भारतीय क्रिकेट टीम को एक और नई ताकत मिल गई है — अंशुल कंबोज। बुधवार, 23 जुलाई से इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में खेले जा रहे चौथे टेस्ट मैच में अंशुल कंबोज को टेस्ट डेब्यू का मौका मिला और यह उनकी मेहनत और लगन का नतीजा है। एक छोटे से कस्बे से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचने की यह कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित करने वाली है। आइए, जानते हैं कि कौन हैं अंशुल कंबोज, उनका क्रिकेट सफर, संघर्ष और उपलब्धियां।
कौन हैं अंशुल कंबोज?
अंशुल कंबोज का जन्म 6 दिसंबर 2000 को हरियाणा के करनाल जिले में हुआ। वह एक मध्यम गति के तेज गेंदबाज और दाएं हाथ के ऑलराउंडर हैं। अंशुल ने क्रिकेट की शुरुआत अपने गांव के एक छोटे मैदान से की थी। उनके पिता एक साधारण किसान हैं और मां गृहिणी। सीमित संसाधनों में अंशुल ने क्रिकेट के प्रति अपने जुनून को कभी कम नहीं होने दिया। वह रोज़ाना सुबह 4 बजे उठकर ट्रेनिंग करते थे और अपने गांव से 30 किलोमीटर दूर जाकर अभ्यास करते थे। उनका यह समर्पण आज उन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बना चुका है।
संघर्षों से भरी रही शुरुआत
अंशुल की क्रिकेट यात्रा आसान नहीं रही। बचपन में उनके पास न तो महंगे क्रिकेट गियर थे, न ही कोई स्पेशल कोचिंग। अपने पहले क्लब के लिए उन्हें खुद अपने पैसे से किट खरीदनी पड़ी। एक समय ऐसा भी आया जब आर्थिक तंगी के कारण उनके परिवार ने उन्हें क्रिकेट छोड़ देने की सलाह दी, लेकिन अंशुल का सपना बड़ा था। उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ क्रिकेट को भी जारी रखा और हर टूर्नामेंट में खुद को साबित किया।
रणजी ट्रॉफी में 10 विकेट की ऐतिहासिक पारी
अंशुल का असली नाम घरेलू क्रिकेट में चमका जब उन्होंने रणजी ट्रॉफी 2024/25 सीज़न में केरल के खिलाफ एक ही पारी में सभी 10 विकेट लेकर इतिहास रच दिया। लाहली के चौधरी बंसीलाल स्टेडियम में खेले गए इस मैच में उन्होंने 49 रन देकर 10 विकेट लिए। यह कारनामा करने वाले वह केवल तीसरे गेंदबाज बने — बंगाल के प्रेमांग्शु चटर्जी (1956-57) और राजस्थान के प्रदीप सोमासुंदरम (1985-86) के बाद। यह एक ऐतिहासिक पल था जिसने उन्हें नेशनल सेलेक्टर्स की नजर में ला दिया।
आईपीएल में भी दिखाया दम
अंशुल कंबोज पहले मुंबई इंडियंस का हिस्सा रहे हैं लेकिन फिलहाल वह चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलते हैं। आईपीएल में उन्होंने सीमित मौकों में भी अपनी गेंदबाजी से असर छोड़ा है। तेज गति और सटीक लाइन लेंथ उनकी पहचान बन चुकी है। एमएस धोनी जैसे कप्तान के मार्गदर्शन में उन्होंने अपने खेल को और भी निखारा है।
अंशुल कंबोज की गेंदबाज़ी स्पीड और सबसे तेज़ गेंद
अंशुल कंबोज की औसत गेंदबाज़ी स्पीड 135 से 140 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच रहती है। उनके पास पिच पर अतिरिक्त उछाल निकालने की क्षमता है, जो उन्हें खास बनाती है। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में अब तक अपनी सबसे तेज गेंद 144.6 किमी/घंटा की गति से डाली है, जो कि किसी भी मध्यम गति के तेज़ गेंदबाज़ के लिए शानदार आंकड़ा है।
इंग्लैंड लायंस के खिलाफ शानदार प्रदर्शन
टेस्ट डेब्यू से पहले अंशुल ने इंग्लैंड लायंस के खिलाफ दो मैचों में भारत ए के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। नॉर्थम्पटन और कैंटरबरी में चार पारियों में उन्होंने 5 विकेट चटकाए। यही प्रदर्शन उन्हें भारतीय टेस्ट टीम के दरवाजे तक लेकर आया।
कैसे मिला टेस्ट डेब्यू का मौका?
