जब दोनों इंजन फेल हुए और फिर भी बच गईं 306 जानें – जानिए कैसे रचा गया ‘Miracle on the Azores’

24 अगस्त 2001 की वह रात हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज हो गई जब Air Transat Flight 236 ने बिना किसी इंजन के 120 किलोमीटर का सफर ग्लाइड करते हुए पूरा किया और 306 लोगों की जान बचाई। यह घटना ‘Miracle on the Azores’ के नाम से मशहूर है और आज भी हर एविएशन ट्रेनी के लिए एक प्रेरणास्त्रोत है।

कनाडा से पुर्तगाल की उड़ान, लेकिन बीच रास्ते में आई आफत

एयर ट्रांज़ैट की यह उड़ान कनाडा के टोरंटो से पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के लिए रवाना हुई थी। यह एक 7 घंटे की लंबी उड़ान थी। जब फ्लाइट करीब 5 घंटे की दूरी तय कर चुकी थी, तब पायलटों को महसूस हुआ कि फ्यूल लीक हो रहा है।

इसके कुछ ही समय बाद, पहले एक इंजन बंद हुआ और फिर दूसरा इंजन भी फेल हो गया। अब विमान पूरी तरह बिजली और हाइड्रॉलिक पावर से रहित हो चुका था। यह समुद्र के ऊपर, अंधेरी रात में, 39,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और सबसे नजदीकी रनवे अब भी 120 किलोमीटर दूर था।

“हम ग्लाइड कर रहे हैं…” – डर और उम्मीद के बीच का सफर

28 वर्षीय फर्स्ट ऑफिसर डिर्क डी जैगर ने इमरजेंसी फ्रीक्वेंसी पर मैसेज भेजा:
“Mayday, mayday, mayday. We have lost both engines due to fuel starvation. We’re gliding now.”

इस वक्त फ्लाइट अज़ोरेस द्वीपसमूह के पास थी, जो पुर्तगाल के तट से करीब 1,400 किलोमीटर दूर है। लिस्बन, जहां विमान को उतरना था, वहां तक की दूरी करीब 1,500 किलोमीटर थी।

कैप्टन रॉबर्ट पिशे: एक शांत मस्तिष्क वाला नायक

Miracle on the Azores

इस खतरनाक स्थिति में कैप्टन रॉबर्ट पिशे ने अपने अनुभव और धैर्य का जबरदस्त परिचय दिया। उन्होंने न केवल विमान को कंट्रोल में रखा, बल्कि बिना इंजन के इतने लंबे समय तक ग्लाइडिंग करते हुए सुरक्षित लैंडिंग की।

यही वजह है कि उन्हें इस घटना के बाद “हीरो कैप्टन” कहा जाने लगा। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर फर्स्ट ऑफिसर डिर्क डी जैगर ने भी हर कदम पर साथ निभाया।

हवा में तैरता एक विशाल विमान – बिना इंजन के

ग्लाइडिंग का मतलब होता है, बिना इंजन के हवा में तैरते हुए फिसलना – और वो भी एक वाणिज्यिक एयरबस A330 जेट के साथ! यह सामान्य प्रशिक्षण का हिस्सा नहीं होता। लेकिन फिर भी कैप्टन पिशे ने इसे बखूबी अंजाम दिया।

यात्रियों को इस दौरान डिच लैंडिंग (समुद्र में आपात लैंडिंग) के लिए तैयार रहने को कहा गया था। हर कोई सोच रहा था कि यह उनकी जिंदगी की आखिरी उड़ान है।

लैंडिंग का वो रोमांचक और भावुक क्षण

अंततः, जब विमान लाजेस एयरबेस (Azores Islands) तक पहुंचा और सुरक्षित लैंडिंग की, तब हर यात्री की सांसें थमी हुई थीं। लैंडिंग इतनी सटीक और शांत थी कि विशेषज्ञों ने इसे “टेक्स्टबुक ग्लाइडर लैंडिंग” कहा।

इस पूरी घटना ने एविएशन की दुनिया में एक नया रिकॉर्ड बनाया – बिना किसी इंजन के सबसे लंबी दूरी तक ग्लाइडिंग करके लैंडिंग करने का विश्व रिकॉर्ड।

Hudson River vs Azores Miracle: क्या था फर्क?

बहुत लोग इसे 2009 में हुई “Sully” की Hudson River लैंडिंग से तुलना करते हैं, जिसमें न्यूयॉर्क में दोनों इंजन बर्ड स्ट्राइक से बंद हो गए थे। लेकिन फर्क ये है कि हडसन लैंडिंग शहर के पास थी, जबकि Air Transat Flight 236 को खुले समुद्र के ऊपर से 120 किलोमीटर दूर जाकर लैंड करना पड़ा।

यह दूरी, हवा की स्थिति, ऊंचाई, और इंजन फेल्योर की टाइमिंग – सब कुछ इसे कहीं ज़्यादा जटिल बनाता है।

Air India Flight 171: जब उम्मीदें टूट गईं

जहाँ Transat 236 ने उम्मीद जगाई, वहीं Air India Flight 171 की हालिया दुर्घटना ने दर्द दिया। यह Dreamliner विमान, अहमदाबाद से उड़ान भरते ही महज 32 सेकंड में क्रैश हो गया। इसमें 241 लोगों की मौत हुई और 29 लोग ज़मीन पर भी मारे गए।

जांच में पाया गया कि विमान का FADEC सिस्टम (Full Authority Digital Engine Control) पायलट्स के आदेशों को ओवरराइड कर रहा था। पायलट्स ने अंतिम क्षणों में फ्यूल सिस्टम को रीसेट करने की कोशिश की, जो लगभग काम कर गई थी – काश थोड़ा और ऊंचाई मिल जाती।

तकनीक बनाम मानव कौशल

Transat 236 और AI 171 दोनों घटनाएं यह दिखाती हैं कि आज भी मानव कौशल (Human Skill) किसी भी ऑटोमेशन से ऊपर है। एक तरफ जब टेक्नोलॉजी ने जवाब दे दिया, तब कैप्टन पिशे जैसे पायलट्स ने जानें बचाईं, वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी की गलती ने सैकड़ों की जान ले ली।

आज भी Flight 236 की कहानी सिखाई जाती है

आज, दुनिया के कई एविएशन स्कूलों में Flight 236 की घटना को केस स्टडी के रूप में पढ़ाया जाता है। यह उदाहरण है कि कैसे थोड़ी सी उम्मीद, अनुभव, और साहस किसी भी संकट को मात दे सकता है।

एक चमत्कार जिसने इतिहास रच दिया

Air Transat Flight 236 सिर्फ एक उड़ान नहीं थी, यह इंसानी साहस, संयम और निर्णय क्षमता का प्रतीक बन गई है। और यह बताता है कि चमत्कार हमेशा आकाश में नहीं, मन के साहस में होते हैं।

जहां यात्री अपनी आखिरी सांस की उम्मीद में बैठे थे, वहीं दो पायलटों ने बिना इंजन के एक विशाल विमान को सफलता से उतारा – और इतिहास रच दिया।

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