B-2 Bomber: हाल ही में अमेरिका के अत्याधुनिक और रहस्यमय युद्धक विमान B-2 Spirit Bomber एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। यह विमान, जिसे दुनिया का सबसे घातक और महंगा स्टील्थ बॉम्बर कहा जाता है, न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं के लिए जाना जाता है, बल्कि इसकी मौजूदगी भर से दुश्मन देशों की नींद उड़ जाती है। जून 2025 में इसकी तैनाती को लेकर कई खबरें आईं, जिसने इसे एक बार फिर मीडिया और सामरिक विशेषज्ञों की चर्चा का केंद्र बना दिया।

क्या है B-2 Bomber?
B-2 Spirit Bomber, जिसे आमतौर पर B-2 Bomber कहा जाता है, अमेरिका द्वारा विकसित किया गया एक stealth strategic bomber है। इसे Northrop Grumman कंपनी ने बनाया है और यह पहली बार 1989 में उड़ान भरी थी। इसका मुख्य उद्देश्य गहरे दुश्मन क्षेत्र में परमाणु और पारंपरिक हथियार गिराना है, वो भी बिना राडार में पकड़े गए।
इसकी विशेषताएं:
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Radar Evading Technology: इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह दुश्मन के राडार को चकमा दे सके।
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Flying Wing Design: यह विमान पारंपरिक टेल और फ्यूसलाज के बिना केवल एक पंख की तरह दिखता है।
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Heavy Payload: यह 18 टन तक हथियार ले जा सकता है, जिसमें न्यूक्लियर बम भी शामिल हैं।
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Long Range: B-2 एक बार में बिना रुके लगभग 11,000 किलोमीटर तक उड़ सकता है।
क्यों है B-2 Bomber एक बार फिर खबरों में?
1. अमेरिका की नई Indo-Pacific नीति के तहत तैनाती
जून 2025 में अमेरिका ने प्रशांत महासागर क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने की घोषणा की। इसके तहत B-2 Bomber को गुप्त रूप से गुआम बेस और डिएगो गार्सिया जैसे रणनीतिक ठिकानों पर भेजा गया। यह कदम चीन की बढ़ती आक्रामकता और दक्षिण चीन सागर में तनाव के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
2. रूस-यूक्रेन युद्ध और NATO की तैयारी
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने NATO को और सजग कर दिया है। ऐसी खबरें हैं कि B-2 को यूरोप के कुछ बेसों पर भी तैनात किया जा सकता है, ताकि रूस को चेतावनी दी जा सके।
3. टेक्नोलॉजी अपग्रेड
Northrop Grumman ने हाल ही में घोषणा की कि B-2 में नई जनरेशन की डिजिटल तकनीक, अपग्रेडेड सेंसर और बेहतर डेटा नेटवर्किंग लगाई गई है। यह उसे और भी ज्यादा खतरनाक और अदृश्य बना देती है।
इतिहास और विकास:
B-2 Bomber का विकास 1980 के दशक में शीत युद्ध के दौरान हुआ था। अमेरिका को एक ऐसे बॉम्बर की जरूरत थी जो सोवियत संघ की हवाई रक्षा प्रणाली को चकमा दे सके। यह प्रोजेक्ट बेहद गोपनीय था और इसका बजट $2 बिलियन प्रति विमान तक पहुंच गया, जिससे यह इतिहास का सबसे महंगा फाइटर बन गया।
पहली बार इसे 1999 में कोसोवो युद्ध में इस्तेमाल किया गया था, जहाँ इसने अपने स्टील्थ गुणों से दुश्मन की संरचनाओं को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। इसके बाद इराक, अफगानिस्तान और लीबिया में भी इसका प्रयोग हुआ।
भारत के लिए क्या मायने रखता है B-2 Bomber?
भारत के लिए B-2 केवल एक विमान नहीं, बल्कि सामरिक चेतावनी का प्रतीक है। अमेरिका ने जब भी इस बॉम्बर को तैनात किया है, वह क्षेत्र तनावग्रस्त रहा है। भारत की नजर हमेशा इस पर रहती है क्योंकि चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की गतिविधियों के खिलाफ यह एक अप्रत्यक्ष बैलेंसिंग टूल भी बन सकता है।
B-2 जैसी टेक्नोलॉजी भारत के लिए प्रेरणा भी है, क्योंकि भारत भी अब अपने AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जिसमें स्टील्थ तकनीक शामिल होगी।
विवाद और आलोचनाएं:
हालांकि B-2 Bomber अत्याधुनिक है, पर इसे लेकर कई विवाद भी हुए हैं:
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अत्यधिक लागत: एक B-2 की कीमत लगभग ₹16,000 करोड़ (लगभग $2.1 billion) है।
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सर्विस में कठिनाई: इसका रख-रखाव बहुत ही जटिल और महंगा है।
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गोपनीय दुर्घटनाएं: कुछ B-2 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं, जिनकी जानकारी आम जनता को बहुत देर से मिली।
भविष्य क्या है?
अमेरिका अब B-21 Raider पर काम कर रहा है, जो B-2 का उत्तराधिकारी होगा। लेकिन जब तक B-21 पूरी तरह से ऑपरेशनल नहीं हो जाता, तब तक B-2 ही अमेरिका की एयर स्ट्राइक रणनीति की रीढ़ बना रहेगा।
B-2 Bomber न सिर्फ एक युद्धक विमान है, बल्कि यह आधुनिक युद्ध रणनीति, तकनीकी प्रगति और वैश्विक शक्ति संतुलन का प्रतीक भी है। जब भी यह विमान आसमान में उड़ता है, तो एक बात तय होती है – कोई न कोई बड़ा संदेश दिया जा रहा है। वर्तमान वैश्विक तनाव और रणनीतिक समीकरणों को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि B-2 Bomber आने वाले वर्षों में भी खबरों में बना रहेगा।
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