भारतीय वायुसेना के 39 वर्षीय ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर सफर शुरू किया है। यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि समूचे अंतरिक्ष जगत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया है। शुभांशु अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बने हैं, और उनके अंतरिक्ष से आए पहले संदेश ने करोड़ों भारतीयों का ध्यान आकर्षित किया।
Axiom-4 मिशन की शुरुआत
Axiom-4 एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष मिशन है, जिसे अमेरिका की निजी अंतरिक्ष कंपनी Axiom Space द्वारा संचालित किया जा रहा है। इस मिशन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चुने गए चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं: भारत के शुभांशु शुक्ला, अमेरिका की अनुभवी NASA अंतरिक्ष यात्री पेगी व्हिटसन (कमांडर), हंगरी के टिबोर कापू और पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की।
यह मिशन SpaceX के Falcon 9 रॉकेट के जरिए 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर के प्रसिद्ध लॉन्चपैड LC-39A से लॉन्च किया गया, जहाँ से पहले अपोलो-11 जैसी ऐतिहासिक उड़ानें हो चुकी हैं। इस मिशन का उद्देश्य ISS में 14 से 21 दिन तक रहकर वैज्ञानिक प्रयोग करना है।
अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश
उड़ान भरने के कुछ ही घंटे बाद शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से एक वीडियो संदेश के माध्यम से सभी को “अंतरिक्ष से नमस्कार” कहा। उन्होंने अपने शब्दों में यह अनुभव साझा किया कि कैप्सूल में बैठते वक्त उनके मन में केवल एक ही भावना थी – “चलो, बस अब उड़ चलें।”
उन्होंने बताया कि लॉन्च के समय जब रॉकेट ऊपर बढ़ रहा था, तो वे सीट से पीछे की ओर दबाव महसूस कर रहे थे। और फिर अचानक, जैसे सब कुछ शून्य में बदल गया – ऐसा लग रहा था जैसे वे तैर रहे हों। उन्होंने कहा कि वह अब एक बच्चे की तरह माइक्रोग्रैविटी में रहना, खाना, चलना सीख रहे हैं। यह उनके लिए पूरी तरह से नया और रोमांचक अनुभव है।
#WATCH | “Namaskar from space! I am thrilled to be here with my fellow astronauts. What a ride it was,” says Indian astronaut Group Captain Subhanshu, who is piloting #AxiomMission4, as he gives details about his journey into space.
Carrying a soft toy Swan, he says, in Indian… pic.twitter.com/Z09Mkxhfdj
— ANI (@ANI) June 26, 2025
देश के लिए गर्व का क्षण
शुभांशु शुक्ला का यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश के लिए भावनात्मक रूप से भी एक गर्व का विषय है। राकेश शर्मा के बाद यह पहला मौका है जब कोई भारतीय नागरिक अंतरिक्ष में गया है। राकेश शर्मा ने 1984 में भारत-सोवियत मिशन के तहत उड़ान भरी थी।
शुक्ला ने अपने संदेश में “जय हिंद, जय भारत” का उद्घोष किया और कहा कि उनके कंधे पर तिरंगा है, और यह उनके लिए अत्यंत गौरव की बात है कि वह भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि यह मिशन अगली पीढ़ी को अंतरिक्ष के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करे।
वैज्ञानिक प्रयोग और उद्देश्य
Axiom-4 मिशन में कुल 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे। इनमें से 7 प्रयोग विशेष रूप से भारत द्वारा प्रस्तावित किए गए हैं, जिन्हें शुभांशु शुक्ला ही अंजाम देंगे। इन प्रयोगों में शामिल हैं:
- माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियों का विकास (myogenesis)
- खाद्य बीजों का अंकुरण
- सायनोबैक्टीरिया (Cyanobacteria) पर शोध
- माइक्रोएल्गी पर अध्ययन
इन प्रयोगों का उद्देश्य यह समझना है कि अंतरिक्ष के वातावरण में जैविक जीवन और मानव शरीर किस प्रकार प्रतिक्रिया करता है। यह भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब भारत अपने गगनयान मिशन की तैयारी कर रहा है।
तकनीकी बाधाएं और देरी
