Shubhanshu Shukla: भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक और भावुक पल रहा, जब ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर 18 दिन बिताने के बाद सफलतापूर्वक पृथ्वी पर लौट आए। उनके इस अद्भुत सफर ने न सिर्फ अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की भागीदारी को मजबूत किया, बल्कि युवाओं को भी बड़े सपने देखने की प्रेरणा दी।
• 20 days, 3 hours in space
• 322 orbits completed
• 1,39,10,400 kilometres travelled
• 1st ever Indian on ISSWelcome back to Earth Gp Capt Shubhanshu Shukla 🌏🇮🇳 pic.twitter.com/8nPH0tLjl8
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) July 15, 2025
अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी
सोमवार दोपहर को Shubhanshu Shukla और उनके तीन अन्य साथियों ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से विदाई ली। उनके यान ने स्टेशन से अनडॉक करने के लगभग 22.5 घंटे बाद कैलिफोर्निया के तट पर सुरक्षित लैंडिंग की। इस पूरे मिशन को लेकर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं, और भारत में तो मानो उत्सव जैसा माहौल बन गया था।
उनके लौटने के बाद एक विशेष जहाज द्वारा कैप्सूल को प्रशांत महासागर से निकाला गया और तट पर लाया गया। यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिकों की देखरेख में अत्यंत सावधानी से की गई।
Watch 📹: Visuals show IAF Group Captain Shubhanshu Shukla and the entire crew returned safely with a splashdown off the coast of California after an 18-day stay aboard the International Space Station (#ISS).#ShubhanshuShukla | #AxiomMission4 | #Axiom pic.twitter.com/Wv1uRWcKYu
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 15, 2025
सीधा प्रसारण और केंद्रीय मंत्री की भागीदारी
केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने भी इस ऐतिहासिक क्षण को सीएसआईआर ऑडिटोरियम में बैठकर सीधा देखा। उन्होंने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए लिखा, “वेलकम शुभांशु!” इस ट्वीट ने पूरे भारत में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ा दी।
डॉ सिंह ने आगे कहा कि भारत का यह मिशन पूरी दुनिया को दिखाता है कि अब हम न सिर्फ अंतरिक्ष अनुसंधान में भागीदार हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी मजबूत उपस्थिति भी दर्ज करवा रहे हैं।
माता-पिता ने देखा बेटे को लाइव लौटते हुए
इस खास क्षण को सबसे भावुक अंदाज में जिया Shubhanshu Shuklaके माता-पिता ने। वे अपने बेटे की पृथ्वी पर वापसी को सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में लाइव देख रहे थे। उनके चेहरे पर खुशी और गर्व के भाव साफ झलक रहे थे।
परिवार के लिए यह पल शब्दों में बयान करना मुश्किल था, क्योंकि उन्होंने अपने बेटे को अंतरिक्ष में जाते देखा और अब सकुशल धरती पर लौटते हुए अपनी आंखों के सामने पाया।
#WATCH | In a historic moment, Group Captain Shubhanshu Shukla and the Axiom-4 crew aboard Dragon spacecraft splashes down in the Pacific Ocean after an 18-day stay aboard the International Space Station (ISS)
(Video Source: Axiom Space/YouTube) pic.twitter.com/qLAq2tyW5S
— ANI (@ANI) July 15, 2025
मिशन एक्सिओम-4: तीन देशों के साथ भारत
इस मिशन की एक और खास बात यह रही कि इसमें तीन अलग-अलग देशों के अंतरिक्ष यात्री शामिल थे – भारत से शुभांशु शुक्ला, पोलैंड से स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीवस्की, और हंगरी से टिबोर कापू, जबकि मिशन की कमांडर थीं अमेरिका की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन।
इस तरह का मिशन भारत के लिए एक बड़े मंच पर साझेदारी का प्रतीक है, जहां हमारा देश अब सहयोगी के रूप में देखा जा रहा है, न कि सिर्फ छात्र की भूमिका में।
नेहरू तारामंडल की भूमिका और युवाओं के लिए योजना
नेहरू तारामंडल की कार्यक्रम प्रबंधक प्रेरणा चंद्रा ने शुभांशु शुक्ला की इस उपलब्धि पर कहा कि भारत के लिए यह एक मील का पत्थर है। उन्होंने बताया कि देशभर में छात्रों को इस मिशन से जोड़ने के लिए सीधी प्रसारण, कार्यशालाएं और लाइव डोम प्रोजेक्शन का आयोजन किया गया।
उन्होंने कहा, “हम Shubhanshu Shukla को तारामंडल में आमंत्रित करने की योजना बना रहे हैं ताकि वे बच्चों को अपनी यात्रा के अनुभव सुना सकें और उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति प्रेरित कर सकें।”
धार्मिक जगत ने भी की प्रार्थना
भारत के इस गौरवमयी पल में सिर्फ वैज्ञानिक ही नहीं, बल्कि धार्मिक संस्थाएं और संत समाज भी जुड़े रहे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि उन्होंने और उनके अनुयायियों ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित वापसी के लिए विशेष प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा, “आज हम सभी उत्साहित हैं और ईश्वर का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने भारत के इस बेटे को सुरक्षित धरती पर लौटाया।”
#WATCH | Haridwar, Uttarakhand | President of Akhil Bharatiya Akhada Parishad, Mahant Ravindra Puri, offered prayers for the safe return of Group Captain Shubhanshu Shukla to earth.
