हर साल 4 अगस्त को भारत में National Bone & Joint Day मनाया जाता है। इस दिन का मकसद है लोगों में हड्डियों और जोड़ों की सेहत को लेकर जागरूकता फैलाना, ताकि समय रहते समस्याओं से बचाव और सही इलाज संभव हो सके।
आज की डिजिटल ज़िंदगी में, खासकर उन लोगों के लिए जो पूरे दिन कुर्सी पर बैठे रहते हैं, हड्डियों और जोड़ों की सेहत एक बड़ी चिंता का विषय बनती जा रही है। ऑफिस या घर पर लगातार बैठकर काम करना और न के बराबर शारीरिक गतिविधि—यह एक धीमा ज़हर है जो हमारे शरीर को भीतर से कमजोर कर रहा है।
डिजिटल युग की सबसे बड़ी समस्या: घंटों बैठकर काम करना
COVID-19 के बाद से वर्क फ्रॉम होम कल्चर ने ज़बरदस्त बढ़ोतरी की है। लोग अब पहले से ज्यादा देर तक कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं। ऑफिस हो या घर, काम की प्रकृति एक जैसी ही है — घंटों तक बिना हिले-डुले काम करना।
यह आदत धीरे-धीरे हमारे मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम, यानी हड्डियों, जोड़ों और मांसपेशियों पर बुरा असर डालती है। पीठ दर्द, गर्दन में जकड़न, घुटनों में अकड़न और कंधों में खिंचाव जैसी समस्याएं अब 25–35 साल के युवाओं में भी आम हो गई हैं।
घुटनों की सेहत को नज़रअंदाज़ करना पड़ सकता है भारी
घुटने हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जोड़ों में से एक हैं। ये चलने, बैठने, चढ़ने-उतरने जैसी सभी गतिविधियों में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा अनदेखी भी इन्हीं की होती है।
आज की युवा पीढ़ी में जल्दी घुटनों का दर्द शुरू हो रहा है, जो पहले बुजुर्गों की बीमारी मानी जाती थी। इसकी सबसे बड़ी वजह है हमारी जीवनशैली — खासकर लंबे समय तक बैठना और फिजिकल एक्टिविटी की कमी।
हड्डियों और जोड़ों की सेहत बिगाड़ने वाली आदतें
आइए समझते हैं कुछ ऐसी आम आदतों को जो हम रोज़ करते हैं, लेकिन ये हमारी हड्डियों और जोड़ों को धीरे-धीरे नुकसान पहुँचा रही हैं:
1. लंबे समय तक एक ही जगह बैठना
अगर आपकी दिनचर्या ऐसी है जिसमें आप लगातार घंटों तक कुर्सी पर बैठे रहते हैं — बिना उठे, बिना चले — तो यह आदत धीरे-धीरे आपकी हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों पर गहरा असर डाल सकती है।
बिना हिले-डुले बैठा रहना शरीर को निष्क्रिय बना देता है। इससे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है, मांसपेशियाँ कमजोर पड़ने लगती हैं, और जोड़ों में जकड़न व अकड़न महसूस होने लगती है। खासकर घुटनों, पीठ और कंधों में दर्द आम बात हो जाती है।
क्या होता है जब आप लगातार बैठे रहते हैं?
- जोड़ों में लुब्रिकेशन कम हो जाता है, जिससे घिसाव शुरू होता है।
- रीढ़ की हड्डी पर दबाव बढ़ता है, जिससे कमर दर्द और स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
- मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती हैं क्योंकि उनका इस्तेमाल नहीं हो रहा होता।
इससे बचने का उपाय क्या है?
- हर 30–40 मिनट में अपनी सीट से उठें और थोड़ी देर टहलें।
- 8 घंटे के वर्कडे में कम से कम 7 बार खड़े होकर शरीर को स्ट्रेच करें।
- बैठने के बीच में गर्दन, कंधे, और पीठ की हल्की स्ट्रेचिंग करें।
- कोशिश करें कि लंच ब्रेक के बाद थोड़ी देर टहलें या सीढ़ियां चढ़ें।
2. तनाव और शरीर की मुद्रा का सीधा संबंध
ब हम दिनभर कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं, तो अक्सर बिना सोचे-समझे झुककर बैठ जाते हैं, गर्दन को आगे बढ़ा लेते हैं या पीठ को गोल कर लेते हैं। ये सभी गलत मुद्राएं (poor posture) होती हैं, जो धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी (spine) पर ज़बरदस्त दबाव डालती हैं।
ऐसी स्थिति में रीढ़ अपनी प्राकृतिक अवस्था से बाहर आ जाती है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव, पीठ दर्द, गर्दन की जकड़न और समय के साथ हड्डियों में स्थायी विकृति (postural deformity) तक हो सकती है।
सही मुद्रा क्या होनी चाहिए?
