G7 Summit 2025: दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत का दबदबा, G7 में फिर मिली अहमियत

G7 Summit 2025: कनाडा के खूबसूरत अल्बर्टा प्रांत के कनानास्किस में इस वर्ष का 51वां G7 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है, जहां दुनिया की सात सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के नेता एकत्र हुए हैं। इस बैठक का उद्देश्य सिर्फ आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि इस बार मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव, जलवायु परिवर्तन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, और वैश्विक व्यापार से जुड़े मुद्दों पर ठोस रणनीति बनाना भी शामिल है।

पीएम मोदी की कूटनीतिक सक्रियता और भारत की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस G7 Summit 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए कनाडा पहुंचे हैं। भारतीय समुदाय ने उनका जोशीला स्वागत किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारतवंशी दुनिया में भारत की कूटनीतिक ताकत को पहचानते हैं। पीएम मोदी ने अपनी प्राथमिकताओं में आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंध, और कूटनीतिक संवाद को सबसे ऊपर बताया।

ब्रैम्पटन के निवासी और प्रवासी सलाहकार सुमित सिंह ने इस दौरे को भारत-कनाडा संबंधों में नया मोड़ बताया। वहीं हलीमा सादिया, कनाडाई ब्रॉडकास्टर, ने इसे कूटनीतिक सफलता कहा। विशाल सैनी, हिंदू फोरम कनाडा के निदेशक, ने दोनों देशों के बीच 1.5 मिलियन भारतीय-कनाडाई लोगों के योगदान को सराहा।

जानकारी के अनुसार, पीएम मोदी ने शुक्रवार को पीएम कार्नी के साथ फोन पर बातचीत के दौरान G7 Summit 2025 में शामिल होने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया था।

भारत को इस सम्मेलन में आमंत्रित किए जाने पर जब कनाडाई मीडिया ने सवाल उठाया कि ऐसे समय में जब भारत सरकार पर मानवाधिकारों को लेकर आरोप हैं, तब उसे क्यों बुलाया गया, तो कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने दो टूक जवाब दिया:

“भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और कई महत्वपूर्ण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में इसकी केंद्रीय भूमिका है। इसलिए यह आवश्यक है कि भारत जैसे देश इन उच्चस्तरीय वैश्विक चर्चाओं में भाग लें।”

भारत-कनाडा संबंधों में संभावनाएं

भारत और कनाडा के बीच बीते वर्षों में कुछ कड़वाहट रही, विशेषकर खालिस्तान मुद्दे और राजनयिक बयानबाज़ी के कारण। लेकिन पीएम मोदी की इस यात्रा से यह उम्मीद जगी है कि सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध फिर से प्रगाढ़ होंगे

वैंकूवर-क्विलचेना की विधायक डलास ब्रॉडी ने भी इस पर सकारात्मक टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “भारत एक महान लोकतंत्र है, जिसमें व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में अद्वितीय क्षमता है। हमें भारत से मजबूत संबंध बनाने चाहिए।”

डोनाल्ड ट्रंप की नाटकीय वापसी और अमेरिका-UK समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमेशा की तरह इस बार भी G7 में सुर्खियों में रहे। उन्होंने सम्मेलन से एक दिन पहले ही वॉशिंगटन लौटने का फैसला लिया, लेकिन उससे पहले उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक प्रमुख व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह समझौता दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क में कटौती करेगा, जिससे ब्रिटेन की कारें, स्टील और एल्युमीनियम अमेरिकी बाजार में आसानी से पहुंच सकेंगी। बदले में बीफ और इथेनॉल जैसे अमेरिकी उत्पादों को ब्रिटेन में प्रवेश मिलेगा।

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताया और कहा कि यह रोजगार और आय के नए अवसर खोलेगा।

इस्राइल-ईरान संघर्ष: जी7 का साझा बयान

13 जून 2025 को शुरू हुआ ईरान और इस्राइल के बीच का हवाई युद्ध जी7 सम्मेलन का प्रमुख चर्चा बिंदु रहा। इस्राइल ने ईरान के कई परमाणु ठिकानों को निशाना बनाकर बड़ी कार्रवाई की, जिसमें 9 परमाणु वैज्ञानिकों की मौत हुई।

जी7 देशों ने इस पर एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें कहा गया कि:

  • क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल होनी चाहिए।

  • ईरान को क्षेत्रीय अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

  • राजनयिक बातचीत और संयम की अपील की गई।

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप इस्राइल पर युद्धविराम के लिए दबाव बना सकते हैं और बातचीत की शुरुआत संभव है। उन्होंने कहा, “सभी देशों को नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।”

वैश्विक नेताओं की भागीदारी

इस शिखर सम्मेलन में जिन नेताओं की मौजूदगी रही, वे हैं- डोनाल्ड ट्रंप (अमेरिका), कीर स्टार्मर (ब्रिटेन), इमैनुएल मैक्रों (फ्रांस), मार्क कार्नी (कनाडा), फ्रेडरिक मर्ज (जर्मनी), शिगेरू इशिबा (जापान), जॉर्जिया मेलोनी (इटली), उर्सुला वॉन डेर लेयेन (यूरोपीय आयोग), एंटोनियो कोस्टा (यूरोपीय परिषद)

