CP Radhakrishnan Vice President: भारत के राजनीतिक इतिहास में 12 सितंबर 2025 का दिन हमेशा याद रखा जाएगा। इस दिन देश को उसका 15वां उपराष्ट्रपति मिला। सीपी राधाकृष्णन ने राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी समेत कई वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मौजूद थे।
शपथ ग्रहण समारोह का दृश्य | CP Radhakrishnan Vice President
#WATCH दिल्ली: सी.पी. राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली।
(वीडियो: डीडी) pic.twitter.com/p3fS9mXDje
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 12, 2025
राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई। इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश पर चुनाव आयोग द्वारा उपराष्ट्रपति के निर्वाचन का प्रमाण पत्र पढ़ा गया। माहौल पूरी तरह गरिमामय था और उपस्थित लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट के बीच सीपी राधाकृष्णन का स्वागत किया।
राष्ट्रपति मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई और इसके साथ ही सीपी राधाकृष्णन आधिकारिक रूप से भारत के 15वें उपराष्ट्रपति बन गए। शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें बधाई दी और उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएँ दीं।
धनखड़ से संभाली जिम्मेदारी

सीपी राधाकृष्णन ने जगदीप धनखड़ की जगह उपराष्ट्रपति पद संभाला है। धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से यह चुनाव तय समय से पहले कराना पड़ा।
धनखड़ की अनुपस्थिति में यह पद रिक्त हो गया था और तब से सभी की निगाहें इस चुनाव पर टिकी थीं। राधाकृष्णन की जीत के साथ अब यह पद भर चुका है और राज्यसभा को उसका नया सभापति भी मिल गया है।
उपराष्ट्रपति चुनाव में राधाकृष्णन की जीत
उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। उन्हें प्रथम वरीयता के 452 वोट मिले, जबकि सुदर्शन रेड्डी को 300 वोटों से संतोष करना पड़ा। इस जीत ने साफ कर दिया कि संसद में एनडीए का समर्थन अब भी मजबूत है।
राधाकृष्णन की इस बड़ी जीत ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद तक पहुँचाया और यह भारतीय राजनीति में उनकी लंबी यात्रा का नया अध्याय है।
समारोह में नेताओं की मौजूदगी
शुक्रवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में राजनीतिक गलियारों की लगभग सभी बड़ी हस्तियाँ मौजूद थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी मंच पर दिखे।
इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी समारोह में पहुँचे। विपक्ष के कई नेता भी इस अवसर पर मौजूद थे, जिससे यह साफ हुआ कि यह क्षण केवल राजनीतिक नहीं बल्कि राष्ट्रीय महत्व का था।
उपराष्ट्रपति पद की अहमियत
भारत का उपराष्ट्रपति केवल देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद नहीं है, बल्कि वह राज्यसभा का पदेन सभापति भी होता है। राज्यसभा की कार्यवाही को सुव्यवस्थित तरीके से चलाना, संसद के ऊपरी सदन में अनुशासन और संतुलन बनाए रखना, उपराष्ट्रपति की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है।
सीपी राधाकृष्णन को अब अगले पाँच वर्षों तक इस भूमिका को निभाना है। उनका अनुभव, राजनीतिक पृष्ठभूमि और संगठनात्मक क्षमता इस पद को और भी प्रभावशाली बनाने की उम्मीद दिलाती है।
सीपी राधाकृष्णन का जीवन और राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुपुर में हुआ। उनका सार्वजनिक जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर शुरू हुआ। वे एक सक्रिय स्वयंसेवक रहे और 1974 में जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने।
उनका राजनीतिक सफर भारतीय जनता पार्टी के साथ आगे बढ़ा। 1996 में उन्हें भाजपा का प्रदेश सचिव बनाया गया। दो साल बाद, 1998 में, वे कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा पहुँचे। 1999 में वे दोबारा सांसद बने और संसद में अपनी सक्रियता से पहचान बनाई।
2004 से 2007 तक उन्होंने भाजपा की तमिलनाडु इकाई का नेतृत्व किया। बाद में 2020 से 2022 के बीच वे केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे।
18 फरवरी 2023 को उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद 31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। केवल एक साल बाद ही वे देश के उपराष्ट्रपति बन गए।
राजनीतिक महत्व और संदेश
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना कई मायनों में राजनीतिक महत्व रखता है। तमिलनाडु जैसे राज्य से आने वाले नेता को इतना बड़ा संवैधानिक पद मिलना यह दर्शाता है कि भाजपा दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
एनडीए के लिए यह चुनावी दृष्टिकोण से भी अहम है क्योंकि आने वाले महीनों में कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। उपराष्ट्रपति पद पर एक अनुभवी और साफ छवि वाले नेता की मौजूदगी केंद्र सरकार के लिए नैतिक समर्थन का काम करेगी।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालाँकि उपराष्ट्रपति का पद राजनीतिक दृष्टि से तटस्थ माना जाता है, लेकिन राज्यसभा की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाना आसान नहीं होगा। विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच अक्सर टकराव होते रहते हैं। ऐसे में राधाकृष्णन की भूमिका संतुलन साधने और संवाद कायम रखने की होगी।
इसके अलावा, संसद के बाहर भी उनका दायित्व रहेगा कि वे जनता और नेताओं के बीच भरोसे का सेतु बनें।
सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति बनना भारतीय राजनीति का एक नया अध्याय है। आरएसएस के स्वयंसेवक से लेकर राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति तक की उनकी यात्रा प्रेरणादायक है। राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ ग्रहण समारोह इस बात का गवाह बना कि लोकतंत्र में हर पद केवल जिम्मेदारी नहीं बल्कि सेवा का अवसर भी है।
अब पूरा देश यह देखेगा कि राधाकृष्णन अपने कार्यकाल में राज्यसभा और जनता की उम्मीदों पर कितना खरे उतरते हैं। लेकिन इतना तय है कि उनकी सादगी, अनुभव और संगठनात्मक कौशल देश को अगले पाँच वर्षों तक एक मजबूत उपराष्ट्रपति देंगे।
ऐसे और भी National लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
भारत के नए उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन की जीत और राजनीतिक महत्व
भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव: प्रक्रिया, महत्व और संवैधानिक भूमिका