अंशुल को मूलतः आकाश दीप और अर्शदीप सिंह के कवर के तौर पर टीम में शामिल किया गया था। आकाश दीप ग्रोइन की चोट से जूझ रहे हैं और अर्शदीप सिंह को नेट्स के दौरान चोट लग गई थी। दोनों की उपलब्धता को लेकर संदेह बना हुआ था। ऐसे में चयनकर्ताओं ने अंशुल पर भरोसा जताया और उन्हें चौथे टेस्ट के लिए टीम में शामिल किया।
डोइशे का बयान और मेडिकल रिपोर्ट
टीम के सहायक कोच रियान टेन डोइशे ने कहा था कि मैनचेस्टर टेस्ट से पहले टीम संयोजन पर फैसला लिया जाएगा और अर्शदीप की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने बताया कि अर्शदीप के हाथ में कट है और यह देखा जा रहा है कि कितनी गंभीर चोट है। इसी वजह से अंशुल को मौका मिला।
दलीप ट्रॉफी और अन्य घरेलू टूर्नामेंट में प्रदर्शन
दलीप ट्रॉफी 2024/25 में अंशुल भारत सी के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। उन्होंने 5 पारियों में 17.12 की औसत से 16 विकेट चटकाए। भारत बी के खिलाफ 8/69 का उनका प्रदर्शन खासा चर्चित रहा।
इमर्जिंग एशिया कप 2024 में भी उन्होंने भारत ए की ओर से खेलते हुए 3 मैचों में 4 विकेट लिए। पाकिस्तान शाहीन के खिलाफ 3/33 की शानदार गेंदबाजी कर प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब भी जीता।
लिस्ट ए और टी20 करियर
विजय हजारे ट्रॉफी 2023/24 में उन्होंने हरियाणा के लिए 10 मैचों में 17 विकेट चटकाए और अपनी टीम को पहली बार टूर्नामेंट जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका इकोनॉमी रेट 3.58 रहा, जो एक तेज गेंदबाज के लिए शानदार माना जाता है।
वहीं सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2022 में उन्होंने 7 मैचों में 7 विकेट लिए और अपनी स्किडी डिलीवरीज़ से बल्लेबाजों को परेशान किया।
अंशुल कंबोज का करियर रिकॉर्ड (2024 तक)
प्रथम श्रेणी क्रिकेट (रणजी ट्रॉफी): मैच: 22 विकेट: 74 औसत: 22.66 सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी: 10/49 (केरल के खिलाफ)
लिस्ट ए (विजय हजारे ट्रॉफी): मैच: 10 विकेट: 17 इकोनॉमी: 3.58
टी20 (सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी): मैच: 7 विकेट: 7
मां के लिए खेली थी 10 विकेट वाली पारी
रणजी ट्रॉफी में 10 विकेट लेने के बाद एक भावुक इंटरव्यू में अंशुल ने बताया कि वह पारी उन्होंने अपनी मां को समर्पित की थी, जो उस समय गंभीर रूप से बीमार थीं। उन्होंने कहा, “मां ने कहा था कि बेटा तुझे इंडिया के लिए खेलता देखना है, और उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि अब पीछे नहीं मुड़ना है।” उस दिन का जज़्बा ही उन्हें टेस्ट टीम तक ले आया।
क्रिकेट के इतिहास में 10 विकेट लेने वाले खिलाड़ियों की सूची बहुत छोटी है। ये आंकड़ा खुद में ही एक बड़ी उपलब्धि है। अंशुल कंबोज ने जिस अंदाज में गेंदबाज़ी की, उसने सबको चौंका दिया।
उन्होंने लगातार लाइन-लेंथ पर ध्यान दिया, बल्लेबाज़ों को पढ़ा, और हर एक विकेट सोच-समझ कर निकाला। हर विकेट के साथ वो मैदान के उस छोर को निहारते रहे, जहां शायद उनकी मां का चेहरा उनकी आंखों में उतर रहा था।
भारत को मिला एक और रत्न
अंशुल कंबोज की कहानी न सिर्फ क्रिकेट की बल्कि एक आम युवा के सपने की कहानी है, जो हर बाधा को पार करके अपने लक्ष्य तक पहुंचा। उनकी मेहनत, समर्पण और लगन आज उन्हें टेस्ट टीम तक ले आई है। अब देखना होगा कि वे इस मौके को कैसे भुनाते हैं। लेकिन इतना तय है कि भारत को एक और होनहार गेंदबाज मिल चुका है।
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