PM Modi और राष्ट्रपति पुतिन की फोन पर अहम बातचीत– यूक्रेन संकट और भारत-रूस साझेदारी पर हुई चर्चा

भारत और रूस के बीच दशकों से चले आ रहे रणनीतिक रिश्ते एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हाल ही में PM Modi ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से टेलीफोन पर लंबी और महत्वपूर्ण बातचीत की। इस बातचीत में यूक्रेन संकट, द्विपक्षीय संबंध और भविष्य की रणनीतिक साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने एक बार फिर यह संकेत दिया कि भारत और रूस आने वाले समय में अपने रिश्तों को और गहरा करने के लिए तैयार हैं।

यूक्रेन संकट पर चर्चा और भारत की शांति नीति

फोन कॉल के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने PM Modi को यूक्रेन से जुड़ी ताज़ा घटनाओं की जानकारी दी। इसके जवाब में पीएम मोदी ने भारत की पुरानी और स्पष्ट नीति दोहराई कि भारत हमेशा संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद को बातचीत और कूटनीति के जरिए सुलझाना ही सबसे बेहतर रास्ता है। यह बयान भारत की उस वैश्विक छवि को मजबूत करता है, जिसमें वह एक शांतिप्रिय और मध्यस्थ देश के रूप में देखा जाता है।

रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता

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दोनों नेताओं ने इस बातचीत में भारत-रूस के दशकों पुराने रणनीतिक रिश्ते को और मज़बूत करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ऊर्जा, रक्षा, व्यापार, तकनीक और अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाया जाएगा। भारत और रूस का रिश्ता केवल आर्थिक या सैन्य सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जुड़ाव भी शामिल है।

राष्ट्रपति पुतिन को भारत का निमंत्रण

PM Modi ने बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पुतिन को इस साल के अंत में भारत आने का औपचारिक निमंत्रण दिया। यह निमंत्रण वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए था, जो भारत-रूस संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। इस शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के बीच कई बड़े समझौते होने की संभावना रहती है, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देते हैं।

सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की पोस्ट

बातचीत के बाद PM Modi ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की। उन्होंने लिखा, “मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन से एक अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई। उन्होंने यूक्रेन पर हाल की घटनाओं से अवगत कराया, इसके लिए मैं उनका आभारी हूं। हमने भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की समीक्षा की और उसे और गहरा करने की प्रतिबद्धता जताई। मैं इस साल के अंत में भारत में राष्ट्रपति पुतिन की मेजबानी के लिए उत्साहित हूं।”
यह पोस्ट न सिर्फ जानकारी देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दोनों नेताओं के बीच संबंध कितने भरोसेमंद और व्यक्तिगत स्तर पर भी मजबूत हैं।

अजीत डोभाल और पुतिन की मुलाकात का महत्व

PM Modiऔर पुतिन की बातचीत से एक दिन पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने क्रेमलिन में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की थी। इस बैठक में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई भी मौजूद थे। इस दौरान रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हुई। अजीत डोभाल ने दोहराया कि भारत सभी क्षेत्रों में रूस के साथ साझेदारी जारी रखना चाहता है।
यह मुलाकात संकेत देती है कि भारत और रूस के बीच बातचीत केवल नेताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि संस्थागत स्तर पर भी सक्रिय है।

ब्राजील के राष्ट्रपति से हुई अलग बातचीत

रूस के साथ हुई चर्चा के अलावा PM Modi ने हाल ही में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला से भी फोन पर बातचीत की। इस बातचीत में दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, रक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई गई।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला से अच्छी बातचीत हुई। उन्होंने मेरी ब्राज़ील यात्रा को यादगार बनाया, इसके लिए धन्यवाद। हम व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, रक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच जन-केंद्रित साझेदारी सभी के लिए लाभकारी है।”

भारत-रूस संबंधों का ऐतिहासिक पहलू

भारत और रूस (पूर्व सोवियत संघ) के रिश्ते ठंड युद्ध के दौर से ही गहरे रहे हैं। रूस ने भारत के औद्योगिक विकास, रक्षा तकनीक और अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। बदले में भारत ने भी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस का कई बार समर्थन किया है। इस बार की बातचीत इसी लंबे और भरोसेमंद रिश्ते को और मजबूत बनाने की दिशा में एक कदम है।

वैश्विक राजनीति में भारत की संतुलित भूमिका

यूक्रेन संकट पर भारत का रुख हमेशा से संतुलित रहा है। भारत ने न तो रूस का खुला विरोध किया और न ही सैन्य कार्रवाई का समर्थन। इसके बजाय उसने लगातार संवाद और कूटनीतिक समाधान पर जोर दिया है। इस नीति ने भारत को एक ऐसे देश के रूप में स्थापित किया है, जो किसी भी संघर्ष में मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

आने वाले समय में संभावित सहयोग

भारत और रूस के बीच भविष्य में कई बड़े प्रोजेक्ट्स की संभावना है। इनमें ऊर्जा क्षेत्र में नए समझौते, रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन, डिजिटल तकनीक में साझेदारी और शिक्षा व संस्कृति में आदान-प्रदान शामिल हैं। वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन इन सहयोगों को औपचारिक रूप देने का मंच होगा।

PM Modi और राष्ट्रपति पुतिन की हालिया फोन बातचीत सिर्फ एक औपचारिक कूटनीतिक कदम नहीं थी, बल्कि यह भारत-रूस के गहरे और भरोसेमंद रिश्ते का प्रमाण है। यूक्रेन संकट जैसे संवेदनशील मुद्दे पर खुली चर्चा और भविष्य की साझेदारी के लिए ठोस योजनाएं बताती हैं कि दोनों देश आने वाले वर्षों में भी एक-दूसरे के मजबूत सहयोगी बने रहेंगे।

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