G7 Summit 2025

कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने इसे एक ऐतिहासिक मौका बताया और कहा कि जी7 को चाहिए कि वह आने वाली पीढ़ियों के लिए AI, क्वांटम टेक्नोलॉजी, और साइबर सुरक्षा में निवेश करे।

तकनीक और भविष्य

इस बैठक में प्रमुख चर्चा का एक और बिंदु था – AI और क्वांटम टेक्नोलॉजी का भविष्य। कनाडा और फ्रांस ने यह घोषणा की कि वे मिलकर ऐसी तकनीकों को विकसित करेंगे जो अगली सदी को दिशा देंगी।

मार्क कार्नी ने कहा:
“लोकतांत्रिक देशों को इन तकनीकों का नेतृत्व करना होगा ताकि दुनिया की दिशा सकारात्मक और न्यायसंगत बनी रहे।”

G7 क्या है?

G7 यानी Group of Seven — यह दुनिया के सात सबसे अमीर और औद्योगिक रूप से विकसित लोकतांत्रिक देशों का एक समूह है। इस समूह की स्थापना 1975 में हुई थी। इसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करना और मिलकर समाधान खोजना है।

G7 के सदस्य देश हैं:

g7 summit 2025

  1. अमेरिका (USA)
  2. ब्रिटेन (UK)
  3. फ्रांस (France)
  4. जर्मनी (Germany)
  5. जापान (Japan)
  6. इटली (Italy)
  7. कनाडा (Canada)

👉 इसके अलावा यूरोपीय संघ (EU) को भी G7 बैठकों में भाग लेने का आमंत्रण मिलता है।

G7 हर साल एक शिखर सम्मेलन (Summit) आयोजित करता है, जिसमें इन देशों के राष्ट्राध्यक्ष मिलकर चर्चा करते हैं:

  • वैश्विक आर्थिक स्थिति
  • जलवायु परिवर्तन
  • सुरक्षा और आतंकवाद
  • महामारी, स्वास्थ्य
  • टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा
  • भू-राजनीतिक संकट (जैसे इस्राइल-ईरान संघर्ष)

यह एक गैर-आधिकारिक मंच है, लेकिन दुनिया की नीति निर्धारण में इसका प्रभाव बहुत अधिक है।

G7 में भारत का क्या महत्व है?

भारत G7 का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन उसे पिछले कई वर्षों से आमंत्रित अतिथि (Guest Invitee) के रूप में बुलाया जा रहा है। इसका मतलब है कि भारत की भूमिका अब दुनिया की टॉप अर्थव्यवस्थाओं में मानी जा रही है।

भारत की G7 में बढ़ती अहमियत के कारण:

  1. पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था:
    भारत अब अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।
  2. वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अहम भूमिका:
    भारत टेक्नोलॉजी, फार्मा, स्टार्टअप और उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी ताकत बन रहा है। कई देश चीन पर निर्भरता कम करके भारत से व्यापार करना चाहते हैं।
  3. सबसे बड़ा लोकतंत्र:
    भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। G7 जैसे मंच पर लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में भारत की भूमिका बेहद अहम है।
  4. रणनीतिक साझेदार:
    अमेरिका, जापान, यूरोप और कनाडा जैसे देशों के साथ भारत के रणनीतिक रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। इसलिए उन्हें भारत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  5. ग्लोबल साउथ की आवाज:
    भारत उन विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें “Global South” कहा जाता है। इन देशों की आवाज़ G7 जैसे मंचों पर भारत के ज़रिए सुनी जाती है।

क्या भारत G7 का स्थायी सदस्य बन सकता है?

वर्तमान में G7 में स्थायी सदस्यता सीमित है, लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में यदि इसका विस्तार हुआ (G10 या G11), तो भारत सबसे प्रमुख दावेदार होगा।

क्योंकि:

  • भारत की अर्थव्यवस्था लगातार तेज़ी से बढ़ रही है।
  • इसकी रणनीतिक और भौगोलिक स्थिति अहम है।
  • तकनीक, रक्षा, ऊर्जा और पर्यावरण पर भारत की भूमिका अब वैश्विक हो चुकी है।
  • भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर (जैसे G20, ब्रिक्स, क्वाड) पहले ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

निष्कर्ष: भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका

G7 Summit 2025 भारत के लिए न केवल कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह संकेत भी देता है कि भारत अब केवल एक विकासशील देश नहीं बल्कि वैश्विक निर्णायक भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी, भारतीय समुदाय का समर्थन और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका अब किसी से छिपी नहीं है।

जहां एक ओर दुनिया ईरान-इस्राइल संघर्ष से जूझ रही है, वहीं दूसरी ओर भारत जैसे देश शांति और विकास की दिशा में नेतृत्व कर रहे हैं। भारत-कनाडा संबंध, भारत-अमेरिका व्यापार, और G7 की साझी रणनीति आने वाले वर्षों में विश्व की दिशा तय करेंगे।

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