आयोडीन की कमी: एक अदृश्य खतरा

आयोडीन की कमी: आयोडीन एक आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व (micronutrient) है, जिसकी शरीर को बहुत कम मात्रा में आवश्यकता होती है, लेकिन इसका महत्व अत्यंत बड़ा है। यह थायरॉइड ग्रंथि द्वारा थायरॉइड हार्मोन के निर्माण में सहायक होता है, जो शरीर के संपूर्ण मेटाबॉलिज़्म, वृद्धि और मानसिक विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। लेकिन जब शरीर में आयोडीन की कमी हो जाती है, तो यह अनेक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देती है, विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में।

आयोडीन की कमी
                    आयोडीन की कमी

आयोडीन की कमी क्या है?

आयोडीन की कमी का मतलब है शरीर को आवश्यक मात्रा में आयोडीन नहीं मिल पाना, जिससे थायरॉइड हार्मोन का निर्माण बाधित हो जाता है। इसका परिणाम ‘गॉइटर’ (गलगंड), मानसिक विकास में कमी, बौद्धिक अक्षमता और अन्य कई बीमारियों के रूप में सामने आता है।

आयोडीन की कमी के कारण:

  1. भोजन में आयोडीन की कमी – भारत के कुछ हिस्सों की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से आयोडीन की मात्रा कम है, जिससे वहां उगने वाली फसलों में भी यह तत्व नहीं होता।

  2. सामान्य नमक का प्रयोग – आयोडीन युक्त नमक की जगह साधारण नमक का प्रयोग करने से शरीर को आवश्यक आयोडीन नहीं मिल पाता।

  3. शुद्ध पानी की कमी – जिन क्षेत्रों में पानी का स्रोत समुद्र से दूर है, वहां आयोडीन की मात्रा भी कम होती है।

  4. गरीबी और अशिक्षा – सही जानकारी के अभाव और संसाधनों की कमी भी इसका बड़ा कारण है।

आयोडीन की कमी के लक्षण:

  1. गलगंड (Goiter) – गले में सूजन, जो थायरॉइड ग्रंथि के बढ़ने के कारण होती है।

  2. मंदबुद्धि (Cretinism) – विशेष रूप से जन्म से पहले और बचपन में आयोडीन की कमी से बच्चों में मानसिक विकास रुक जाता है।

  3. थकावट और कमजोरी – शरीर में ऊर्जा का स्तर कम हो जाता है।

  4. वजन बढ़ना – मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है।

  5. ठंड के प्रति संवेदनशीलता – शरीर का ताप नियंत्रित नहीं हो पाता।

  6. बालों और त्वचा में बदलाव – बाल झड़ना, रूखी त्वचा होना।

आयोडीन की कमी
                 आयोडीन की कमी

गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव:

गर्भावस्था में आयोडीन की कमी का सबसे गंभीर प्रभाव भ्रूण पर पड़ता है। इससे जन्म लेने वाले शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास रुक सकता है। WHO के अनुसार, आयोडीन की कमी दुनिया भर में बौद्धिक अक्षमता का सबसे बड़ा और रोका जा सकने वाला कारण है।

भारत में स्थिति:

भारत सरकार ने इस खतरे को भांपते हुए “राष्ट्रीय आयोडीन कमी विकार नियंत्रण कार्यक्रम (NIDDCP)” शुरू किया है। इसके अंतर्गत आयोडीन युक्त नमक का उपयोग बढ़ावा देने के लिए प्रचार-प्रसार और जनजागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। फिर भी, आज भी कुछ ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में आयोडीन की कमी गंभीर समस्या बनी हुई है।

समाधान और उपाय:

  1. आयोडीन युक्त नमक का सेवन – यह सबसे आसान और प्रभावी तरीका है। सुनिश्चित करें कि आपके घर में उपयोग हो रहा नमक आयोडीन युक्त हो।

  2. जनजागरूकता – लोगों को आयोडीन की महत्ता और इसकी कमी से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी देना।

  3. स्कूलों में शिक्षा – बच्चों को शुरुआत से ही स्वास्थ्य और पोषण के बारे में जानकारी देना।

  4. सरकारी योजनाओं का पालन – सरकारी हेल्थ वर्कर्स द्वारा वितरित आयोडीन युक्त नमक या अन्य सप्लीमेंट्स का सही तरीके से प्रयोग करना।

आयोडीन किन चीजों में पाया जाता है?

  • आयोडीन युक्त नमक

  • समुद्री भोजन (फिश, सीवीड)

  • डेयरी उत्पाद (दूध, दही)

  • अंडा

  • कुछ प्रकार की सब्जियां (जैसे पालक, ब्रोकली)

आयोडीन की कमी
                   आयोडीन की कमी

आयोडीन की कमी एक “साइलेंट डिसऑर्डर” (Silent Disorder) है, जो धीरे-धीरे शरीर और दिमाग को नुकसान पहुंचाता है। इसका इलाज सरल और किफायती है — केवल सही नमक का प्रयोग कर हम इस खतरे को टाल सकते हैं। भारत जैसे विकासशील देश में जहां जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण इलाकों में निवास करता है, वहां आयोडीन युक्त नमक का प्रचार-प्रसार और सस्ती उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है।

स्वस्थ जीवन के लिए सही पोषण और जागरूकता आवश्यक है, और इसकी शुरुआत हमारे रसोईघर से होती है। तो आइए, आज से ही आयोडीन युक्त नमक अपनाएं और इस अदृश्य खतरे को अपने जीवन से दूर भगाएं।

Lifestyle सम्बन्धी ऐसी और भी जानकारियों और खबरों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — एजुकेशन, मनोरंजन, बिज़नेस, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।

जंक फूड खा रहे हैं रोज़? हो जाएं सावधान, दिमाग कर सकता है काम करना बंद! | Junk Food Side Effects

Leave a Comment