Group Captain Shubhanshu Shukla and the Axiom-4 crew will splashdown in the Pacific Ocean today… pic.twitter.com/bkhxxWmQ0n
— ANI (@ANI) July 15, 2025
शुभांशु शुक्ला की यात्रा: भारत के लिए क्या मायने रखती है?
इस मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक है।
जहां भारत पहले से ही चंद्रयान और मंगलयान जैसे मिशनों में सफलता प्राप्त कर चुका है, वहीं अब मानवयुक्त मिशनों में भी हमारा योगदान बढ़ रहा है। Shubhanshu Shukla की यह यात्रा न सिर्फ भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री अब किसी से कम नहीं।
भारत का अंतरिक्ष भविष्य: गगनयान से शुक्रयान तक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 2040 तक भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाने का विजन अब जमीन पर उतरता दिख रहा है।
इस दिशा में गगनयान (भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन), शुक्रयान (शुक्र ग्रह की ओर मिशन) और अन्य अनेक परियोजनाएं योजना में हैं। शुभांशु शुक्ला जैसे अंतरिक्ष यात्रियों का अनुभव इन मिशनों की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
छात्रों के लिए एक नया प्रेरणा स्रोत
आज जब युवा वर्ग स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की दुनिया में खोया रहता है, ऐसे में Shubhanshu Shukla की यह कहानी उन्हें बड़ा सोचने और बड़ा करने की प्रेरणा देती है।
सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं, स्कूल और कॉलेज अब इस तरह के मिशनों को शैक्षिक पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहे हैं ताकि छात्र विज्ञान, तकनीक और अनुसंधान की दिशा में आगे बढ़ सकें।
शुभांशु शुक्ला कौन हैं?
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के अनुभवी पायलट हैं। उनका चयन इस मिशन के लिए उनके साहस, काबिलियत और तकनीकी ज्ञान के आधार पर हुआ।
मिशन के दौरान उन्होंने न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लिया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भारत का प्रतिनिधित्व भी किया।
मिशन का तकनीकी पहलू
ड्रैगन ग्रेस अंतरिक्ष यान, जिसे फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था, ने 25 जून को फ्लोरिडा से उड़ान भरी थी। भारतीय समयानुसार 2:37 बजे यान का हैच बंद किया गया और दो घंटे बाद अंतरिक्ष यात्रियों ने स्टेशन से विदा ली।
सभी तकनीकी प्रक्रियाएं अत्यधिक सावधानी और विज्ञान सम्मत तरीके से पूरी की गईं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी यात्री सुरक्षित और स्वस्थ रहें।
गुरुत्वाकर्षण के बदलाव से क्या असर पड़ेगा शुभांशु शुक्ला और टीम पर?
जब कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष से धरती पर वापस आता है, तो गुरुत्वाकर्षण (gravity) के बदलाव की वजह से उनके शरीर पर कई प्रभाव पड़ते हैं। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनकी टीम को भी इस बदलाव का सामना करना पड़ेगा। आइए सरल भाषा में समझते हैं कि वे किन-किन शारीरिक और मानसिक प्रभावों का अनुभव कर सकते हैं:
धरती पर लौटते ही क्या होता है?
