टिक, फेस क्रीम, शेविंग जेल, काजल या मेकअप फाउंडेशन—को सालों तक संभाल कर रखते हैं। अक्सर ये पसंदीदा ब्रांड होते हैं या कम इस्तेमाल में आए होते हैं, इसलिए हम इन्हें फेंकने में झिझकते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि:
- हर ब्यूटी प्रोडक्ट की एक शेल्फ लाइफ होती है।
- समय के साथ इनमें बैक्टीरिया, फंगस और केमिकल ब्रेकडाउन शुरू हो जाता है।
- इससे त्वचा पर एलर्जी, पिंपल्स, जलन या रैशेस हो सकते हैं।
विशेषकर आंखों और होंठों के आसपास इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट, जैसे मस्कारा या लिपस्टिक, ज़्यादा संवेदनशील होते हैं। एक एक्सपायर्ड मस्कारा से आँखों में इंफेक्शन तक हो सकता है।
क्या करें?
हर 3 से 6 महीने में ब्यूटी किट रिव्यू करें:
- रंग, गंध और टेक्सचर चेक करें – अगर कोई प्रोडक्ट अलग दिखने लगे, अजीब महक आने लगे या गाढ़ा/पानीदार हो जाए, तो उसे तुरंत फेंक दें।
- लिक्विड प्रोडक्ट्स (जैसे फाउंडेशन, क्रीम, मस्कारा) जल्दी खराब होते हैं—इनका जीवनकाल 6 से 12 महीने होता है।
- पाउडर प्रोडक्ट्स (जैसे फेस पाउडर, ब्लश) थोड़े लंबे चलते हैं, लेकिन 18–24 महीनों से ज्यादा नहीं।
खरीदने की तारीख लिखें:
-
हर नए प्रोडक्ट पर खरीद की तारीख मार्कर से लिखें या एक नोटबुक/डिजिटल नोट में मेंटेन करें। इससे पता चलेगा कि कब से इस्तेमाल कर रहे हैं।
हाइजीन बनाए रखें:
- प्रोडक्ट्स को साफ हाथों से या ब्रश से लगाएं।
- हर कुछ समय में ब्रश और ब्यूटी ब्लेंडर को धोएं – ताकि बैक्टीरिया न पनपे।
फायदे – सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, त्वचा की सुरक्षा भी
- चेहरे की प्राकृतिक चमक बनी रहेगी:
पुराने या खराब ब्यूटी प्रोडक्ट्स स्किन को रूखा या डल बना सकते हैं। ताज़ा, सेफ प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से स्किन हेल्दी और ग्लोइंग बनी रहती है। - त्वचा की समस्याओं से बचाव:
जैसे एलर्जी, रैशेस, एक्ने, जलन और इन्फेक्शन – ये सब एक्सपायर्ड प्रोडक्ट से हो सकते हैं। जब आप उन्हें हटाते हैं, तो त्वचा को आराम और सुरक्षा दोनों मिलती है। - मानसिक शांति और ऑर्गनाइज़ेशन:
साफ-सुथरा ड्रेसिंग टेबल और कॉस्मेटिक बॉक्स आपको हर दिन फ्रेश महसूस कराते हैं। साथ ही सुबह की तैयारी में समय की बचत भी होती है।
ब्यूटी प्रोडक्ट्स की अनुमानित एक्सपायरी गाइड:
प्रोडक्ट | शेल्फ लाइफ (उपयोग के बाद) |
---|---|
मस्कारा | 3-6 महीने |
लिक्विड फाउंडेशन | 6-12 महीने |
लिपस्टिक | 12-18 महीने |
फेस क्रीम | 6-12 महीने |
आईशैडो (पाउडर) | 12-24 महीने |
शेविंग जेल | 12-18 महीने |
👉 टिप: अगर प्रोडक्ट पर एक छोटा-सा डिब्बा बना हो और उस पर “6M”, “12M” आदि लिखा हो, तो यह बताता है कि उपयोग के कितने महीनों के अंदर वह प्रोडक्ट सुरक्षित है।
3. जोड़ी से अलग मोज़े, पुराने अंडरवियर
हम सबकी अलमारी में कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर छिपा होता है:
- मोज़ों की ऐसी जोड़ी जिनमें से एक कहीं गुम हो गया है।
- अंडरवियर जो अब फिट नहीं आते या फट चुके हैं।
- कपड़े जो इतने पुराने हो चुके हैं कि पहनने लायक ही नहीं।
और हम उन्हें बस इसलिए रखे हुए हैं क्योंकि “कभी तो काम आ सकता है”, लेकिन हकीकत में ये न तो काम आते हैं और न ही जगह छोड़ते हैं। मन में अव्यवस्था का बोझ भी बढ़ता है, क्योंकि हर बार कपड़े चुनते वक़्त हमें इन्हें नजरअंदाज करना पड़ता है।
क्या करें?
