Health Risks Of Ghee & Butter: भारतीय रसोई में अगर कोई चीज़ सबसे ज्यादा इस्तेमाल होती है तो वह है देसी घी और मक्खन। पराठे, दाल, हलवा या फिर त्योहारों की मिठाइयां – हर चीज में घी या मक्खन की मौजूदगी ज़रूरी मानी जाती है। स्वाद और परंपरा से भरपूर इन चीज़ों का हमारे खान-पान में खास स्थान है।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस घी और मक्खन को हम सेहतमंद मानते हैं, क्या वह वास्तव में सेहत के लिए उतना फायदेमंद है? क्या इनमें छिपे हैं कुछ गंभीर खतरे, जिनसे हम अनजान हैं? इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि घी और मक्खन किस तरह से हमारे शरीर पर असर डालते हैं और किन परिस्थितियों में इनका सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
घी और मक्खन में क्या होता है?
घी और मक्खन दोनों ही दूध से तैयार किए जाते हैं, लेकिन इनके निर्माण की प्रक्रिया और पोषक तत्वों में थोड़ा अंतर होता है। देसी घी आमतौर पर मक्खन को गरम करके बनाया जाता है, जिससे उसमें से नमी और दूध का ठोस भाग निकल जाता है और सिर्फ वसा (fat) बचती है।
मक्खन में थोड़ा ज्यादा नमी और दूध का प्रोटीन मौजूद रहता है। दोनों ही चीजें सैचुरेटेड फैट (Saturated Fat) से भरपूर होती हैं, जो स्वाद तो बढ़ाता है, लेकिन शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी।
सेहत के लिए फायदेमंद या नुकसानदेह?
यह सच है कि घी और मक्खन में कुछ फायदेमंद तत्व भी होते हैं – जैसे कि विटामिन A, D, E और K। आयुर्वेद में घी को पाचन में सहायक और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना गया है। लेकिन यही चीज़ अगर जरूरत से ज्यादा ली जाए, तो यही लाभ नुकसान में बदल सकते हैं।
सैचुरेटेड फैट का अधिक सेवन हृदय रोग, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और यहां तक कि टाइप 2 डायबिटीज़ जैसी बीमारियों को जन्म दे सकता है।
कोलेस्ट्रॉल का खतरा: कब बढ़ता है रिस्क?
घी और मक्खन में एलडीएल (LDL) यानी ‘खराब कोलेस्ट्रॉल’ बढ़ाने की क्षमता होती है। जब यह खराब कोलेस्ट्रॉल शरीर में बढ़ता है, तो यह धमनियों में जमा होकर ब्लड फ्लो को बाधित करता है, जिससे दिल का दौरा और स्ट्रोक जैसी जानलेवा बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति पहले से ही हाई कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन या हार्ट डिजीज से पीड़ित है, तो घी और मक्खन का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
मोटापा और वजन बढ़ने का मुख्य कारण
आज के समय में बैठे-बैठे काम करने की आदतें, कम शारीरिक मेहनत और ज्यादा फैटी फूड्स का सेवन तेजी से मोटापा बढ़ा रहा है। मक्खन और घी वसा का बड़ा स्रोत हैं और अगर आप इन्हें रोज़ाना की डाइट में ज्यादा मात्रा में शामिल करते हैं, तो यह सीधा असर आपके वजन पर डालता है।
हर एक ग्राम वसा में लगभग 9 कैलोरी होती है। यानी थोड़ा सा मक्खन या घी भी बहुत अधिक कैलोरी दे सकता है, जो वजन बढ़ाने में योगदान देता है।
डायबिटीज़ और घी-मक्खन का संबंध
बहुत से लोग सोचते हैं कि घी और मक्खन में शुगर नहीं होती, इसलिए डायबिटीज़ के रोगी इसे खा सकते हैं। लेकिन यह सोच अधूरी है। घी और मक्खन इंसुलिन रेसिस्टेंस को बढ़ा सकते हैं, जिससे शरीर में ब्लड शुगर का नियंत्रण कठिन हो जाता है।
अगर कोई डायबिटिक पेशेंट अपने खानपान में अधिक मात्रा में घी या मक्खन शामिल करता है, तो उसका ब्लड शुगर लेवल असंतुलित हो सकता है, जिससे उसकी स्थिति और गंभीर बन सकती है।
कैंसर से भी जुड़ सकता है घी और मक्खन का ज्यादा सेवन
हाल ही में आई कुछ रिसर्च बताती हैं कि लंबे समय तक सैचुरेटेड फैट्स का अधिक सेवन कैंसर, खासकर ब्रेस्ट और कोलन कैंसर जैसी बीमारियों से जुड़ा हो सकता है।
यह सीधा मतलब नहीं है कि घी-मक्खन कैंसर पैदा करते हैं, लेकिन इनका अत्यधिक सेवन कैंसर के रिस्क फैक्टर्स को बढ़ा सकता है। इसलिए इन्हें संतुलन में रहकर ही सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद बनाम आधुनिक विज्ञान: कहां है संतुलन?
