बॉलीवुड की दमदार जोड़ी — आमिर खान और राजकुमार हिरानी — ने हाल ही में ऐलान किया है कि वे मिलकर दादा साहब फाल्के की बायोपिक पर काम करने जा रहे हैं। ब्लॉकबस्टर हिट्स 3 इडियट्स (2009) और पीके (2014) के बाद, यह सुपरहिट जोड़ी अब 11 साल बाद एक बार फिर साथ आ रही है।
खास बात ये है कि इसी विषय पर एस.एस. राजामौली भी जूनियर एनटीआर के साथ एक फिल्म बनाने की योजना में थे। लेकिन अब कहानी ने एक नया मोड़ ले लिया है। फाल्के के पोते, चंद्रशेखर श्रीकृष्ण पुसालकर ने राजामौली के प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई है और साफ तौर पर कहा है कि वे केवल आमिर खान की टीम को ही इस बायोपिक के लिए समर्थन देंगे।
अमर उजाला से बातचीत में चंद्रशेखर पुसालकर ने अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा,
“राजामौली ने दादा साहब फाल्के की बायोपिक को लेकर मुझसे कभी संपर्क नहीं किया। मैं बस उनके प्रोजेक्ट की चर्चाएं सुनता रहा, लेकिन न उन्होंने और न ही उनकी टीम ने मुझसे कोई बात की। अगर कोई हमारे परिवार के इतने बड़े सदस्य पर फिल्म बना रहा है, तो कम से कम परिवार से तो बात करनी चाहिए। हमें नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। आखिर असली कहानियां और सही जानकारी तो परिवार के पास ही होती है।”
फाल्के के पोते का आमिर और हिरानी पर भरोसा: “ये टीम फाल्के जी की कहानी को सम्मान के साथ दिखाएगी”
दादा साहब फाल्के के पोते चंद्रशेखर पुसालकर ने आमिर खान और राजकुमार हिरानी की टीम पर अपना पूरा भरोसा जताया है।उन्होंने कहा, “आमिर खान बहुत गंभीर और ईमानदार इंसान हैं। जो भी काम करते हैं, दिल से करते हैं। अगर वे दादा साहब फाल्के का रोल निभा रहे हैं, तो यह मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। और जब उनके साथ राजकुमार हिरानी जैसे शानदार निर्देशक हों, तो भरोसा और भी बढ़ जाता है। मुझे यकीन है कि ये टीम फाल्के जी की कहानी को पूरी इज्जत और सच्चाई के साथ पेश करेगी।”
फाल्के बायोपिक : परिवार का समर्थन आमिर-हिरानी को, राजामौली पर अब भी सस्पेंस
दादा साहब फाल्के के पोते चंद्रशेखर पुसालकर ने खुलासा किया कि आमिर खान और राजकुमार हिरानी की टीम बीते चार सालों से लगातार उनसे संपर्क में रही है। उन्होंने बताया, “उनके सहायक निर्माता और सह-लेखक ने हर स्टेज पर मुझसे सलाह ली है। उन्होंने परिवार को हमेशा शामिल रखा और हमारा विश्वास जीतने के लिए कड़ी मेहनत की।”
वहीं दूसरी ओर, एस.एस. राजामौली ने अब तक इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
इस बीच, यह भी पुष्टि हो चुकी है कि आमिर खान और राजकुमार हिरानी अक्टूबर 2025 में इस बहुप्रतीक्षित बायोपिक की शूटिंग शुरू करेंगे। फिल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे दादा साहब फाल्के ने अपनी मेहनत और जुनून से भारतीय सिनेमा की नींव रखी और उसे दुनिया के सबसे बड़े स्वदेशी फिल्म उद्योग में बदल दिया।
आमिर खान की टीम ने जानकारी दी है कि बयान में कहा गया, “फिल्म रिलीज़ के तुरंत बाद आमिर अपने रोल की तैयारी में जुट जाएंगे। लॉस एंजेलिस के एक VFX स्टूडियो ने फिल्म की कहानी के दौर और समय को ध्यान में रखते हुए पहले ही AI- Based डिज़ाइन तैयार कर लिए हैं।”
कौन थे दादा साहब फाल्के? Who was Dadasaheb Phalke?
दादा साहब फाल्के वो शख्स थे जिन्हें हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का “फादर ऑफ़ इंडियन सिनेमा”कहा जाता है। उनका असली नाम था धुंडिराज गोविंद फाल्के। उन्होंने भारत में पहली फीचर फिल्म “राजा हरिश्चंद्र” (1913) बनाई, जिसे भारत की पहली पूरी लंबी फिल्म माना जाता है। उस वक्त फिल्मों में आवाज़ नहीं होती थी, सिर्फ़ साइलेंट मूवी होती थी, लेकिन फाल्के ने दर्शकों को इतना मज़ा दिया कि लोग पहली बार सच में फिल्मों के दीवाने हो गए।
वे सिर्फ़ निर्देशक ही नहीं थे, बल्कि लेखक, निर्माता और यहां तक कि सेट डिजाइनर भी थे। हर काम खुद करते थे।भारत सरकार ने उनकी याद में हर साल एक खास पुरस्कार भी रखा है — दादा साहब फाल्के पुरस्कार — जो देश के सबसे बेहतरीन फिल्म निर्माता या कलाकारों को दिया जाता है।
दादा साहब फाल्के के लिए फिल्मों का मतलब सिर्फ सेलिब्रिटी या ग्लैमर नहीं था, बल्कि यह एक कला और समाज को जागरूक करने का जरिया था। दादा साहब फाल्के की मृत्यु 16 फरवरी, 1944 को नासिक में दिल का दौरा पड़ने से हुई। वे 74 वर्ष के थे।
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