जगदीप धनखड़ का इस्तीफा: भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर ने हाल ही में राजनीतिक हलकों और मीडिया में खलबली मचा दी है। हालांकि अभी तक किसी आधिकारिक पुष्टि की जानकारी नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह खबर कहां से शुरू हुई, क्या इसके पीछे कोई ठोस कारण है, और अब तक इस मामले में क्या-क्या सामने आया है।

कौन हैं जगदीप धनखड़?
जगदीप धनखड़ एक वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ, अधिवक्ता और पूर्व राज्यपाल हैं। वे 2022 में भारत के 14वें उपराष्ट्रपति बने थे। इससे पहले वे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे और अपनी स्पष्टवादी शैली और ममता बनर्जी सरकार के साथ टकरावों को लेकर चर्चाओं में रहे।
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जन्म: 18 मई 1951, राजस्थान
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शिक्षा: लॉ की पढ़ाई राजस्थान विश्वविद्यालय से
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राजनीति में प्रवेश: 1989 में जनता दल से
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उपराष्ट्रपति बनने से पहले भाजपा के प्रमुख नेता थे
इस्तीफे की अफवाहें कैसे शुरू हुईं?
हाल ही में ट्विटर (अब X) और कुछ यूट्यूब चैनलों पर यह दावा किया गया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। इस अफवाह को हवा तब मिली जब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने बिना किसी प्रमाण के इसे “ब्रेकिंग न्यूज़” बना दिया।
कुछ यूजर्स ने यह भी कहा कि धनखड़ सरकार से किसी नीति को लेकर असहमत थे और इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दिया। हालांकि न तो राष्ट्रपति सचिवालय और न ही उपराष्ट्रपति सचिवालय ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान जारी किया है।
क्या है इस्तीफे के पीछे का कारण?
हालांकि अभी तक कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया है, लेकिन कुछ संभावित कारणों की चर्चा हो रही है:
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केंद्रीय नेतृत्व से मतभेद:
कहा जा रहा है कि हाल के महीनों में धनखड़ और केंद्र सरकार के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद सामने आए। -
राजनीतिक दबाव:
विपक्षी दलों का यह आरोप है कि धनखड़ की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे थे, और वे सत्तारूढ़ दल के प्रति झुकाव दिखा रहे थे, जिससे उनका पद नैतिक रूप से संकट में आ गया था। -
स्वास्थ्य कारण:
एक और अटकल यह भी है कि वे स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ना चाहते हैं, हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया:
सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भाजपा नेताओं ने इसे “भ्रामक खबर” करार दिया है। वहीं, विपक्षी पार्टियों ने मांग की है कि यदि इस्तीफा हुआ है तो राष्ट्रपति को तत्काल इस पर बयान देना चाहिए।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा,
“यदि उपराष्ट्रपति ने वास्तव में इस्तीफा दिया है, तो यह एक संवैधानिक संकट की ओर इशारा करता है। देश को जानने का हक है।”
क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(b) के अनुसार, उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को लिखित में सूचना देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। राष्ट्रपति द्वारा इसे स्वीकार किए जाने के बाद यह प्रभावी होता है। इसलिए जब तक राष्ट्रपति इसकी पुष्टि नहीं करते, तब तक इसे आधिकारिक नहीं माना जा सकता।
पहले कभी हुआ है ऐसा?
भारत के इतिहास में अब तक किसी भी उपराष्ट्रपति ने कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा नहीं दिया है। यदि यह खबर सही निकलती है, तो यह एक अभूतपूर्व घटना होगी।
क्या है सच्चाई?
जुलाई 2025 तक, कोई भी आधिकारिक सूचना या प्रेस विज्ञप्ति इस बात की पुष्टि नहीं करती कि जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरें पूरी तरह अधूरी, भ्रामक या अफवाह हो सकती हैं। इसलिए जब तक राष्ट्रपति कार्यालय या उपराष्ट्रपति कार्यालय से स्पष्ट बयान न आए, तब तक इस पर विश्वास करना जल्दबाज़ी होगी।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर ने देशभर में राजनीतिक सरगर्मी जरूर बढ़ा दी है, लेकिन इस पर विश्वास करने से पहले हमें आधिकारिक सूचना का इंतजार करना चाहिए। सोशल मीडिया की अफवाहें कई बार भ्रम फैला सकती हैं, इसलिए नागरिकों को चाहिए कि वे केवल विश्वसनीय स्रोतों से मिली जानकारी को ही सच मानें।
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