तृप्ति डिमरी की खास पसंद ‘गुलथिया’ गढ़वाली आटे का हलवा

गुलथिया: गढ़वाल की मिट्टी से जुड़ी एक खास मिठास, जो दिल को छू जाए – एक पारंपरिक गढ़वाली हलवा, जो अभिनेत्री तृप्ति डिमरी की भी खास पसंद है! तृप्ति डिमरी की यात्रा एक छोटे शहर की लड़की से बॉलीवुड की प्रमुख अभिनेत्री बनने तक की है, जो उनकी मेहनत, समर्पण और अभिनय कौशल का प्रमाण है।

गुलथिया
              गुलथिया

जहाँ हर इलाका अपनी खास रसोई के लिए जाना जाता है, वहीं उत्तराखंड के गढ़वाल की मिठाइयों में ‘गुलथिया’ एक ऐसा नाम है जो बचपन की यादें और सादगी दोनों संजोए हुए है।सादगी में जो स्वाद छुपा है, वही गढ़वाली व्यंजनों की खूबी है – और ‘गुलथिया’ इसका सबसे प्यारा उदाहरण है। आइए, आज बनाते हैं ये स्वादिष्ट हलवा तृप्ति डिमरी की पसंदीदा शैली में।

‘गुलथिया’ गढ़वाली आटे का हलवा:

📝 सामग्री:

  • गेहूं का आटा – 1 कप

  • देशी घी – 1/2 कप

  • गुड़ या चीनी – 3/4 कप (स्वादानुसार)

  • पानी – 2 कप

  • इलायची पाउडर – 1/2 छोटी चम्मच

  • कटे हुए मेवे (बादाम, काजू, किशमिश) – 2 टेबल स्पून

🍳 विधि:

  1. घी गर्म करें:
    कढ़ाई में घी गरम करें। जब घी पिघल जाए, तो उसमें आटा डालें।

  2. आटा भूनें:
    मध्यम आंच पर आटे को लगातार चलाते हुए सुनहरा भूरा और खुशबूदार होने तक भूनें। इसमें 10–12 मिनट लग सकते हैं।

  3. गुड़ का घोल तैयार करें:
    एक अलग बर्तन में पानी गर्म करके उसमें गुड़ डालें और अच्छे से घोल लें। छान लें ताकि कोई गंदगी न रहे। (अगर आप चीनी का उपयोग कर रहे हैं तो इसी पानी में घोल लें।)

  4. पानी मिलाएं:
    भूने हुए आटे में धीरे-धीरे गुड़ वाला पानी डालें और जल्दी-जल्दी चलाएं ताकि गांठें न बनें।

  5. पकाएं:
    इसे धीमी आंच पर 5–7 मिनट तक पकने दें, जब तक हलवा गाढ़ा न हो जाए और घी किनारों से अलग न होने लगे।

  6. इलायची और मेवे डालें:
    आखिर में इलायची पाउडर और कटे हुए मेवे डालकर मिला लें।

🍽️ परोसने का तरीका:

गर्मागर्म परोसें। चाहें तो ऊपर से थोड़ा घी और सूखे मेवे डालकर सजाएं।

यह गढ़वाली व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि सर्दियों के मौसम में शरीर को ऊर्जा और गर्माहट भी देता है — ठीक वैसे ही जैसे तृप्ति डिमरी को पसंद है!

तो ये थी हमारी पारंपरिक गढ़वाली मिठाई – जो हर निवाले के साथ आपको पहाड़ों की सादगी, मिठास और अपनापन महसूस कराए। आटे और घी से बनी ये सरल सी रेसिपी, तृप्ति डिमरी जैसी पहाड़ी आत्मा की पसंद बन चुकी है – और यकीन मानिए, एक बार चखने के बाद ये आपकी भी पसंद बन जाएगी।

गढ़वाल की रसोई से निकली ये खास मिठाई सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि एक एहसास है – जो हर त्योहार, हर याद और हर अपनेपन से जुड़ी होती है। तो अगली बार जब आप कुछ मीठा और खास बनाना चाहें, तो ‘गुलथिया’ ज़रूर आज़माएं।

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