नाग पंचमी 2025: नाग देवता की पूजा और इतिहास

नाग पंचमी 2025: भारत में पर्व और त्यौहार न केवल धार्मिक आस्था से जुड़े होते हैं, बल्कि समाज और संस्कृति की जड़ों को भी मज़बूत करते हैं। इन्हीं प्रमुख पर्वों में से एक है नाग पंचमी, जो विशेष रूप से नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। वर्ष 2025 में नाग पंचमी का पर्व 22 जुलाई, मंगलवार को मनाया जाएगा। यह दिन सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को पड़ता है। नाग पंचमी का महत्व, इसके पीछे की कथाएं और पूजा विधि जानना हमारे लिए आवश्यक है।

नाग पंचमी 2025
                  नाग पंचमी 2025

नाग पंचमी का इतिहास:

नाग पंचमी का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। भारतीय संस्कृति में सर्पों को अत्यधिक पवित्र और शक्तिशाली माना गया है। वेदों और पुराणों में नागों का विशेष उल्लेख मिलता है।

  • ऋग्वेद और अथर्ववेद में सर्पों का वर्णन मिलता है, जहाँ उन्हें धरती की रक्षा करने वाला और उर्वरता का प्रतीक बताया गया है।

  • महाभारत में भी नागों का उल्लेख है। जनमेजय द्वारा किए गए सर्पसत्र यज्ञ और तक्षक नाग की कथा इस पर्व से गहराई से जुड़ी हुई है।

  • भगवान शिव की गले की शोभा वासुकी नाग हैं, जबकि भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं। यही कारण है कि नाग पंचमी का सीधा संबंध शिव और विष्णु भक्ति से भी माना जाता है।

एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, किसी समय एक किसान ने खेत जोतते समय अनजाने में एक नाग के बच्चों को मार दिया। नागिन क्रोधित होकर बदला लेने आई, लेकिन किसान की धर्मपत्नी ने श्रद्धा से नागिन की पूजा कर उसे दूध पिलाया। नागिन प्रसन्न हुई और किसान के परिवार को क्षमा कर दिया। तभी से नाग पंचमी पर नागों को दूध अर्पित करने की परंपरा शुरू हुई।

नाग पंचमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:

  • तिथि: 22 जुलाई 2025 (मंगलवार)

  • पंचमी तिथि प्रारंभ: 21 जुलाई 2025 की रात 11:45 बजे

  • पंचमी तिथि समाप्त: 22 जुलाई 2025 की रात 09:12 बजे

  • पूजा का शुभ समय: सुबह 06:00 बजे से दोपहर 08:00 बजे तक

नाग पंचमी 2025
                      नाग पंचमी 2025

नाग पंचमी का धार्मिक महत्व:

नाग पंचमी का दिन सर्पों और प्रकृति के संतुलन की पूजा का प्रतीक है। हिंदू मान्यता के अनुसार, नाग देवता की पूजा करने से व्यक्ति को सर्पदंश से मुक्ति मिलती है और घर-परिवार पर किसी प्रकार का संकट नहीं आता।

  • यह पर्व शिव भक्तों के लिए अत्यंत खास होता है क्योंकि नाग भगवान शिव के आभूषण हैं।

  • कृषि प्रधान समाज में नागों की पूजा का अर्थ है – खेत और फसल को संरक्षित करने की प्रार्थना।

  • इस दिन सपेरों द्वारा पकड़े गए नागों को दूध पिलाया जाता है और मंदिरों में नाग देवता की प्रतिमाओं पर दूध, पुष्प और हल्दी-चंदन चढ़ाया जाता है।

नाग पंचमी की प्रमुख परंपराएँ:

  1. दूध अर्पण: नागों को दूध अर्पित करने की प्रथा इस दिन की सबसे प्रमुख विशेषता है।

  2. घर की दीवारों पर चित्रांकन: ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ दीवारों पर नाग देवता का चित्र बनाकर पूजा करती हैं।

  3. व्रत और पूजा: कई लोग इस दिन व्रत रखते हैं और नाग देवता की कथा का श्रवण करते हैं।

  4. शिवलिंग पर अभिषेक: भक्त शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर नाग देवता और शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नाग पंचमी और क्षेत्रीय महत्व:

भारत के अलग-अलग राज्यों में नाग पंचमी अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है।

  • उत्तर भारत: महिलाएँ दीवारों पर कोयले या हल्दी से नाग का चित्र बनाती हैं और पूजा करती हैं।

  • महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश: गाँवों में विशेष मेले लगते हैं और नाग देवता की झांकी निकाली जाती है।

  • दक्षिण भारत: आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में नाग मंदिरों में विशेष पूजा आयोजित होती है और भक्त नाग देवता को दूध व नारियल अर्पित करते हैं।

नाग पंचमी 2025
                      नाग पंचमी 2025

नाग पंचमी की लोककथाएँ:

लोककथाओं के अनुसार, नाग पंचमी का संबंध वर्षा और उर्वरता से भी है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से वर्षा समय पर होती है और खेतों में हरियाली आती है। साथ ही, यह पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है क्योंकि कई जगह बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सर्प भय से मुक्ति के लिए नाग पंचमी का व्रत करती हैं।

आधुनिक युग में नाग पंचमी:

समय के साथ नाग पंचमी के उत्सव का स्वरूप बदला है। पहले जहाँ जंगलों और खेतों में सर्पों को ढूँढकर दूध पिलाने की परंपरा थी, वहीं आजकल मंदिरों या प्रतीकात्मक रूप से पूजा करने की परंपरा अधिक हो गई है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी लोग अब वास्तविक सर्पों को पकड़ने और उन्हें परेशान करने से बचते हैं, और केवल प्रतिमाओं या चित्रों के माध्यम से पूजा करते हैं।

नाग पंचमी 2025 केवल धार्मिक पर्व ही नहीं बल्कि प्रकृति, पर्यावरण और जीवों के प्रति कृतज्ञता का दिन भी है। नाग देवता की पूजा से मनुष्य जीवन में शांति, सुख और समृद्धि आती है। साथ ही, यह पर्व हमें यह भी सिखाता है कि धरती के प्रत्येक प्राणी का जीवन महत्वपूर्ण है और हमें उनके साथ सह-अस्तित्व में रहना चाहिए।

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