आदर्श रूप से आपका वर्कस्टेशन एर्गोनॉमिकली डिज़ाइन होना चाहिए:
- कंप्यूटर स्क्रीन आपकी आंखों के सीधे सामने होनी चाहिए, न कि बहुत ऊपर या नीचे।
- पैर ज़मीन पर सपाट टिके हों — न झूलते हुए और न ही मुड़े हुए।
- कुहनियां (elbows) 90 डिग्री के एंगल पर हों, ताकि कंधों और गर्दन पर अतिरिक्त दबाव न पड़े।
जकड़न और अकड़न से बचने के लिए क्या करें?
सिर्फ सही मुद्रा ही काफी नहीं है। अगर आप 8 घंटे ऑफिस में काम करते हैं, तो आपको दिन में कम से कम 7 बार खड़े होकर हल्का स्ट्रेच जरूर करना चाहिए। इससे शरीर में रक्त संचार (blood circulation) बना रहता है, मांसपेशियों को आराम मिलता है और जोड़ों में लचीलापन बना रहता है।
3. नियमित व्यायाम को नज़रअंदाज़ करना
आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में “वर्कआउट का समय नहीं है” सबसे आम बहाना बन चुका है। लेकिन हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए नियमित व्यायाम (एक्सरसाइज) सबसे ज़रूरी आदतों में से एक है।
जब हम रोज़ाना फिज़िकल एक्टिविटी नहीं करते, तो शरीर की मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं और जोड़ों में लचीलापन कम होता जाता है। इससे धीरे-धीरे घुटनों, पीठ और कंधों में दर्द शुरू हो जाता है, जो बाद में चलकर ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याओं में बदल सकता है।
आपको जिम जाकर भारी एक्सरसाइज करने की ज़रूरत नहीं — बस:
- हर दिन 30 मिनट टहलना
- हल्का स्ट्रेचिंग या योग
- सीढ़ियाँ चढ़ना
- सप्ताह में 3–4 बार कोई भी एक्टिविटी जैसे तैरना, डांस या साइकलिंग
ये सभी गतिविधियाँ हड्डियों को मज़बूत और जोड़ों को लचीला बनाए रखती हैं।
4. डेस्क एक्सरसाइज को नज़रअंदाज़ करना
लंबे समय तक कुर्सी पर बैठे रहना वैसे ही शरीर के लिए नुकसानदायक होता है, लेकिन जब हम डेस्क एक्सरसाइज को पूरी तरह नजरअंदाज़ कर देते हैं, तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।
कई लोग यह सोचते हैं कि एक्सरसाइज का मतलब है जिम जाना या बहुत ज्यादा पसीना बहाना, लेकिन सच तो यह है कि डेस्क पर बैठकर भी कुछ आसान व्यायाम किए जा सकते हैं, जो हड्डियों और जोड़ों की सेहत के लिए बहुत मददगार होते हैं।
जैसे:
- गर्दन को धीरे-धीरे दाएं-बाएं घुमाना
- कंधों को ऊपर-नीचे करना
- हाथों और कलाइयों को स्ट्रेच करना
- पीठ को सीधा रखकर हल्का पीछे झुकाना
ये छोटे-छोटे मूवमेंट्स पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाते हैं और जोड़ों में जकड़न नहीं होने देते। लेकिन जब इन्हें नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो धीरे-धीरे अकड़न, सूजन और दर्द जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं।
4. विटामिन D की कमी
आज की आधुनिक ऑफिस लाइफस्टाइल में ज्यादातर लोग बंद कमरे या एयर-कंडीशंड ऑफिस में घंटों बिताते हैं। ऐसे माहौल में धूप में निकलने का समय लगभग ना के बराबर होता है। यही वजह है कि आज की पीढ़ी में विटामिन D की कमी एक आम समस्या बन चुकी है।