अलमारी का 6-महीने का कपड़ा ऑडिट करें:
- जो कपड़े 6 महीनों से आपने नहीं पहने, उन्हें अलग रखें।
- जो फिट नहीं आते, फट चुके हैं, या असहज लगते हैं, उन्हें बिना झिझक हटा दें।
अकेले रह गए मोज़ों का कोई फायदा नहीं:
- एक ही मोज़े की जोड़ी की तलाश में वक़्त बर्बाद न करें।
- उन्हें डस्टिंग क्लॉथ, कपड़े के खिलौने या डोनेशन वाले कपड़े रीसायकल प्रोग्राम में डाल सकते हैं।
अंडरगारमेंट्स पर विशेष ध्यान दें:
- ये स्वास्थ्य और हाइजीन से जुड़ी चीजें हैं, इसलिए फटे या पुराने अंडरवियर को तुरंत हटाना चाहिए।
- यदि पहनने लायक नहीं है, तो उन्हें डिस्क्रीट तरीके से डिस्पोज़ करें।
कपड़ों को नया जीवन दें:
-
पुराने कपड़ों से पॉलीथिन बैग रिप्लेसमेंट बैग, मास्क, डस्टर, या क्राफ्ट प्रोजेक्ट्स बनाए जा सकते हैं।
फायदे – थोड़ी सी सफाई, बहुत सारा सुकून
- कम चीज़ें, कम सोच:
जब अलमारी में सिर्फ वही कपड़े हों जो पहनने लायक हों, तो रोज़ क्या पहनें यह तय करना तेज़ और आसान हो जाता है। - पर्यावरण संरक्षण में योगदान:
कपड़े फैब्रिक वेस्ट का एक बड़ा हिस्सा होते हैं। इन्हें रीसायकल या री-यूज़ करना सस्टेनेबल लाइफस्टाइल की ओर एक कदम है। - घर की साफ़-सफाई में मदद:
पुराने मोज़े, टी-शर्ट आदि को डस्ट क्लॉथ बना लेने से सफाई भी आसान हो जाती है, और नया कपड़ा खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
4. टूटे चार्जर, खराब ईयरफोन, बेकार केबल
डिक्लटर टिप्स अपनाना आज के भागदौड़ भरे जीवन में एक जरूरी अभ्यास बन गया है। अव्यवस्था न केवल हमारे भौतिक वातावरण को प्रभावित करती है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालती है। हम में से बहुत से लोग पुराने मोबाइल चार्जर, टूटी हुई USB केबल, बेकार हो चुके हेडफ़ोन या पुरानी पेन ड्राइव्स सिर्फ इसलिए सहेजकर रखते हैं क्योंकि शायद कभी किसी और डिवाइस के लिए काम आ जाएं। लेकिन सच्चाई ये है कि ये चीज़ें महीनों तक ऐसे ही पड़ी रहती हैं और धीरे-धीरे आपका डेस्क, ड्रॉअर या स्टोर रूम एक इलेक्ट्रॉनिक कबाड़घर बन जाता है।
क्या करें?
