मोटापा(Obesity) आज एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है। केवल खराब खाने की आदतें और कम व्यायाम ही इसके कारण नहीं होते। कई बार हम देखते हैं कि कुछ लोग कम कैलोरी लेने पर भी वजन बढ़ा लेते हैं, जबकि कुछ लोग अधिक खाकर भी वजन नहीं बढ़ाते। ऐसा क्यों होता है? वैज्ञानिकों ने मोटापे को समझने के लिए कई थ्योरी विकसित की हैं। इन थ्योरीज के माध्यम से हम समझ सकते हैं कि शरीर और मन किस तरह से वजन बढ़ाने या घटाने में भूमिका निभाते हैं।
जीन और आनुवंशिक प्रभाव (Genetic Predisposition Theory)
मोटापा(Obesity) केवल खान-पान या एक्सरसाइज की वजह से नहीं होता, बल्कि आपके जीन यानी आपके परिवार से मिले गुण भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। कई शोध बताते हैं कि अगर परिवार में किसी को मोटापा है, तो आपको भी इसका खतरा ज्यादा होता है।
मिसाल के तौर पर, FTO नाम के जीन के कुछ खास हिस्से होते हैं जो आपकी भूख बढ़ा देते हैं, जिससे आप ज्यादा खाना खाने लगते हैं। जीन आपके शरीर के मेटाबॉलिज्म (खाना पचाने की क्षमता), फैट जमा करने और इंसुलिन की प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं। इसका मतलब है कि हर किसी का शरीर कैलोरी को अलग तरीके से संभालता है, जिससे कुछ लोग जल्दी वजन बढ़ा लेते हैं।
सेट पॉइंट थ्योरी (Set Point Theory)
सेट पॉइंट थ्योरी कहती है कि हमारे शरीर का एक खास वजन होता है, जिसे हमारा मस्तिष्क के एक हिस्से, हाइपोथैलेमस, नियंत्रित करता है।
जब हमारा वजन इस खास स्तर से ऊपर या नीचे जाता है, तो हमारा शरीर उसे वापस उसी वजन पर लाने की कोशिश करता है।अगर कोई वजन कम करता है, तो शरीर भूख बढ़ा देता है और मेटाबॉलिज्म (खाना जलाने की प्रक्रिया) धीमी कर देता है, जिससे वजन वापस बढ़ सकता है।
इस वजह से वजन कम करना और उसे बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है।
पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक कारक(Psychological and Behavioral Theory)
आज की जीवनशैली और पर्यावरण मोटापे(Obesity) के बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- फास्ट फूड, प्रोसेस्ड और उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की आसान उपलब्धता वजन बढ़ाने में सहायक होती है।
- कम शारीरिक गतिविधि और अधिक स्क्रीन टाइम भी मोटापा(Obesity) बढ़ाते हैं।
- इसके अलावा, निम्न आय वर्ग के लोग पौष्टिक भोजन और स्वस्थ जीवनशैली के संसाधनों से वंचित रह सकते हैं।
- तनाव और अनिद्रा जैसे कारण भी वजन बढ़ाने में योगदान देते हैं।
कारक मोटापे पर प्रभाव उदाहरण अस्वस्थ भोजन उच्च कैलोरी और पोषक तत्वों की कमी जंक फूड, मिठाई शारीरिक गतिविधि कम व्यायाम और बैठने का समय अधिक होना टीवी देखना, मोबाइल खेलना सामाजिक स्थिति सीमित संसाधन और तनाव कम आय, सामाजिक दबाव
गट माइक्रोबायोम थ्योरी (Gut Microbiome Theory)
हमारे पेट में लाखों छोटे-छोटे बैक्टीरिया रहते हैं, जिन्हें माइक्रोबायोम कहा जाता है। ये बैक्टीरिया खाने को पचाने, जरूरी पोषक तत्व लेने और ऊर्जा बनाने में मदद करते हैं।
