हॉर्मुज की खाड़ी (Strait of Hormuz) पश्चिमी एशिया में स्थित एक संकीर्ण जलडमरूमध्य है, जो पर्शियन खाड़ी (Persian Gulf) को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त और सामरिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है। वैश्विक तेल व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा यहीं से होकर गुजरता है।

हाल ही में यह क्षेत्र एक बार फिर सुर्खियों में आया है क्योंकि कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव के कारण हॉर्मुज की खाड़ी में आवाजाही बाधित हुई है और अस्थायी रूप से इसे “बंद” माना जा रहा है। आइए इस विषय को गहराई से समझते हैं।
हॉर्मुज की खाड़ी: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
हॉर्मुज की खाड़ी का नाम “हॉर्मुज द्वीप” से पड़ा है, जो एक समय व्यापार और सामुद्रिक नियंत्रण का केंद्र था। इतिहास में यह क्षेत्र हमेशा से ही बड़े साम्राज्यों – जैसे कि फारसी, अरबी और बाद में ब्रिटिश और अमेरिकी प्रभाव – के लिए रणनीतिक रूप से अहम रहा है।
प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं:
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1980-1988 ईरान-इराक युद्ध के दौरान, इस खाड़ी को कई बार अस्थिर किया गया। इस समय को “टैंकर युद्ध” के रूप में जाना जाता है।
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1990-91 का खाड़ी युद्ध (Iraq-Kuwait-U.S.) के समय अमेरिका ने इस क्षेत्र में भारी सैन्य उपस्थिति दर्ज की।
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2000 के बाद, विशेष रूप से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच बार-बार तनाव बना रहा, जिसके कारण हॉर्मुज की खाड़ी में टकराव की स्थिति बनी रही।
भौगोलिक विशेषताएं
हॉर्मुज की खाड़ी की चौड़ाई केवल 33 किलोमीटर है, और इसमें से मात्र 10 किलोमीटर (दोनों ओर 5-5 किमी) का क्षेत्र ही जहाजों की आवाजाही के लिए सुरक्षित है। ऐसे में अगर कोई देश चाहे तो इस मार्ग को बड़ी आसानी से बाधित कर सकता है।
क्यों फिर से चर्चा में है हॉर्मुज की खाड़ी? (2025 की ताजा स्थिति)
1. ईरान-इस्राइल तनाव:
2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में ईरान और इस्राइल के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंचा। गाजा और लेबनान के मुद्दों पर ईरान समर्थित समूहों और इस्राइल के बीच हुई झड़पों ने इस क्षेत्र को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया। इसका सीधा असर हॉर्मुज पर पड़ा।
2. अमेरिकी नौसेना की गतिविधियाँ:
ईरान की समुद्री गतिविधियों की निगरानी और संभावित हमलों को रोकने के लिए अमेरिका ने अपनी नौसेना को इस क्षेत्र में तैनात कर रखा है। इससे ईरान इसे “उकसावे की कार्रवाई” मानता है।
3. जहाजों की जब्ती:
ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स द्वारा कुछ तेल टैंकरों को जब्त करने की खबरें आई हैं। इससे अन्य देशों ने अपने जहाजों की आवाजाही फिलहाल रोक दी है।
4. वैश्विक प्रभाव:
तेल की कीमतों में एकाएक उछाल देखने को मिला है। भारत, चीन, जापान और यूरोप जैसे देशों पर इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है क्योंकि ये देश बड़ी मात्रा में तेल इसी रास्ते से आयात करते हैं।
ईरान की रणनीति: हॉर्मुज पर नियंत्रण
ईरान लंबे समय से कहता आया है कि यदि उसके तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया, तो वह हॉर्मुज को बंद कर देगा। यह धमकी कई बार दी गई है, और हाल की घटनाओं ने इसे फिर से चर्चा में ला दिया है।
ईरान मानता है कि यदि पश्चिमी देश उस पर एकपक्षीय प्रतिबंध लगाते हैं, तो वह हॉर्मुज पर नियंत्रण करके “प्रतिक्रिया” दे सकता है। यह “भू-राजनीतिक ब्लैकमेलिंग” का एक तरीका भी माना जाता है।

अन्य देशों की प्रतिक्रिया:
1. अमेरिका:
अमेरिका ने साफ तौर पर कहा है कि वह हॉर्मुज की आवाजाही को किसी भी हाल में बाधित नहीं होने देगा। अमेरिकी नौसेना पूरी तरह सतर्क है।
2. भारत:
भारत ने अपनी व्यावसायिक नौसेना और तेल कंपनियों को सतर्क रहने को कहा है। भारत इस क्षेत्र से लगभग 60% कच्चा तेल मंगाता है।
3. यूरोपीय संघ:
EU ने बातचीत के जरिए समाधान निकालने की बात कही है और किसी भी युद्ध की स्थिति को टालने की अपील की है।
हॉर्मुज की खाड़ी के बंद होने के प्रभाव:
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तेल की कीमतों में उछाल:
वैश्विक तेल बाजार अस्थिर हो गया है। भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए यह आर्थिक संकट की शुरुआत हो सकती है। -
समुद्री व्यापार में रुकावट:
मालवाहक जहाजों को लंबा रूट अपनाना पड़ सकता है, जिससे लागत बढ़ेगी। -
कूटनीतिक तनाव:
अमेरिका, ईरान, चीन, रूस, भारत सभी को अलग-अलग रणनीतियाँ अपनानी पड़ेंगी। -
क्षेत्रीय युद्ध की आशंका:
यदि हॉर्मुज पूरी तरह बंद हो गया तो यह सीधा-सीधा युद्ध की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
भविष्य की संभावनाएं और समाधान:
1. कूटनीतिक समाधान:
संयुक्त राष्ट्र और प्रमुख देशों को तत्काल वार्ता के जरिए तनाव कम करने की पहल करनी चाहिए।
2. वैकल्पिक मार्ग:
खाड़ी देशों को वैकल्पिक पाइपलाइनों और समुद्री मार्गों पर ध्यान देना होगा, जैसे कि UAE का अबू धाबी से फुजैरा तक पाइपलाइन।
3. वैश्विक सहयोग:
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह समझना होगा कि एक देश की गतिविधियों का असर पूरी दुनिया पर हो सकता है। संयुक्त प्रयास जरूरी है।
हॉर्मुज की खाड़ी कोई साधारण समुद्री मार्ग नहीं है, बल्कि यह एक भू-राजनीतिक शक्ति-संतुलन का केंद्र है। इसका बंद होना केवल ईरान और अमेरिका के बीच का मामला नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा विषय है।
आज, जब 2025 में फिर से इसकी स्थिति गंभीर हो गई है, तो सभी देशों को मिलकर इसे स्थिर और शांतिपूर्ण बनाए रखने की कोशिश करनी होगी। अन्यथा इसका परिणाम महज आर्थिक संकट नहीं, बल्कि वैश्विक संघर्ष के रूप में सामने आ सकता है।
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