विटामिन D हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है, खासकर हड्डियों की मज़बूती के लिए। यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण (absorption) में मदद करता है। अगर शरीर में विटामिन D की मात्रा कम हो जाए, तो हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, जोड़ों में दर्द होता है और कई बार थकान या डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी दिखने लगती हैं।
ध्यान रखें:
- कोशिश करें कि हर दिन कम से कम 15–20 मिनट सुबह की धूप में ज़रूर बैठें।
- यदि धूप लेना संभव न हो, तो विटामिन D की जांच करवाएं।
- डॉक्टरी सलाह के अनुसार सप्लीमेंट्स लेना भी एक सुरक्षित उपाय है।
विटामिन D की कमी दिखने में साधारण लग सकती है, लेकिन इसका असर आपके मूड, ऊर्जा और हड्डियों की सेहत पर गहरा होता है। इसलिए इसे हल्के में ना लें — यह छोटी सी लापरवाही भविष्य में बड़ी परेशानी बन सकती है।
5. गलत फुटवियर पहनना
अक्सर हम अपने जूते-चप्पलों को केवल फैशन या स्टाइल के नजरिए से चुनते हैं, लेकिन गलत फुटवियर आपकी हड्डियों और जोड़ों, खासकर घुटनों, एड़ियों और रीढ़ पर बुरा असर डाल सकता है।
अगर आप ऐसे जूते पहनते हैं जिनका सोल बहुत पतला, बहुत कठोर या एकदम सपाट होता है, तो चलने के दौरान पैरों को सही सपोर्ट नहीं मिल पाता। इससे जोड़ों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, और धीरे-धीरे घुटनों में दर्द, एड़ी में सूजन (plantar fasciitis), या पीठ दर्द जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं।
ऑफिस जाने वाले लोग अक्सर फॉर्मल लेकिन असहज जूते पहनते हैं, और महिलाएं लंबे समय तक हाई हील्स पहनती हैं — जो दोनों ही लंबे समय में जोड़ और हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इसलिए ध्यान रखें:
- ऐसे जूते पहनें जिनका कुशनिंग अच्छा हो और जो पैरों को पूरा सपोर्ट दें।
- बहुत टाइट या बहुत ढीले जूते भी चलने की नैचुरल मूवमेंट को प्रभावित करते हैं।
- ज़रूरत हो तो ऑर्थोपेडिक या मेडिकली डिजाइन किए गए फुटवियर का इस्तेमाल करें।
याद रखें, आपके पैरों से ही पूरे शरीर का संतुलन बना रहता है। अगर जूतों का चुनाव सही नहीं होगा, तो वह धीरे-धीरे आपकी चाल, पोश्चर और हड्डियों पर बुरा असर डालेगा।
6. खानपान की अनदेखी
अक्सर हम हड्डियों और जोड़ों की कमजोरी का कारण उम्र या शारीरिक मेहनत की कमी को मान लेते हैं, लेकिन एक बहुत बड़ा कारण होता है – गलत या अधूरा खानपान।
हड्डियों की मजबूती के लिए सिर्फ दवाइयां या सप्लीमेंट्स नहीं, बल्कि संतुलित और पोषण से भरपूर आहार सबसे ज़रूरी है। अगर आप रोज़ के खाने में सही पोषक तत्व नहीं ले रहे हैं, तो शरीर को हड्डियों की मरम्मत और मजबूती के लिए जरूरी चीजें नहीं मिल पातीं।
क्या शामिल करें अपने भोजन में?
