Axiom-4 Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA की सेवानिवृत्त अंतरिक्ष यात्री Peggy Whitson, जिनका रिकॉर्ड 675 दिन अंतरिक्ष में बिताकर अमेरिका का उच्चतम है, एक बार फिर अंतरिक्ष की राह पर हैं। इस बार वे अपनी पांचवीं उड़ान पर जा रही हैं, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस मिशन में भारत, पोलैंड और हंगरी के भी पहले अंतरिक्ष यात्री ISS पर जा रहे हैं। Axiom-4 Mission मिशन Axiom Space और SpaceX के सहयोग से हो रहा है, जिसमें SpaceX का Crew Dragon कैप्सूल ‘Grace’ और Falcon 9 रॉकेट शामिल हैं।
लॉन्च और Crew Dragon ‘Grace’
Axiom-4 Mission के तहत SpaceX का नया Crew Dragon ‘Grace’ कैप्सूल पहली बार लॉन्च हुआ है। यह कैप्सूल खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। लॉन्च 25 जून 2025 को 2:30 PM EDT (भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे) अमेरिका के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से हुआ। लॉन्च के समय फाल्कन 9 रॉकेट की आग की चमक और आवाज ने सबको रोमांचित कर दिया। इस मिशन को Axiom Space और NASA ने मिलकर भेजा है।
भारत, पोलैंड और हंगरी की पहली अंतरिक्ष यात्रा
Axiom-4 Mission मिशन इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री पहली बार अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए हैं।
- भारत से ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट के रूप में शामिल हैं। वह 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बने हैं।
- पोलैंड से स्लावोस उज़्नांस्की और हंगरी से टिबोर कापू इस मिशन में मिशन स्पेशलिस्ट हैं।
- यह पूरी तरह से निजी (कॉमर्शियल) मिशन है, जिसमें हर यात्री की यात्रा लागत करीब $65 मिलियन (लगभग 540 करोड़ रुपये) है।
मिशन क्रू कौन-कौन हैं?
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पेगी व्हिटसन (USA) – मिशन कमांडर। वे NASA की अनुभवी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं और अमेरिका में सबसे ज्यादा समय तक अंतरिक्ष में रहने का रिकॉर्ड उनके नाम है।
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शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन और ISRO के Gaganyaan मिशन के संभावित क्रू में से एक।
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स्लावोस उज़्नांस्की (पोलैंड) – मिशन स्पेशलिस्ट। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के प्रोजेक्ट एस्ट्रोनॉट।
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टिबोर कापू (हंगरी) – मिशन स्पेशलिस्ट हंगरी के HUNOR प्रोग्राम से जुड़े हुए हैं।
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मिशन में देरी क्यों हुई थी?
Axiom-4 Mission मिशन को पहले 10 जून 2025 को लॉन्च किया जाना था, लेकिन कुछ वजहों से इसमें देरी हुई:
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फ्लोरिडा में खराब मौसम के कारण पहली बार टाला गया।
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फिर Falcon 9 रॉकेट के Liquid Oxygen सिस्टम में रिसाव मिला, जिससे जांच जरूरी हो गई।
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इसके अलावा, ISS के रूसी मॉड्यूल ‘Zvezda’ में एयर लीक की जानकारी मिलने पर NASA और Roscosmos को सुरक्षा जांच करनी पड़ी।
इन सभी कारणों से लॉन्च को दो बार रोका गया और अंत में 25 जून को सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ।
सफल लॉन्च और अब क्या होगा?
Crew Dragon ने 25 जून को सफल उड़ान भरी। अब यह ISS की ओर बढ़ रहा है और 26 जून की शाम 4:30 बजे (IST) तक वहां डॉक कर जाएगा। इसके बाद, क्रू अगले 14 दिनों तक अंतरिक्ष स्टेशन पर 60 से ज्यादा वैज्ञानिक और तकनीकी प्रयोग करेंगे।
क्या खास परीक्षण होंगे इस मिशन में?
इस मिशन के दौरान निम्नलिखित परीक्षण और प्रयोग किए जाएंगे:
- स्वास्थ्य, चिकित्सा और जीवन विज्ञान से जुड़े प्रयोग
- नई तकनीकों और मशीनों के अंतरिक्ष में परीक्षण
- बच्चों और युवाओं के लिए STEM आधारित शैक्षणिक डेमो
भारत के लिए यह मिशन ISRO के Gaganyaan (2027) मिशन की तैयारी का हिस्सा भी माना जा रहा है।
At 2:31am ET on Wednesday, the Ax-4 crew from @Axiom_Space lifted off on the @SpaceX Dragon spacecraft from @NASAKennedy in Florida to the orbital outpost. More… https://t.co/EFme19Ql6c pic.twitter.com/cpnPehrkyG
— International Space Station (@Space_Station) June 25, 2025
शुभांशु शुक्ला और देशवासियों का गर्व
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने कहा:
“तिरंगा मेरे कंधे पर है और मैं पूरे देश के साथ इस यात्रा में हूँ।”
उनके परिवार ने सोशल मीडिया पर इस ऐतिहासिक क्षण को साझा किया, और भारतवासियों ने इस मिशन को गर्व का पल बताया। देशभर से बधाई और शुभकामनाएं मिल रही हैं।
अंतरिक्ष में बदलते ट्रेंड
यह मिशन दिखाता है कि अब अंतरिक्ष अभियान केवल NASA, रूस या चीन तक सीमित नहीं रहे। निजी कंपनियों जैसे Axiom Space और SpaceX के माध्यम से अब छोटे देश और कम संसाधनों वाले देश भी अंतरिक्ष में अपनी भागीदारी दर्ज करा रहे हैं।
SpaceX के लिए यह 18वीं मानव मिशन उड़ान है। Shuttle युग के बाद इतनी निरंतरता के साथ किसी कंपनी ने ऐसा मुकाम नहीं छुआ।
आगे क्या?
अब जबकि ISS की संचालन अवधि 2030 तक है, उसके बाद NASA की योजना Axiom Space जैसे निजी साझेदारों के साथ नया निजी अंतरिक्ष स्टेशन विकसित करने की है। यह मिशन उसी भविष्य का संकेत है, जिसमें सरकार और निजी कंपनियाँ मिलकर अंतरिक्ष की खोज को और आगे बढ़ाएंगी।
Axiom-4 Mission एक ऐतिहासिक मिशन है, जिसमें भारतीय Shubhanshu Shukla, पोलिश और हंगेरियन अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS प्रवेश किया, Peggy Whitson की अगुवाई में। यह मिशन विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और मानवीय महत्व का प्रतीक है। भारतीय पैरेंट एजेंसी ISRO, NASA, SpaceX, और Axiom के बीच की साझेदारी ने मानवता के अंतरिक्ष अभियान में एक नई दिशा दी है।
इसके साथ ही यह Axiom-4 Mission भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम (Gaganyaan) के लिए एक मजबूत शुरुआत भी है। 26 जून तक जब Crew Dragon ISS में डॉक होगा, तब पूरा भारत गर्व और उत्साह से देखेगा कि वहां से कौन-कौन से वैज्ञानिक प्रयोग होंगे, और उन प्रयोगों का भविष्य में क्या प्रभाव होगा।
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