अरबी के पत्तों की सब्ज़ी: भारत में हर मौसम की अपनी खास सब्ज़ियाँ होती हैं, और हर राज्य में उनका अपना स्वाद और तरीका। ऐसी ही एक पारंपरिक, पौष्टिक और स्वादिष्ट सब्ज़ी है – अरबी के पत्तों की सब्ज़ी, जिसे कई जगह पत्तोर, पत्तोड़, अलूवड़ी या पातोड़े भी कहा जाता है।

यह सब्ज़ी खासतौर पर मानसून और गर्मियों के शुरुआती महीनों में बनाई जाती है, जब ताजे अरबी के पत्ते आसानी से उपलब्ध होते हैं। इसमें मसालेदार बेसन की परत चढ़ाकर पत्तों को बेलन की तरह लपेटा जाता है, भाप में पकाया जाता है और फिर तला या तड़का लगाया जाता है।
अरबी के पत्तों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
अरबी (Colocasia esculenta) की खेती भारत में प्राचीन काल से होती रही है। इसकी पत्तियाँ और जड़ (कंद) दोनों उपयोगी हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे “कचुरु” के नाम से जाना जाता है, और इसे वात-पित्त-कफ संतुलित करने वाला माना गया है।
इतिहासकार मानते हैं कि अरबी भारत में दक्षिण एशिया, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया से होते हुए पहुँची। इसकी पत्तियों से सब्ज़ी बनाने की परंपरा विशेष रूप से गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, बिहार, बंगाल और दक्षिण भारत में देखी जाती है।
कौन सा राजा था जो इसे पसंद करता था?
ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, मौर्य वंश के राजा चंद्रगुप्त मौर्य के समय में यह व्यंजन रसोई का हिस्सा हुआ करता था। उनके दरबार में आयुर्वेदाचार्य चाणक्य ने अरबी के पत्तों को सेहत के लिहाज से अत्यंत लाभकारी बताया था। चंद्रगुप्त मौर्य को गर्मियों में अरबी के पत्तों से बनी हल्की सब्ज़ी, जो बिना ज्यादा घी-तेल के बनती थी, विशेष रूप से पसंद थी।

हालांकि उस समय इसका स्वरूप आज के पत्तोड़ जैसा नहीं था, पर मसालों और हरी सब्ज़ियों से इसे पकाया जाता था।
अरबी के पत्तों की सब्ज़ी के फायदे:
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फाइबर से भरपूर: पाचन में सहायक होती है।
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आयरन और कैल्शियम का अच्छा स्रोत: हड्डियों और खून के लिए लाभकारी।
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कम कैलोरी वाला व्यंजन: वजन घटाने वालों के लिए उपयुक्त।
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शुद्ध शाकाहारी और ग्लूटन-फ्री।
सामग्री (4 लोगों के लिए):
मुख्य सामग्री:
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ताजे अरबी के पत्ते – 10 से 12 (बड़े आकार के)
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बेसन – 1 कप
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चावल का आटा – 2 चम्मच (क्रिस्पीनेस के लिए)
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हींग – 1 चुटकी
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हल्दी – 1/2 छोटा चम्मच
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लाल मिर्च पाउडर – 1 छोटा चम्मच
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हरी मिर्च-अदरक का पेस्ट – 1 चम्मच
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इमली का गूदा – 2 चम्मच
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नमक – स्वादानुसार
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तेल – तड़का लगाने या तलने के लिए
बनाने की विधि:
1. पत्तों की तैयारी:
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अरबी के पत्तों को अच्छे से धो लें और साफ सूती कपड़े से पोंछ लें।
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डंठल को चाकू से काट लें और मोटी नसों को सावधानी से छील दें ताकि रोलिंग में आसानी हो।
2. बेसन का मसाला तैयार करें:
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एक बर्तन में बेसन, चावल का आटा, हींग, हल्दी, लाल मिर्च, हरी मिर्च-अदरक पेस्ट, इमली का गूदा और नमक डालें।
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थोड़ा पानी मिलाकर गाढ़ा पेस्ट बना लें। ध्यान रहे कि मिश्रण बहने न लगे।
3. पत्तों को बेलना और रोल बनाना:
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एक पत्ता लें, उसकी पीछे की सतह (जो नसों वाली होती है) ऊपर रखें।
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उस पर बेसन का मिश्रण फैलाएं।
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अब उसके ऊपर दूसरा पत्ता रखें और फिर से मसाला लगाएं।
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इसी तरह 3-4 पत्ते एक पर एक रखें और फिर उसे धीरे-धीरे कसकर रोल करें।
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इसी तरह सभी रोल बना लें।
4. भाप में पकाना (स्टीम करना):
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इडली कुकर या स्टीमर में पानी गर्म करें।
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रोल को स्टीमर की जाली पर रखें और ढककर 15–20 मिनट तक भाप में पकाएं।
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पकने के बाद ठंडा होने दें और फिर गोल-गोल टुकड़ों में काट लें।

5. तड़का लगाना या तलना:
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आप इन्हें सीधा खा सकते हैं या थोड़ा तेल गर्म करके उसमें राई, करी पत्ता और हरी मिर्च का तड़का लगाकर इन टुकड़ों को हल्का सा सेक सकते हैं।
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चाहें तो डीप फ्राई भी कर सकते हैं।
अरबी के पत्तों की सब्ज़ी बनाने के क्षेत्रीय नाम:
राज्य | नाम |
---|---|
गुजरात | पातरा |
महाराष्ट्र | अलूवड़ी |
उत्तर भारत | पत्तोड़ |
ओडिशा | साग पिठा |
बंगाल | मानकोचु पातेर तर्कारी |
टिप्स और सावधानियाँ:
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अगर पत्ते ज्यादा कड़वे हों, तो इन्हें गर्म पानी में 2-3 मिनट उबाल सकते हैं।
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ताजे और छोटे पत्ते ही चुनें – ये जल्दी पकते हैं और स्वादिष्ट होते हैं।
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जिन्हें गले या पेट में खुजली की समस्या होती है, वो थोड़ा नींबू का रस या अमचूर मसाले में ज़रूर डालें – ये खुजली को कम करता है।
अरबी के पत्तों की सब्ज़ी सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और खाद्य परंपरा की अमूल्य धरोहर है। यह सब्ज़ी ना केवल स्वाद में भरपूर है बल्कि सेहत के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। आज जब हम सुपरफूड्स की तलाश में विदेशी चीजों पर निर्भर हो गए हैं, तब ज़रूरत है कि हम अपने पारंपरिक व्यंजनों को अपनाएं और आगे बढ़ाएं।
तो अगली बार जब बाजार जाएं, तो ताजे अरबी के पत्ते ज़रूर लाएं और यह लाजवाब व्यंजन घर पर बनाकर खुद भी खाएं और दूसरों को भी खिलाएं।
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