रसोई की ये 9 चीज़ें बढ़ा सकती हैं कैंसर का रिस्क: रसोई हमारे घर का सबसे अहम हिस्सा होती है। यहीं से हमारे परिवार के स्वास्थ्य की शुरुआत होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी रसोई में कुछ ऐसी चीज़ें भी मौजूद होती हैं जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में ज़हर घोल रही होती हैं?
चौंकिए मत, ये कोई अफवाह नहीं है। कई रिसर्च और मेडिकल रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई है कि कुछ आम रसोई की चीज़ें, जैसे बर्तनों की कोटिंग, खाने पकाने का तरीका, तेल का बार-बार इस्तेमाल और यहां तक कि कुछ स्टोरेज कंटेनर भी कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को जन्म दे सकते हैं।
इस ब्लॉग में हम आपको आसान भाषा में बताएंगे कि रसोई की कौन-कौन सी चीज़ें हमारे शरीर के लिए खतरे की घंटी बन चुकी हैं और कैसे आप थोड़े से बदलाव करके अपने और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।
रसोई की ये 9 चीज़ें बढ़ा सकती हैं कैंसर का रिस्क:
प्लास्टिक कंटेनर: सुविधाजनक लेकिन ज़हरीले
हममें से बहुत लोग प्लास्टिक के डब्बों में खाना स्टोर करते हैं। खासकर माइक्रोवेव में खाना गर्म करने के लिए प्लास्टिक कंटेनर का इस्तेमाल आम बात हो गई है।
लेकिन प्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल्स जैसे BPA (Bisphenol A) और Phthalates धीरे-धीरे खाने में घुल सकते हैं, खासकर जब प्लास्टिक को गर्म किया जाता है।
ये केमिकल्स शरीर के हार्मोन सिस्टम को बिगाड़ सकते हैं और लंबे समय में कैंसर जैसी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
कैसे बचें?
- हमेशा BPA-Free प्लास्टिक या स्टील/कांच के बर्तन इस्तेमाल करें
- प्लास्टिक को कभी भी माइक्रोवेव में ना रखें
- गर्म खाना प्लास्टिक कंटेनर में रखने से बचें
नॉन-स्टिक बर्तन: सुविधा के साथ छुपा ज़हर
नॉन-स्टिक तवे और पैन का चलन आजकल हर घर में आम हो गया है। बिना तेल के खाना बनाने के लिए इसे सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है।
लेकिन इन बर्तनों पर जो Teflon कोटिंग होती है, उसमें मौजूद PFOA (Perfluorooctanoic acid) नाम का तत्व हाई टेम्परेचर पर घुलने लगता है और खाने में मिल जाता है।
यह केमिकल कई मेडिकल स्टडी में कैंसर, थायरॉइड डिजीज और प्रजनन समस्याओं से जुड़ा पाया गया है।
क्या करें?
- नॉन-स्टिक बर्तन बहुत ज़्यादा गर्म न करें
- अगर कोटिंग छिलने लगी हो तो बर्तन तुरंत बदल दें
- स्टील, आयरन या कास्ट आयरन बर्तनों का प्रयोग करें
बासी तेल का दोबारा इस्तेमाल: धीमा ज़हर
भारतीय घरों में एक आम आदत होती है – एक बार इस्तेमाल किया हुआ तेल दोबारा उपयोग करना। खासकर पकौड़े या पूड़ी तलने के बाद वही तेल फिर किसी और दिन इस्तेमाल होता है।
ऐसा करने से तेल में ट्रांस फैट्स और फ्री रेडिकल्स बन जाते हैं जो शरीर में जाकर कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।
ये तत्व कैंसर, हार्ट डिजीज और डायबिटीज जैसे रोगों का कारण बन सकते हैं।
बेहतर विकल्प क्या है?
- बचे हुए तेल को दोबारा न गर्म करें
- तलने वाले भोजन को सीमित करें
- सरसों, मूंगफली, या नारियल जैसे पारंपरिक तेलों का उपयोग करें
जले हुए या ओवरकुक्ड खाने से भी होता है खतरा
जब आप खाना ज़्यादा भूनते या जलाते हैं, तो उसमें Acrylamide नाम का केमिकल बनता है। ये एक कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला) तत्व है।
खासकर आलू, ब्रेड, चावल या किसी भी स्टार्च वाले फूड को ज़्यादा फ्राई या बेक करने पर ये केमिकल बनता है।
बचाव कैसे करें?
