भारत की सबसे चर्चित एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनियों में से एक BYJU’s के संस्थापक बायजू रविंद्रन एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार कारण किसी नए प्रोडक्ट या यूनिकॉर्न स्टेटस का नहीं, बल्कि गंभीर कानूनी विवादों का है। अमेरिका के डेलावेयर कोर्ट में उन पर गुप्त सरकारी सौदों, दस्तावेज़ों की अदालती अनदेखी, और 533 मिलियन डॉलर के धन को छुपाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इसके जवाब में रविंद्रन ने भी अब 2.5 अरब डॉलर का मानहानि का मुकदमा करने की तैयारी कर ली है।

मामला क्या है?
इस पूरे विवाद की शुरुआत BYJU’s की अमेरिकी इकाई Alpha Inc के दिवालिया होने (Chapter 11 filing) से हुई। Alpha Inc को अपने कर्जदाताओं से करीब 1.2 बिलियन डॉलर का कर्ज लेना था। इन लेन-देन में कथित रूप से 533 मिलियन डॉलर की राशि को छुपाने के आरोप लगे, और कर्जदाता संस्था GLAS Trust Company ने अमेरिकी कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
GLAS Trust ने डेलावेयर कोर्ट में दावा किया कि बायजू रविंद्रन भारतीय सरकारी अधिकारियों को निजी तौर पर भुगतान करने की योजना बना रहे थे, ताकि FEMA (Foreign Exchange Management Act) से जुड़े केसों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों को गुप्त रूप से अंजाम देने की कोशिश हो रही थी।
कोर्ट की कार्रवाई:
डेलावेयर की अदालत ने जब रविंद्रन को दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का आदेश दिया, तो आरोप है कि उन्होंने इन आदेशों का पालन नहीं किया। इसके चलते कोर्ट ने उन्हें “Civil Contempt of Court” यानी अदालत की अवमानना का दोषी माना और $10,000 प्रतिदिन का जुर्माना लगाया जब तक वे दस्तावेज़ प्रस्तुत न करें।
यह मामला न सिर्फ एक तकनीकी कंपनी की प्रतिष्ठा पर सवाल उठा रहा है, बल्कि भारत की टेक इंडस्ट्री को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर आलोचनाओं के दायरे में ला रहा है।
रविंद्रन की प्रतिक्रिया:
बायजू रविंद्रन ने इस मामले पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में Twitter) पर अपना बयान जारी किया और कहा:
“मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप बिलकुल झूठे और बेबुनियाद हैं। मैंने कोई ग़लत सौदे नहीं किए हैं और न ही किसी सरकारी अधिकारी को पैसा देने की कोशिश की है। मैं न तो उस मामले में पक्षकार हूं और न ही मुझे कोर्ट से कोई नोटिस मिला है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि GLAS Trust Company और उसके वकील जानबूझकर कोर्ट को भ्रमित कर रहे हैं और उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।
जवाबी हमला: 2.5 अरब डॉलर का मुकदमा:
रविंद्रन और उनकी पत्नी दिव्या गोकुलनाथ अब $2.5 बिलियन (लगभग ₹21,000 करोड़) का मानहानि का मुकदमा GLAS Trust और अन्य हितधारकों के खिलाफ दायर करने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि इन झूठे आरोपों की वजह से BYJU’s की ब्रांड वैल्यू, निवेशकों का भरोसा और खुद उनकी छवि को गहरा नुकसान हुआ है।

BYJU’s की मौजूदा स्थिति:
एक समय था जब BYJU’s को भारत का सबसे बड़ा यूनिकॉर्न माना जाता था, जिसकी वैल्यूएशन 22 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई थी। लेकिन 2023‑24 में कंपनी पर वित्तीय संकट गहराता गया:
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कई निवेशकों ने अपने पैसे वापस खींच लिए।
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कंपनी के खिलाफ कई देशों में टैक्स और फंड मैनेजमेंट को लेकर जांच शुरू हो गई।
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कर्मचारियों की छंटनी, भुगतान में देरी, और मार्केट में भरोसे की कमी भी सामने आई।
अब जब संस्थापक खुद कानूनी लड़ाई में घिर गए हैं, तो BYJU’s की वापसी और भी मुश्किल होती जा रही है।
भविष्य की राह:
BYJU’s की इस कहानी में अब कई मोड़ आने बाकी हैं। क्या बायजू रविंद्रन इन आरोपों से खुद को निर्दोष साबित कर पाएंगे? क्या उनका मुकदमा अदालतों में टिकेगा? और सबसे बड़ा सवाल – क्या BYJU’s इस झंझावात से उबर पाएगा?
इन सवालों के जवाब आने वाले हफ्तों और महीनों में सामने आएंगे। लेकिन एक बात तय है – भारत की सबसे प्रसिद्ध स्टार्टअप कंपनियों में से एक का यह कानूनी संघर्ष आने वाले समय में न केवल कंपनी के लिए बल्कि पूरे भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक “wake up call” साबित हो सकता है।
बायजू रविंद्रन की कहानी अब केवल एक उद्यमी की सफलता की कहानी नहीं रही, बल्कि यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बन गई है जो वैश्विक न्याय प्रणाली और व्यावसायिक दबावों के बीच संघर्ष कर रहा है। BYJU’s की यह यात्रा अब सफलता से संघर्ष की ओर मुड़ चुकी है – और पूरा देश देख रहा है कि इसका अंत कहां होता है।
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