Banke Bihari Corridor Controversy: उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर योजना इन दिनों विवादों में घिरी हुई है। लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह कॉरिडोर परियोजना वृंदावन की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए खतरा मानी जा रही है। खासकर वृंदावन के गोस्वामी समाज ने इस योजना का जोरदार विरोध शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि इस कॉरिडोर के निर्माण से न केवल वृंदावन की ऐतिहासिक पहचान खत्म हो जाएगी, बल्कि मंदिर की आध्यात्मिकता पर भी गहरा असर पड़ेगा।
बांके बिहारी कॉरिडोर क्या है?
बांके बिहारी मंदिर वृंदावन का एक अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। मंदिर के आसपास की संकरी गलियां और पुरानी वास्तुकला इस क्षेत्र की पहचान हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मंदिर के लिए एक बड़े कॉरिडोर का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं और सुगम दर्शन प्रदान करना है।
यह कॉरिडोर लगभग 5 एकड़ में फैला होगा और इसमें तीन प्रवेश द्वार, दो मंजिलों वाला निर्माण, आधुनिक सुविधाएं जैसे पार्किंग, सुरक्षा इंतजाम और श्रद्धालुओं के लिए आरामदेह इंतजाम शामिल होंगे। सरकार का दावा है कि इससे भीड़ नियंत्रण में मदद मिलेगी और मंदिर दर्शन की प्रक्रिया सहज होगी।
गोस्वामी समाज का विरोध: क्यों?
गोस्वामी समाज ने इस कॉरिडोर योजना का विरोध कई कारणों से शुरू किया है, जिनका वे मानना है कि यह वृंदावन की पवित्रता और सांस्कृतिक धरोहर को नुकसान पहुंचाएगा। इनके प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:
1. वृंदावन की “कुंज गलियां” खत्म हो जाएंगी
वृंदावन की संकरी और पुरानी गलियां, जिन्हें कुंज गलियां कहा जाता है, भगवान कृष्ण और राधा की लीलाओं से जुड़ी हुई हैं। गोस्वामी समाज का मानना है कि कॉरिडोर के निर्माण से ये गलियां पूरी तरह खत्म हो जाएंगी। ये गलियां न केवल ऐतिहासिक महत्व रखती हैं, बल्कि वृंदावन के धार्मिक माहौल का आधार भी हैं। इनके खत्म होने से शहर का वह अनूठा धार्मिक आकर्षण और सांस्कृतिक विरासत धूमिल हो जाएगी, जो विश्वभर में वृंदावन को विशिष्ट बनाती है।
2. वृंदावन का शांत और आध्यात्मिक वातावरण नष्ट होगा
गोस्वामी समाज को डर है कि आधुनिक और भव्य कॉरिडोर निर्माण से वृंदावन की पारंपरिक भक्ति और पूजा पद्धति प्रभावित होगी। मंदिर की सादगी और भक्ति की भावना जो अब तक कायम है, वह खो सकती है। वे मानते हैं कि यह परियोजना स्थानीय आस्था और सदियों पुरानी परंपराओं को कमजोर कर सकती है।
3. स्थानीय दुकानदारों और परिवारों की आजीविका पर संकट
मंदिर के आस-पास कई परिवार पीढ़ियों से दुकानदारी और श्रद्धालुओं की सेवा में लगे हैं। इस कॉरिडोर के निर्माण से उन दुकानों को हटाया जाना पड़ेगा, जिससे लाखों परिवारों की रोजी-रोटी खतरे में पड़ सकती है। गोस्वामी समाज इस आर्थिक संकट को लेकर भी चिंतित है।
4. पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की आशंका
समाज का आरोप है कि 500 करोड़ रुपये की इस परियोजना में पारदर्शिता का अभाव हो सकता है। वे कहते हैं कि टेंडर प्रक्रिया में मनमानी और धन के दुरुपयोग की संभावना है, जिससे मंदिर की गरिमा और भक्तों के दान की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
सरकार की क्या योजना है?
उत्तर प्रदेश सरकार इस कॉरिडोर को एक ड्रीम प्रोजेक्ट मानती है, जो मंदिर दर्शन को सुगम, सुरक्षित और व्यवस्थित बनाएगा। सरकार के अनुसार, कोरोना महामारी के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है और भीड़ नियंत्रण आवश्यक हो गया है।
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डिजाइन: 5 एकड़ में दो मंजिला कॉरिडोर
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प्रवेश द्वार: तीन प्रमुख प्रवेश द्वार
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सुविधाएं: पार्किंग, सुरक्षा, आरामदायक इंतजाम
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लाभ: श्रद्धालुओं को बेहतर दर्शन सुविधा, भीड़ नियंत्रण, और वृंदावन को पर्यटन हब के रूप में विकसित करना
सरकार ने यह भी कहा है कि वे स्थानीय समुदाय की चिंताओं को सुनने और हल करने के लिए तैयार हैं।
कॉरिडोर की आवश्यकता क्यों पड़ी?
बांके बिहारी मंदिर में विशेष त्योहारों जैसे जन्माष्टमी पर भारी भीड़ जुटती है। पिछले साल भीड़ प्रबंधन की कमी से भगदड़ हुई थी, जिसमें दो श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रशासन को मंदिर के लिए बेहतर भीड़ प्रबंधन योजना बनाने का आदेश दिया था।
यह कॉरिडोर भीड़ नियंत्रण के लिए बनाया जा रहा है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित और सहज रूप से मंदिर का दर्शन कर सकें।
विवाद का सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
वृंदावन न केवल एक धार्मिक केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और इतिहास की अमूल्य धरोहर भी है। यहां की गलियां, मंदिर, और परंपराएं पीढ़ियों से संजोई गई हैं। कॉरिडोर योजना से अगर ये सब प्रभावित हुआ तो केवल एक भौतिक संरचना नहीं बदलेगी, बल्कि वृंदावन की आत्मा पर भी असर पड़ेगा।
स्थानीय लोग और भक्तों के लिए वृंदावन की सादगी और शांत वातावरण ही उसकी सबसे बड़ी खूबसूरती है। अगर यह खो गया तो वृंदावन का वह जादू भी कहीं खो जाएगा।
निष्कर्ष: विवाद का समाधान कैसे हो?
बांके बिहारी कॉरिडोर विवाद का समाधान संवाद और पारदर्शिता में है। सरकार को स्थानीय समुदाय और गोस्वामी समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए योजना में आवश्यक बदलाव करने चाहिए।
वृंदावन की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए आधुनिक सुविधाओं और परंपराओं के बीच संतुलन बनाना होगा। ऐसा किया जा सकता है यदि सभी पक्ष मिलकर योजना को बेहतर बनाएं और वृंदावन के इतिहास, आस्था, और विकास का सामंजस्य स्थापित करें।
Q1. बांके बिहारी कॉरिडोर क्या है?
Q2. गोस्वामी समाज इस योजना का विरोध क्यों कर रहा है?
Q3. सरकार कॉरिडोर से क्या हासिल करना चाहती है?
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