Assam Earthquake: असम कांपा, 5.9 तीव्रता के जोरदार भूकंप से हिली धरती, पांच देशों तक पहुंचे झटके

Assam Earthquake: आज शाम 14 सितंबर 2025 को असम की धरती अचानक जोरदार झटकों से कांप उठी। शाम 4 बजकर 41 मिनट पर आए इस भूकंप की तीव्रता 5.9 रिक्टर पैमाने पर मापी गई। इसका केंद्र असम के उदलगुड़ी जिले में था और गहराई सिर्फ 5 किलोमीटर रही।

गुवाहाटी समेत असम के कई इलाकों में लोग डरकर घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। झटके इतने तेज थे कि पड़ोसी देशों और राज्यों तक असर महसूस किया गया।

किन-किन जगहों पर महसूस हुए झटके | Assam Earthquake

Assam Earthquake

इस भूकंप का दायरा बहुत बड़ा था।

  • असम के लगभग सभी हिस्सों में लोग इसे महसूस कर पाए।
  • राजधानी गुवाहाटी में सड़कों पर अफरा-तफरी मच गई।
  • भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यांमार और चीन तक धरती हिलती हुई महसूस की गई।
  • उत्तर बंगाल और पूर्वोत्तर के अन्य राज्य भी प्रभावित रहे।

लोगों में डर का माहौल

झटकों के तुरंत बाद असम में हड़कंप मच गया। लोग अपने बच्चों और बुजुर्गों को लेकर घरों से बाहर निकल पड़े। गुवाहाटी के बाजारों में लोग दुकानों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचे।

कई लोगों ने बताया कि घरों में पंखे, लाइटें और बर्तन हिलने लगे। बच्चों में डर का माहौल रहा और लोग लंबे समय तक घरों से बाहर ही रहे।

प्रशासन की सतर्कता

भूकंप के बाद प्रशासन ने राहत और बचाव दलों को तुरंत अलर्ट पर रखा। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन सरकार पूरी तरह स्थिति पर नजर रखे हुए है।

पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी असम की जनता की सुरक्षा की कामना करते हुए सभी को सतर्क रहने की अपील की। प्रशासन ने स्पष्ट कहा कि अफवाहों पर ध्यान न दें और संयम बनाए रखें।

कितना हुआ नुकसान

फिलहाल किसी बड़ी जनहानि की खबर नहीं है।

  • उदलगुड़ी जिले में दो बच्चियां मामूली रूप से घायल हुई हैं, जब उनके घर की छत का हिस्सा गिर गया।
  • कई जगह दीवारों में दरारें आई हैं और छतों से प्लास्टर झड़ गया।
  • कुछ इमारतों की खिड़कियां और पाइपलाइन भी प्रभावित हुई हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नुकसान गैर-संरचनात्मक है और मुख्य इमारतें सुरक्षित हैं। लेकिन आफ्टरशॉक्स का खतरा अभी भी बना हुआ है।

असम क्यों है भूकंप का गढ़?

असम और पूरा पूर्वोत्तर भारत देश का सबसे संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र है। यह क्षेत्र भूकंपीय जोन-V में आता है, जो सबसे खतरनाक जोन है।

यहां पर भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती हैं। इसी वजह से यह इलाका हमेशा भूकंप की चपेट में रहता है। यही कारण है कि असम में छोटे और बड़े भूकंप अक्सर दर्ज किए जाते हैं।

पिछले भूकंपों की याद

यह पहला मौका नहीं है जब असम में धरती इतनी जोर से हिली हो।

  • 2 सितंबर 2025 को सोनितपुर जिले में 3.5 तीव्रता का भूकंप आया था।
  • 2021 में सोनितपुर में ही 6.4 तीव्रता का बड़ा भूकंप आया था।
  • 1950 का असम भूकंप भारत के इतिहास का सबसे बड़ा था, जिसकी तीव्रता 8.6 रही थी।

इन घटनाओं से साफ है कि असम लगातार भूकंप के खतरे में रहता है।

उथला भूकंप और उसका असर

आज का भूकंप सिर्फ 5 किलोमीटर की गहराई पर आया। ऐसे भूकंपों को उथला भूकंप कहा जाता है। उथले भूकंप के झटके ज्यादा तीव्र महसूस होते हैं और इमारतों को नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है।

5.9 तीव्रता का भूकंप मध्यम से तेज श्रेणी में आता है। यह बड़े पैमाने पर इमारतें नहीं गिराता, लेकिन दरारें और छोटे-मोटे नुकसान कर सकता है।

आफ्टरशॉक्स का खतरा

भूकंप के बाद सबसे बड़ा खतरा आफ्टरशॉक्स का होता है। आफ्टरशॉक्स मुख्य भूकंप के बाद कुछ घंटों या दिनों तक आते रहते हैं। ये कभी हल्के होते हैं, तो कभी खतरनाक भी साबित हो सकते हैं।

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि लोगों को सतर्क रहना चाहिए और अगले कुछ दिनों तक सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।

लोगों को क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए

भूकंप से बचने के लिए लोगों को कुछ साधारण सावधानियाँ अपनानी जरूरी हैं।

  • झटके लगते ही घर से बाहर निकलें और खुले मैदान में चले जाएं।
  • अगर बाहर न जा सकें, तो मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
  • खिड़कियों, शीशों और बिजली के उपकरणों से दूर रहें।
  • लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
  • जरूरत का सामान जैसे पानी, दवाइयां और टॉर्च हमेशा तैयार रखें।

आम जनता की बातें

गुवाहाटी और उदलगुड़ी के लोगों ने बताया कि झटके इतने जोरदार थे कि कुछ सेकंड के लिए लगा इमारतें गिर सकती हैं। दुकानों में लोग बाहर भागने लगे और बच्चे डर के मारे रोने लगे।

कई लोग देर शाम तक घरों के बाहर ही बैठे रहे, ताकि आफ्टरशॉक्स आने पर सुरक्षित रह सकें।

असम में आया आज का भूकंप एक बार फिर यह याद दिलाता है कि पूर्वोत्तर भारत भूकंपीय दृष्टि से कितना संवेदनशील है। हालांकि किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन सतर्कता अभी भी बेहद जरूरी है।

सरकार और प्रशासन ने त्वरित कदम उठाए हैं और राहत दलों को अलर्ट पर रखा गया है। अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी आम जनता की है कि वे संयम बनाए रखें, अफवाहों से दूर रहें और सुरक्षा उपायों का पालन करें।

भूकंप को टाला नहीं जा सकता, लेकिन जागरूकता और तैयारी के जरिए इसके नुकसान को कम किया जा सकता है।

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