हरियाली तीज 2025: प्रेम, समर्पण और प्रकृति का पर्व

हरियाली तीज 2025: भारत विविधताओं का देश है जहाँ हर त्यौहार प्रकृति, संस्कृति और परंपरा से गहराई से जुड़ा होता है। ऐसे ही त्यौहारों में से एक है हरियाली तीज, जो सावन के महीने में महिलाओं द्वारा श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है। यह पर्व प्रकृति की हरियाली, सौंदर्य, प्रेम, और नारी शक्ति के उत्सव का प्रतीक है। हरियाली तीज 2025 में 1 अगस्त (शुक्रवार) को मनाई जाएगी।

हरियाली तीज 2025
             हरियाली तीज 2025

हरियाली तीज का महत्व:

हरियाली तीज मुख्यतः सुहागिन स्त्रियों का पर्व है जो भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। यह दिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की सफलता के लिए व्रत रखती हैं।

यह त्योहार प्रकृति से जुड़ा हुआ है। सावन की पहली तीज को ‘हरियाली तीज’ कहा जाता है, जब धरती चारों ओर हरी चादर ओढ़ लेती है। यह मौसम प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक बन जाता है।

2025 में हरियाली तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त:

  • तारीख: 1 अगस्त 2025, शुक्रवार

  • तीज व्रत तिथि आरंभ: 31 जुलाई 2025 को रात्रि 8:17 बजे

  • तीज व्रत तिथि समाप्त: 1 अगस्त 2025 को रात्रि 10:20 बजे तक

  • पूजा का शुभ मुहूर्त: सुबह 6:00 से 8:30 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार)

हरियाली तीज की परंपराएँ और रीति-रिवाज़:

  1. व्रत और पूजा:
    इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। माता पार्वती को सुहाग सामग्री अर्पित की जाती है, जिसमें सिंदूर, चूड़ियाँ, मेहंदी, बिंदी, आदि शामिल हैं।

  2. झूला झूलने की परंपरा:
    गांवों और कस्बों में विशेष झूले पेड़ों पर लगाए जाते हैं, जिन्हें महिलाएं गीत गाते हुए झूलती हैं। सावन के गीतों से वातावरण गूंज उठता है।

  3. मेहंदी और श्रृंगार:
    महिलाएं इस दिन विशेष श्रृंगार करती हैं, हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, और हाथों में मेहंदी रचाती हैं। यह दिन “सोलह श्रृंगार” का प्रतीक माना जाता है।

  4. तीज गीत और लोकनृत्य:
    हरियाली तीज पर पारंपरिक लोकगीतों का गायन और नृत्य किया जाता है। महिलाएं एक-दूसरे के साथ मिलकर पारंपरिक गीत गाती हैं जो शिव-पार्वती की कथा से जुड़े होते हैं।

  5. तीज का भोजन:
    व्रत के उपरांत महिलाएं विशेष रूप से तीज के पकवान जैसे घेवर, मालपुआ, पूड़ी-सब्जी, केसरिया खीर आदि का आनंद लेती हैं।

हरियाली तीज की पौराणिक कथा:

हरियाली तीज की कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। कई जन्मों के तप के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। यह दिन उनके पुनर्मिलन का प्रतीक है। इस कथा के अनुसार, जो महिला इस दिन पूरी श्रद्धा से व्रत करती है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

आधुनिक युग में हरियाली तीज का स्वरूप:

आज के समय में हरियाली तीज को न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। कई स्थानों पर सामूहिक तीज महोत्सवों का आयोजन होता है जहाँ महिलाएं एकत्र होकर गीत-संगीत, मेहंदी प्रतियोगिता और नृत्य कार्यक्रमों में भाग लेती हैं। सोशल मीडिया के ज़रिए भी लोग इस उत्सव को साझा करते हैं।

नारी शक्ति और तीज:

हरियाली तीज केवल एक धार्मिक व्रत नहीं है, यह स्त्री-सम्मान, आत्मबल और पारिवारिक प्रेम का उत्सव है। यह पर्व महिलाओं को एक साथ आने, अपनी परंपराओं को जीने और अपने भीतर की रचनात्मकता और सुंदरता को उभारने का अवसर देता है।

हरियाली तीज 2025 न केवल हरियाली और सावन की सौंधी खुशबू का पर्व है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण, पारिवारिक समर्पण और प्रेम का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि श्रद्धा, समर्पण और प्रकृति से जुड़ाव ही जीवन को सार्थक बनाते हैं।

तीज के इस सुंदर पर्व पर आप सभी को शुभकामनाएं! 🌸
हरियाली तीज 2025 – प्रेम, परंपरा और प्रकृति का मिलन।

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