- खाना धीमी आंच पर पकाएं
- जले हुए हिस्से को न खाएं
- डीप फ्राय के बजाय बेक या स्टीम का ऑप्शन चुनें
माइक्रोवेव में खाना गर्म करना: सही तरीका जरूरी
माइक्रोवेव में खाना गर्म करना आम बात है, लेकिन अगर आप प्लास्टिक कंटेनर में खाना गर्म करते हैं तो खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कई बार माइक्रोवेव में खाना असमान रूप से गर्म होता है, जिससे कुछ हिस्सों में बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
क्या करें?
- केवल microwave-safe बर्तन इस्तेमाल करें
- खाना गर्म करने के बाद अच्छी तरह हिलाएं
- स्टील या मेटल को माइक्रोवेव में कभी न रखें
प्रोसेस्ड फूड्स और पैकेजिंग
रोज़मर्रा के जीवन में प्रोसेस्ड फूड्स का चलन बहुत बढ़ गया है। चिप्स, इंस्टैंट नूडल्स, रेडी-टू-ईट पैकेट्स आदि में मौजूद प्रिज़र्वेटिव्स, कलर और फ्लेवरिंग एजेंट्स शरीर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते हैं।
इन पदार्थों में nitrates, nitrites और MSG जैसे केमिकल्स होते हैं, जो पेट और आंत के कैंसर से जुड़े पाए गए हैं।
कैसे बचें?
- ताजे और घर के बने खाने को प्राथमिकता दें
- प्रोसेस्ड फूड्स की मात्रा कम करें
- पैकेट के पीछे लिखे इंग्रीडिएंट्स जरूर पढ़ें
रसोई की सफाई में इस्तेमाल होने वाले कैमिकल्स
बर्तन धोने का लिक्विड, स्लैब क्लीनर या ओवन क्लीनर जैसी चीज़ें ज़रूरत की हैं, लेकिन इनका अति प्रयोग या लापरवाही से उपयोग खतरनाक हो सकता है।
इनमें मौजूद कुछ केमिकल्स हवा में मिलकर हमारी सांसों के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकते हैं और फेफड़ों के कैंसर की संभावना बढ़ा सकते हैं।
क्या करना चाहिए?
- क्लीनर का उपयोग करने के बाद अच्छे से धोएं
- केमिकल फ्री या ऑर्गेनिक क्लीनिंग प्रोडक्ट्स अपनाएं
- किचन में वेंटिलेशन का ध्यान रखें
पेकिंग फॉयल और कैंसर का रिश्ता
एल्युमिनियम फॉयल का उपयोग खाना पैक करने या ग्रिल करने में होता है, लेकिन लगातार और गर्म खाने के साथ इसका उपयोग शरीर में एल्युमिनियम टॉक्सिन बढ़ा सकता है।
कुछ स्टडीज के अनुसार अधिक मात्रा में एल्युमिनियम का सेवन नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकता है।
क्या है सही तरीका?
- फॉयल का सीमित उपयोग करें
- खाने को सीधे फॉयल में न लपेटें, खासकर जब वो गर्म हो
- केले के पत्ते, पपीते के पत्ते या बटर पेपर जैसे विकल्प अपनाएं
रसोई में हवा का बहाव और कैंसर का संबंध
अक्सर किचन में वेंटिलेशन यानी हवा आने-जाने की सुविधा नहीं होती। खाना बनाते समय गैस या तेल से निकलने वाला धुआं बंद किचन में रुक जाता है।
इस धुएं में polycyclic aromatic hydrocarbons (PAHs) जैसे तत्व होते हैं जो लंबे समय तक सांस के जरिए शरीर में जाते हैं और फेफड़ों के कैंसर का कारण बन सकते हैं।
कैसे रोकें?
- किचन में एक्जॉस्ट फैन या विंडो जरूर हो
- खाना बनाते समय खिड़की खोलें
- प्राकृतिक हवा के बहाव का ध्यान रखें
सावधानी से बदलें रसोई का चेहरा, बचाएं ज़िंदगी
रसोई हमारे जीवन का आधार है, लेकिन अगर थोड़ी सी लापरवाही बरती जाए तो यही रसोई हमें बीमार भी कर सकती है।
ऊपर बताए गए सभी कारणों में एक बात सामान्य है – लंबे समय तक नजरअंदाज करने से ये आदतें गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
आपको बस इतना करना है कि अपने किचन को थोड़ा सा स्मार्ट और हेल्दी बनाना है। छोटे-छोटे बदलाव जैसे सही बर्तनों का चयन, प्लास्टिक का कम प्रयोग, प्रोसेस्ड फूड से दूरी और अच्छी वेंटिलेशन का ध्यान रखकर आप न केवल कैंसर जैसी बीमारी से बच सकते हैं, बल्कि अपने पूरे परिवार को एक बेहतर जीवन दे सकते हैं।
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