आयुर्वेद में घी को अमृत समान बताया गया है, खासकर गाय का देसी घी। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। लेकिन आयुर्वेद भी यह मानता है कि कोई भी चीज़ अतिशय रूप से लेना हानिकारक हो सकता है।
आधुनिक विज्ञान कहता है कि अगर घी और मक्खन का सेवन संतुलित मात्रा में, सही समय पर और शारीरिक गतिविधि के साथ किया जाए, तो यह नुकसान नहीं करता, बल्कि शरीर को लाभ भी देता है। फर्क सिर्फ मात्रा और उपयोग के तरीकों में है।
कौन लोग रहें सतर्क? जानिए किन्हें घी-मक्खन से बचना चाहिए
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हृदय रोगी: जिन्हें पहले से दिल की बीमारी है, वे घी और मक्खन के सेवन में बेहद सतर्क रहें।
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मोटापे से पीड़ित: वजन बढ़ाने से जुड़ी समस्याओं वाले लोगों को घी और मक्खन से दूर रहना चाहिए।
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डायबिटिक मरीज़: इंसुलिन रेसिस्टेंस की स्थिति में इनका सेवन नुकसानदेह हो सकता है।
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उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लोग: मक्खन और घी एलडीएल को बढ़ाते हैं, जो आपके लिए खतरे की घंटी हो सकते हैं।
क्या है सुरक्षित मात्रा? जानिए एक्सपर्ट की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति प्रतिदिन 1 से 2 चम्मच घी या मक्खन का सेवन कर सकता है, वह भी तब जब उसकी डेली डाइट बैलेंस्ड हो और फिजिकल एक्टिविटी अच्छी हो।
अगर आप नियमित रूप से जिम जाते हैं, दौड़ते हैं या मेहनत का काम करते हैं, तो शरीर को थोड़ी ज्यादा वसा की जरूरत होती है, लेकिन बैठे-बैठे जीवनशैली में अधिक घी-मक्खन घातक हो सकता है।
स्वस्थ विकल्प क्या हैं?
अगर आप घी या मक्खन की जगह कुछ हल्के और हेल्दी विकल्प अपनाना चाहते हैं, तो आप निम्नलिखित पर विचार कर सकते हैं:
- ओलिव ऑयल (Olive Oil)
- मस्टर्ड ऑयल (सरसों का तेल)
- राइस ब्रान ऑयल (चावल की भूसी का तेल)
- कोकोनट ऑयल (नारियल तेल)
इनमें अनसैचुरेटेड फैट्स अधिक होते हैं, जो दिल और शरीर के लिए बेहतर माने जाते हैं।
स्वाद से समझौता नहीं, लेकिन सेहत पहले
घी और मक्खन हमारी भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। ये स्वाद और ऊर्जा दोनों प्रदान करते हैं, लेकिन इनका अत्यधिक सेवन हमारी सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। जरूरत है संतुलन की, समझदारी की और जानकारी की।
स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि हम अपने भोजन में हर चीज़ को सीमित मात्रा में शामिल करें। अगर हम सही जानकारी के साथ आगे बढ़ें, तो घी और मक्खन का आनंद भी ले सकते हैं और सेहत भी बनाए रख सकते हैं।
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