- हर 3 से 6 महीने में एक ‘ई-वेस्ट क्लीनअप’ दिन तय करें।
- जो केबल्स टूट चुके हैं, या जिनके डिवाइस अब आपके पास नहीं हैं – उन्हें निकालें।
- पुराने चार्जर्स, पेन ड्राइव्स, रिमोट्स आदि को टेस्ट करके जो काम नहीं कर रहे, उन्हें ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर में दें।
- अगर आपके पास कोई ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सामान है जो अब आपके किसी भी गैजेट के साथ कम्पैटिबल नहीं है, तो उसे बिना देरी रिसायकल करें।
फायदा:
✅ आपकी वर्कस्पेस और स्टडी टेबल साफ़ और व्यवस्थित रहेगी
✅ मानसिक रूप से हल्कापन महसूस होगा क्योंकि अनावश्यक चीज़ें हट चुकी होंगी
✅ पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाली ई-वेस्ट सामग्री सही तरीके से नष्ट की जा सकेगी
Pro Tip: कई शहरों में अब ई-वेस्ट पिकअप सर्विस भी उपलब्ध होती है, जहाँ आप ऑनलाइन बुकिंग करके ये कबाड़ सीधे दरवाज़े से उठवा सकते हैं।
5. अनचाहे गिफ्ट और स्मृति चिन्ह
डिक्लटर करना सिर्फ चीजें हटाना नहीं है, बल्कि अपनी प्राथमिकताओं को पहचानना और केवल उन्हीं चीजों को अपने जीवन में रखना है जो सच में जरूरी और उपयोगी हों। हम सबके घरों में कुछ न कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जिन्हें हम बस इसलिए संभाल कर रखते हैं क्योंकि वे कभी गिफ्ट में मिली थीं, या शायद किसी समय प्यारी लगती थीं—जैसे पुराने पोस्टर, फोटो फ्रेम, शोपीस या डेकोरेटिव आइटम। लेकिन अगर वो चीज़ें अब हमारे काम नहीं आ रहीं, खुशी नहीं दे रहीं, या बस अलमारी में बंद पड़ी हैं, तो वे धीरे-धीरे घर का माहौल भारी बना देती हैं।
- अनचाहे गिफ्ट्स देखने से एक गिल्ट या अपराधबोध का अहसास होता है।
- पुराने, faded पोस्टर और शोपीस अब मन और आँखों को भाते नहीं।
- ये चीज़ें केवल धूल जमा करती हैं और स्पेस भी ब्लॉक करती हैं।
✔️ क्या करें?
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भावनात्मक जुड़ाव को पहचानें, पर बंधे नहीं रहें:
- खुद से पूछिए: “क्या मैं ये इस्तेमाल करता/करती हूँ?” और “क्या ये मुझे अब भी खुशी देता है?”
- अगर जवाब ‘नहीं’ है, तो उसे जाने दीजिए।
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दान या गिफ्ट करें:
- कोई और उस गिफ्ट का इस्तेमाल कर सकता है – आप NGO, स्थानीय स्कूल, या कम्यूनिटी सेंटर को दान दे सकते हैं।
- डेकोरेटिव आइटम्स को किसी को री-गिफ्ट करें जो वाकई उसका उपयोग कर सके।
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डिजिटल स्मृति सुरक्षित करें:
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अगर गिफ्ट या आइटम से भावनात्मक जुड़ाव है, तो उसकी एक फोटो क्लिक कर लें और डिजिटल अल्बम में रख लें। वस्तु खुद रखने की ज़रूरत नहीं।
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स्मृति बॉक्स बनाएँ:
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खास यादों वाली 3–5 चीज़ें चुनें और उन्हें एक “Memory Box” में रखें। बाकी को सम्मानपूर्वक अलविदा कह दें।
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इससे आपको क्या फायदा होगा?