- प्रोटीन युक्त भोजन जैसे पनीर, अंडा, दालें, और अंकुरित अनाज। प्रोटीन मांसपेशियों और जोड़ों को ताकत देता है।
- कैल्शियम से भरपूर चीजें जैसे दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ।
- विटामिन D के स्रोत जैसे अंडे की ज़र्दी और धूप।
- हड्डियों के लिए अच्छे स्नैक्स जैसे बादाम, अखरोट, अलसी (flaxseeds) और तिल।
इन सबके अलावा, ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, कैफीन और सोडा का सेवन कम करें, क्योंकि ये हड्डियों से कैल्शियम को धीरे-धीरे खींच लेते हैं।
सही खानपान एक तरह से हड्डियों की इंश्योरेंस पॉलिसी है — अगर आपने अभी ध्यान दिया, तो आने वाले सालों में दर्द, सूजन और कमजोरी जैसी परेशानियों से बच सकते हैं।
डेस्क जॉब वालों के लिए बढ़ रहा है खतरा
विशेषज्ञ मानते हैं कि डेस्क जॉब करने वालों में हड्डी और जोड़ से जुड़ी समस्याएं अब 30 की उम्र में ही शुरू हो रही हैं, जो पहले 50–60 की उम्र में होती थीं।
जोड़ों का घिसाव, लिगामेंट्स की कमजोरी, ऑस्टियोआर्थराइटिस, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी बीमारियां अब आम हो रही हैं। ये बीमारियां अगर समय रहते न रोकी जाएं, तो चलना-फिरना भी मुश्किल हो सकता है।
कुछ आसान उपाय जिनसे जोड़ों को मिल सकती है राहत
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हर 30–40 मिनट बाद कुर्सी से उठें और 2–5 मिनट चलें।
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काम के बीच हल्की स्ट्रेचिंग करें — खासकर गर्दन, पीठ, कंधों और घुटनों की।
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कुर्सी और डेस्क की ऊंचाई सही रखें। स्क्रीन आंखों के लेवल पर होनी चाहिए।
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अधिक पानी पिएं — शरीर में हाइड्रेशन से जोड़ों में लुब्रिकेशन बना रहता है।
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कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर आहार लें।
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हफ्ते में कम से कम 5 दिन 30 मिनट तक कोई भी फिजिकल एक्टिविटी करें।
खानपान भी निभाता है बड़ी भूमिका
जोड़ों और हड्डियों की सेहत केवल शारीरिक गतिविधि से ही नहीं, बल्कि आपके खाने से भी जुड़ी है। अगर आप कैल्शियम, विटामिन D और मैग्नीशियम से भरपूर खाना नहीं खा रहे हैं, तो आपकी हड्डियाँ धीरे-धीरे कमजोर होती जाएंगी।
दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, बादाम, अंजीर, तिल, अंडे और सूरज की रोशनी — ये सभी चीजें हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और जोड़ों की सेहत का भी है गहरा रिश्ता
तनाव और चिंता सीधे-सीधे आपकी मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न पैदा करते हैं। लंबे समय तक तनाव में रहना, शरीर को सतत टेंशन में रखता है, जिससे जोड़ों पर दबाव बढ़ता है।
इसलिए मेडिटेशन, ध्यान और सकारात्मक सोच न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि शारीरिक रूप से भी राहत पहुंचाती है।
नेशनल बोन एंड जॉइंट डे का उद्देश्य | Objective of National Bone & Joint Day
4 अगस्त को नेशनल बोन एंड जॉइंट डे(National Bone & Joint Day) मनाने का मकसद सिर्फ एक दिन की जागरूकता तक सीमित नहीं है। इसका असली उद्देश्य है कि लोग हड्डी और जोड़ से जुड़ी समस्याओं को समय पर पहचानें, बचाव करें और ज़रूरत पड़े तो इलाज करवाएं।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि अगर हम आज अपनी आदतों में थोड़ा सा बदलाव लाएं, तो कल हड्डी और जोड़ से जुड़ी गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
आज ध्यान देंगे तो कल चल सकेंगे
हड्डियाँ और जोड़ हमारे शरीर की नींव हैं। इन्हें नज़रअंदाज़ करना, मतलब अपने पूरे शरीर को खतरे में डालना है।
डेस्क वर्क और आधुनिक जीवनशैली ने जहां एक ओर सहूलियतें दी हैं, वहीं दूसरी ओर हमारे शरीर की गतिशीलता और ताकत को चुपचाप कम किया है।
नेशनल बोन एंड जॉइंट डे(National Bone & Joint Day) 2025 के मौके पर यह संकल्प लें कि आप खुद और अपने आसपास के लोगों को हड्डी और जोड़ की सेहत के बारे में जागरूक करेंगे — ताकि हर कोई स्वस्थ शरीर और आत्मनिर्भर ज़िंदगी जी सके।
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