शोध बताते हैं कि मोटे लोगों के पेट में कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो खाने से ज्यादा कैलोरी निकाल लेते हैं। कुछ बैक्टीरिया ऐसे भी होते हैं जो शरीर के फैट जमा करने वाले हार्मोन को प्रभावित करते हैं, जिससे शरीर ज्यादा वसा जमा करता है।इस विषय पर अभी भी कई शोध हो रहे हैं, और आने वाले समय में यह मोटापे(Obesity) के इलाज का नया तरीका बन सकता है।
मनोवैज्ञानिक और व्यवहारिक थ्योरी (Psychological and Behavioral Theory)
मनोवैज्ञानिक कारण भी मोटापे में बहुत बड़ा रोल निभाते हैं। जब लोग तनाव, अवसाद या चिंता महसूस करते हैं, तो वे अक्सर भावनाओं को संभालने के लिए ज्यादा खाते हैं, जिसे हम ‘भावनात्मक भोजन’ कहते हैं। इससे जरूरत से ज्यादा कैलोरी शरीर में चली जाती है।
तनाव का हार्मोन कॉर्टिसोल शरीर में खासकर पेट के आसपास फैट जमा करने में मदद करता है। इसके अलावा, बचपन में बनी खराब खाने की आदतें और कम शारीरिक गतिविधि भी उम्र भर मोटापे(Obesity) की समस्या बढ़ा सकती हैं।
मोटापा कम करने के 10 असरदार उपाय (Weight Loss Tips)
1. संतुलित और पोषणयुक्त आहार लें
- ज्यादा फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर चीज़ें खाएं
- तली-भुनी और प्रोसेस्ड चीज़ें जैसे चिप्स, फास्ट फूड, और सोडा से दूरी बनाएं
- खाने में फाइबर ज़रूर शामिल करें, यह पेट को देर तक भरा रखता है
2. नियमित व्यायाम करें
- रोज़ कम से कम 30 मिनट तेज़ चलना, दौड़ना, योग या जिम
- सप्ताह में 5 दिन एक्टिव रहना ज़रूरी है
- शुरुआत में हल्का व्यायाम करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाएं
3. पर्याप्त पानी पिएं
- दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पिएं
- खाने से 30 मिनट पहले पानी पीने से भूख कम लगती है
4. तनाव कम करें
- मेडिटेशन, प्राणायाम या गहरी सांस लेने की तकनीक अपनाएं
- भरपूर नींद लें, क्योंकि नींद की कमी भी वजन बढ़ा सकती है
5. खाने का समय तय करें
- देर रात का खाना टालें
- खाने और सोने के बीच कम से कम 2-3 घंटे का अंतर रखें
6. धीरे-धीरे और ध्यान से खाएं
- टीवी या मोबाइल देखते हुए खाने से बचें
- धीरे खाने से पेट भरने का एहसास जल्दी होता है
7. शुगर और रिफाइंड कार्ब्स से दूरी बनाएं
- सफेद ब्रेड, मिठाइयाँ, कोल्ड ड्रिंक्स और पैकेज्ड फूड में चीनी ज्यादा होती है
- इसके बजाय फल और नेचुरल मिठास को चुनें
8. हफ्ते में एक बार वजन चेक करें
- ट्रैक करें कि आप कितना प्रगति कर रहे हैं
- अचानक ज्यादा वजन बढ़े तो कारण पहचानें
9. डॉक्टर या डाइटिशियन से सलाह लें
अगर मोटापा बहुत ज्यादा है या कोई मेडिकल समस्या है तो विशेषज्ञ की मदद लें
10. छोटी-छोटी आदतें बदलें
- लिफ्ट की जगह सीढ़ियाँ लें
- कार की जगह वॉकिंग को चुनें
- ऑफिस में लंबे समय तक बैठने के बजाय हर 30 मिनट में थोड़ा चलें
मोटापा(Obesity) केवल एक जीवनशैली की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक जटिल स्थिति है जिसमें जीन, मस्तिष्क, पर्यावरण, माइक्रोबायोम और मनोवैज्ञानिक कारक गहरे जुड़े हुए हैं। इन विभिन्न थ्योरीज को समझकर हम न केवल मोटापे के प्रति जागरूक हो सकते हैं बल्कि इसे बेहतर तरीके से रोकने और इलाज करने में मदद भी कर सकते हैं। मोटापे से जुड़ी गलत धारणाओं को खत्म करना और विज्ञान के आधार पर समझ बढ़ाना, स्वस्थ समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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