- मानसिक हल्कापन: जब हम अनचाही चीज़ें हटाते हैं, तो सिर्फ घर नहीं, बल्कि मन भी unclutter होता है।
- स्पेस फ्री होता है: जिससे जरूरी, उपयोगी चीज़ें व्यवस्थित ढंग से रखी जा सकती हैं।
- सकारात्मक ऊर्जा आती है: हर चीज़ जो आपके आस-पास है, वह ऊर्जा फैलाती है—तो जो चीज़ आपको खुश नहीं करती, वह एनर्जी भी हल्की नहीं होगी।
6. पुरानी दवाइयाँ और केमिकल
अक्सर हम दवाइयाँ, ब्यूटी प्रोडक्ट्स, कीटनाशक स्प्रे, पेंट के डिब्बे, या क्लीनिंग केमिकल्स बाथरूम या स्टोररूम में रखकर भूल जाते हैं। ये चीजें समय के साथ एक्सपायर हो जाती हैं, पर हम ध्यान नहीं देते।
- एक्सपायर्ड दवाएँ असर नहीं करतीं या उल्टा नुकसान कर सकती हैं।
- पुराने स्प्रे या कीटनाशक वातावरण को विषैला बना सकते हैं।
- खुले पेंट या सफाई के केमिकल हवा में जहरीले तत्व छोड़ सकते हैं।
- बच्चों या पालतू जानवरों के हाथ लगने पर गंभीर खतरा हो सकता है।
✔️ क्या करें?
हर 6 महीने में एक ‘सेफ़्टी चेक’ जरूर करें:
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दवाइयाँ (Medicines):
- सभी पत्तियों और शीशियों की एक्सपायरी डेट ध्यान से देखें।
- जिनकी मियाद खत्म हो गई हो, उन्हें फौरन अलग करें।
- नजदीकी फार्मेसी स्टोर में वापस करें (कई स्टोर ‘गो-बैक प्रोग्राम’ चलाते हैं) या स्थानीय नगरपालिका के ‘हैज़र्डस वेस्ट’ कलेक्शन सेंटर में जमा करें।
- दवाइयों को कभी भी टॉयलेट या सिंक में ना फेंके—यह जल स्रोतों को दूषित कर सकता है।
-
कीटनाशक स्प्रे और क्लीनिंग केमिकल्स:
- पालतू जानवरों के पहुंच से दूर रखें।
- जो उत्पाद खराब हो चुके हैं (रंग, गंध या टेक्सचर बदल गया हो), उन्हें ‘खतरनाक कचरे’ के रूप में सुरक्षित फेंकें।
- लीक कर रहे केमिकल कंटेनर तुरंत हटाएं।
-
पेंट और अन्य रसायन:
- अगर पेंट सूख चुका है या सालों से खोला नहीं गया, तो वह अब काम का नहीं रहा।
- पेंट और थिनर जैसी चीज़ें बंद ढक्कन और ठंडी, सूखी जगह पर रखें।
- पुराने या खुले पेंट को ईको-फ्रेंडली डिस्पोजल के ज़रिए खत्म करें।
इससे आपको क्या फायदा होगा?
-
स्वास्थ्य की सुरक्षा: बच्चे, बुजुर्ग और पालतू जानवर इन पदार्थों से बहुत जल्दी प्रभावित होते हैं। इन्हें हटाकर आप उनके लिए एक सुरक्षित माहौल बनाते हैं।
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मानसिक शांति: रसायनों की बोतलों से भरा बाथरूम या स्टोर रूम देखकर तनाव होता है। जब सब व्यवस्थित और साफ़ हो, तो मन भी शांत होता है।
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पर्यावरण की रक्षा: सही तरीके से केमिकल और दवाइयाँ नष्ट करने से मिट्टी और पानी प्रदूषित नहीं होते। यह एक जिम्मेदार नागरिक का कार्य है।
-
अचानक ज़रूरत पर मदद: जब आपको कोई दवा या सफाई का सामान ज़रूरत हो, तो सब कुछ साफ़-सुथरे और सुरक्षित ढंग से मिल जाएगा—बिना खोजबीन के।
डिक्लटर टिप्स न केवल आपके घर को साफ और व्यवस्थित रखने में मदद करते हैं, बल्कि मानसिक शांति और बेहतर जीवनशैली की ओर भी ले जाते हैं। जब हम अपने आस-पास से अनावश्यक वस्तुओं को हटाते हैं, तो न केवल स्थान बढ़ता है, बल्कि मन का बोझ भी हल्का होता है। चाहे आप हर दिन 10 मिनट का डिक्लटर रूटीन अपनाएं या सप्ताह में एक बार किसी एक कोने को व्यवस्थित करें — हर छोटा कदम बड़ा बदलाव ला सकता है।
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