अंतरिक्ष में, खासकर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) जैसे माइक्रोग्रैविटी वातावरण में, शरीर को वजन महसूस नहीं होता। वहां मांसपेशियां और हड्डियां कम मेहनत करती हैं। लेकिन जैसे ही अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की 1g gravity में लौटते हैं, शरीर को फिर से वजन महसूस होने लगता है।
1. चक्कर और संतुलन में परेशानी
धरती पर लौटते ही अंतरिक्ष यात्री को थोड़ी चक्कर आने जैसी स्थिति, सिर हल्का लगना और चलने में असहजता महसूस हो सकती है। इसका कारण होता है –
- वेस्टीब्यूलर सिस्टम (कान के अंदर संतुलन नियंत्रण प्रणाली), जो गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से काम करता है, उसे फिर से एडजस्ट होने में समय लगता है।
- इसलिए शुरुआत में शरीर का संतुलन थोड़ा बिगड़ सकता है।
2. मांसपेशियों की कमजोरी
18 दिन के अंतरिक्ष प्रवास में शुभांशु शुक्ला की मांसपेशियों पर भार नहीं पड़ा। वहां तैरते रहना ही जीवन का तरीका होता है। जब वे ज़मीन पर लौटे, तो:
- पैरों की ताकत कम हो जाती है, चलने में थकावट महसूस होती है।
- शरीर को फिर से भारीपन महसूस होता है, जैसे सब कुछ अचानक भारी हो गया हो।
- कई बार कुछ दिन तक विशेष देखरेख में रहना पड़ता है।
3. हड्डियों की घनता में कमी
अंतरिक्ष में रहकर हड्डियों से धीरे-धीरे कैल्शियम निकलता है क्योंकि गुरुत्व नहीं होता जो हड्डियों पर दबाव डाले। इससे हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।
-
शुभांशु शुक्ला को अगले कुछ हफ्तों तक डाइट सपोर्ट, व्यायाम और मेडिकल चेकअप्स की ज़रूरत होगी ताकि हड्डियों की ताकत वापस आ सके।
4. रक्त प्रवाह में बदलाव
माइक्रोग्रैविटी में दिल को खून पंप करने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, लेकिन ज़मीन पर आकर दिल को फिर से पूरे शरीर में खून चढ़ाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।
- इससे शुरुआती कुछ घंटों में ब्लड प्रेशर कम, कमजोरी और थकावट महसूस हो सकती है।
- इसलिए अंतरिक्ष से लौटते ही यात्रियों को लीटिंग पोजिशन में रखा जाता है।
5. इम्यून सिस्टम पर असर
कुछ रिसर्च बताती हैं कि अंतरिक्ष में रहने से शरीर का रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) कमजोर हो सकता है।
-
धरती पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला और टीम को कुछ समय तक संक्रमण से बचने की सलाह दी जाएगी।
6. मानसिक और भावनात्मक अनुभव
अंतरिक्ष से लौटने के बाद बहुत से अंतरिक्ष यात्री भावनात्मक रूप से प्रभावित होते हैं।
- एक अनोखी दुनिया से वापस आकर धरती की हलचल भरी जिंदगी में लौटना आसान नहीं होता।
- शुभांशु और उनकी टीम को काउंसलिंग, रेस्ट और धीमी वापसी (debriefing) की प्रक्रिया से गुजरना होगा।
रिकवरी कैसे होती है?
- स्पेस एजेंसियां हर लौटे अंतरिक्ष यात्री के लिए रीहैबिलिटेशन प्रोग्राम चलाती हैं।
- इसमें एक्सरसाइज, फिजियोथेरेपी, मेडिकेशन, और नियमित मेडिकल जांच शामिल होती है।
- आमतौर पर 1-2 हफ्तों में यात्री काफी हद तक सामान्य महसूस करने लगते हैं, लेकिन पूरी रिकवरी में एक महीने तक लग सकता है।
Shubhanshu Shukla की यह वापसी केवल एक मिशन की समाप्ति नहीं है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष यात्रा के नए युग की शुरुआत है। उनकी सफलता हर भारतीय के दिल को गर्व से भर देती है और आने वाली पीढ़ियों को यह बताती है कि यदि आप में जूनून और मेहनत है, तो आकाश भी आपकी सीमा नहीं।
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