Operation Alert: राजस्थान के भारत-पाक बॉर्डर पर बीएसएफ की बड़ी कार्रवाई, आज़ादी से पहले घुसपैठ और तस्करी पर पूरी नज़र

Operation Alert: जैसलमेर से लेकर श्रीगंगानगर तक फैले राजस्थान के भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र पर इन दिनों सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम किए गए हैं। स्वतंत्रता दिवस से पहले किसी भी तरह की घुसपैठ, ड्रोन के जरिए तस्करी या अन्य अप्रिय घटना को रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने ‘ऑपरेशन अलर्ट’ शुरू कर दिया है।

यह विशेष अभियान 11 अगस्त से 17 अगस्त तक लगातार चलेगा, जिसमें BSF के जवान और अधिकारी दोनों ही सरहद पर चौबीसों घंटे तैनात रहेंगे। अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से सक्रिय ISI के नेटवर्क द्वारा संभावित अशांति फैलाने की कोशिशों की खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद यह अभियान और भी ज़रूरी हो गया है।

सीमा पर अलर्ट मोड: परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा

Operation Alert

Operation Alert: बीएसएफ सामान्य दिनों में भी राजस्थान बॉर्डर पर सख्त निगरानी रखती है, लेकिन स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्व से पहले सतर्कता का स्तर कई गुना बढ़ा दिया जाता है।
इस बार “ऑपरेशन अलर्ट” के तहत बॉर्डर पर सुरक्षा घेरा इतना मजबूत कर दिया गया है कि किसी को भी बिना अनुमति सीमा पार करना असंभव हो जाएगा।

बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“हमारा मकसद है कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि को पहले ही रोक दिया जाए, चाहे वह घुसपैठ हो, तस्करी हो या ड्रोन से अवैध सामान गिराना।”

श्रीगंगानगर और बीकानेर पर खास नज़र | Operation Alert

राजस्थान के पश्चिमी सीमा क्षेत्र में श्रीगंगानगर और बीकानेर सेक्टर लंबे समय से ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी के लिए कुख्यात रहे हैं।
पिछले एक साल में यहां कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जब पाकिस्तान की तरफ़ से आए ड्रोन में हेरोइन, हथियार या गोला-बारूद बरामद हुआ।

“ऑपरेशन अलर्ट” के दौरान इन इलाकों में अतिरिक्त पेट्रोलिंग, अस्थायी चौकियों और रातभर नाइट विज़न डिवाइस के साथ गश्त बढ़ाई गई है।

ऊंट और पैदल गश्त में बढ़ोतरी

राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद चुनौतीपूर्ण है।
गर्मी में तापमान 45 डिग्री से ऊपर चला जाता है और धूल भरी आंधियां दृश्यता को कुछ मीटर तक सीमित कर देती हैं। ऐसे हालात में ऊंट BSF के सबसे भरोसेमंद साथी साबित होते हैं।
“Operation Alert” के दौरान ऊंटों के जरिए लंबे रूट पर गश्त बढ़ा दी गई है, ताकि रेतीले टीलों के बीच से होने वाली किसी भी संदिग्ध गतिविधि को रोका जा सके।
साथ ही, पैदल गश्त भी पहले से ज्यादा बार और ज्यादा दूरी तक की जा रही है।

ड्रोन से बढ़ते खतरे पर खास निगरानी

पिछले कुछ वर्षों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्रोन से तस्करी एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है।
बीएसएफ ने इस खतरे से निपटने के लिए कई हाई-टेक तकनीकें अपनाई हैं, जिनमें एंटी-ड्रोन गन, रडार सिस्टम और नाइट सर्विलांस कैमरे शामिल हैं।
“Operation Alert” के दौरान ड्रोन अलर्ट सिस्टम को चौबीसों घंटे सक्रिय रखा गया है।
कोई भी संदिग्ध उड़ने वाली वस्तु सीमा के पास दिखाई देते ही तुरंत उसे ट्रैक और न्यूट्रलाइज़ करने की कार्रवाई की जाएगी।

खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल

बीएसएफ अकेले नहीं, बल्कि भारतीय सेना, स्थानीय पुलिस और खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर यह ऑपरेशन चला रही है।
हर संदिग्ध इनपुट को तुरंत साझा किया जा रहा है, ताकि मौके पर कार्रवाई में देरी न हो।
अधिकारियों का कहना है कि इस तरह का रियल-टाइम कोऑर्डिनेशन कई बार बड़ी घटनाओं को होने से पहले ही रोक देता है।

जैसलमेर: सरहद की सबसे कठिन पोस्ट

जैसलमेर सेक्टर, जो पाकिस्तान के सिंध प्रांत से सटा हुआ है, सुरक्षा के लिहाज़ से सबसे संवेदनशील इलाकों में गिना जाता है।
यहां लंबी दूरी तक कोई बस्ती नहीं है, जिससे घुसपैठियों को छिपने के मौके मिल सकते हैं।
“ऑपरेशन अलर्ट” के दौरान यहां थर्मल इमेजिंग डिवाइस और मोबाइल बंकर लगाए गए हैं, ताकि दिन-रात निगरानी रखी जा सके।

रेगिस्तान में बीएसएफ का जज़्बा

गर्मी की मार, रेत के तूफ़ान, पानी की कमी — ये सब बातें रेगिस्तानी सीमा पर तैनात जवानों के रोज़मर्रा का हिस्सा हैं।
फिर भी, देश की सुरक्षा के लिए बीएसएफ के जवान दिन-रात गश्त करते हैं।
इस बार “Operation Alert” के तहत जवानों की ड्यूटी शिफ्ट और भी लंबी हो गई है, ताकि हर इंच पर नज़र रखी जा सके।

स्वतंत्रता दिवस पर क्यों बढ़ता है खतरा?

राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर अक्सर सीमा पार से अशांति फैलाने की कोशिशें तेज़ हो जाती हैं।
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस बार भी पाकिस्तान की ISI और उससे जुड़े आतंकी संगठनों ने सीमा के ज़रिए नशीले पदार्थ और हथियार भेजने की योजना बनाई है।
इसी वजह से 11 से 17 अगस्त तक का समय बीएसएफ के लिए सबसे अहम माना जा रहा है।

सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया

“ऑपरेशन अलर्ट” की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर #BSF, #OperationAlert और #IndoPakBorder जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कई यूज़र्स ने बीएसएफ जवानों की तस्वीरें और वीडियो शेयर कर उनके साहस और समर्पण को सलाम किया।
स्थानीय ग्रामीणों ने भी इस ऑपरेशन का समर्थन करते हुए कहा कि इससे उन्हें ज्यादा सुरक्षित महसूस हो रहा है, खासकर उन इलाकों में जहां पहले ड्रोन से नशीले पदार्थ गिराए जाने के मामले सामने आए थे।

निगरानी तकनीक का नया स्तर

इस ऑपरेशन में केवल मानव संसाधन ही नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक का भी व्यापक इस्तेमाल हो रहा है। सीमा पर लगे सीसीटीवी कैमरे, थर्मल स्कैनर्स, ग्राउंड सेंसर और सैटेलाइट इमेजरी लगातार डेटा भेज रहे हैं। बीएसएफ का कमांड सेंटर इन सबका विश्लेषण कर हर संभावित खतरे की पहचान कर रहा है।

बीएसएफ का संदेश

बीएसएफ ने स्पष्ट किया है कि इस ऑपरेशन का मकसद केवल घुसपैठ रोकना ही नहीं, बल्कि सीमा के हर इंच को सुरक्षित रखना है।
जवानों का मनोबल ऊंचा है और सभी इस जिम्मेदारी को गर्व के साथ निभा रहे हैं।
बीएसएफ के एक अधिकारी ने कहा —

“सीमा की सुरक्षा केवल सैनिकों की नहीं, बल्कि हर भारतीय की जिम्मेदारी है। हम यहां खड़े हैं ताकि देश के लोग चैन से तिरंगा लहरा सकें।”

          “Operation Alert” सिर्फ एक सुरक्षा अभियान नहीं, बल्कि देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता के प्रति बीएसएफ की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
राजस्थान की सरहद पर तैनात ये जवान कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी देश की सुरक्षा में कोई कमी नहीं आने देते।
स्वतंत्रता दिवस से पहले यह ऑपरेशन उन सभी को यह भरोसा दिलाता है कि भारत की सीमाएं सुरक्षित हैं और किसी भी दुश्मन को यहां अपनी चाल चलने का मौका नहीं मिलेगा।

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