Axiom-4 मिशन को कई बार स्थगित किया गया। शुरुआत में इसे 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों जैसे लिक्विड ऑक्सीजन लीक, रॉकेट प्रणाली की जांच और मौसम की अनिश्चितता के चलते इसकी उड़ान बार-बार टलती रही।
लगभग एक महीने की तैयारी और सुरक्षा समीक्षा के बाद अंततः 25 जून 2025 को इसकी सफल लॉन्चिंग हुई। इस दौरान NASA, SpaceX और Axiom की टीमों ने कड़ी मेहनत कर सभी तकनीकी खामियों को दूर किया।
अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती भूमिका
इस मिशन से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब अंतरिक्ष अनुसंधान और मानव मिशन की दिशा में तेज़ी से अग्रसर है। शुभांशु का यह मिशन न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा या अन्य ग्रहों तक भेजने की राह खोलता है।
यह मिशन ISRO और भारत सरकार के “गगनयान” मानवीय मिशन की तैयारी का भी हिस्सा है। शुभांशु शुक्ला को ISRO के बेंगलुरु स्थित केंद्र और रूस में व्यापक प्रशिक्षण दिया गया था, ताकि वे अंतरिक्ष में सुरक्षित और प्रभावी तरीके से प्रयोग कर सकें।
शुभांशु शुक्ला का प्रोफ़ाइल
लखनऊ निवासी शुभांशु शुक्ला NDA (नेशनल डिफेंस एकेडमी) के पूर्व छात्र हैं। भारतीय वायुसेना में उन्होंने Su-30 MKI और MiG-29 जैसे प्रमुख लड़ाकू विमानों को उड़ाया है। वे एक योग्य प्रशिक्षक भी रह चुके हैं।
उनके पास रूस में गगनयान के लिए मानव मिशन की विशेष ट्रेनिंग है, और यही अनुभव उन्हें Axiom-4 जैसे अंतरराष्ट्रीय मिशन के लिए चुने जाने में सहायक बना।
भविष्य की दिशा
Axiom-4 मिशन भारत के लिए एक नया अध्याय है। अब जब निजी कंपनियां और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां मिलकर अंतरिक्ष अन्वेषण कर रही हैं, तो भारत की भागीदारी और नेतृत्व महत्वपूर्ण हो गया है।
यह मिशन दिखाता है कि हम न केवल पृथ्वी पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी एक ताकत बन रहे हैं। भविष्य में भारत के अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा और मंगल की ओर भी कदम बढ़ा सकते हैं।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला? उम्र, शिक्षा, परिवार और निजी जीवन:
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के एक अनुभवी पायलट हैं और अब Axiom-4 मिशन के ज़रिए अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय नागरिक बन चुके हैं। उनकी उम्र लगभग 39 वर्ष है (2025 के अनुसार)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के रहने वाले शुभांशु ने भारतीय वायुसेना में लंबा और सम्मानजनक करियर बनाया है, जिसकी शुरुआत नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से हुई थी। इसके बाद उन्होंने भारतीय वायुसेना अकादमी से प्रशिक्षण प्राप्त किया और एक फाइटर पायलट के रूप में सेवा दी।
शिक्षा की बात करें तो शुभांशु न केवल एक सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि उन्हें अंतरिक्ष विज्ञान, एयरोस्पेस और मिशन प्लानिंग का भी व्यापक ज्ञान है। उन्होंने रूस में विशेष अंतरिक्ष मिशन प्रशिक्षण भी प्राप्त किया है, जो ISRO के गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन के तहत जरूरी था। इस ट्रेनिंग में उन्हें माइक्रोग्रैविटी, अंतरिक्ष कैप्सूल संचालन, जीवन रक्षक प्रणालियों और मनोवैज्ञानिक तैयारी जैसी गहन विषयों पर शिक्षा दी गई।
जहां तक उनके पारिवारिक जीवन की बात है, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के अनुसार शुभांशु शुक्ला विवाहित हैं। उनकी पत्नी का नाम फिलहाल सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके परिवार ने उनके मिशन को पूरा समर्थन दिया है। लॉन्च के समय उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य अमेरिका में मौजूद थे और लॉन्च को लाइव देख रहे थे। उनका यह मिशन उनके परिवार के लिए गर्व का विषय रहा है।
शुभांशु का व्यक्तित्व बेहद शांत, अनुशासित और प्रेरणादायक माना जाता है। उनके साथी अधिकारी उन्हें मेहनती, फोकस्ड और टेक्नोलॉजी-ओरिएंटेड कहते हैं। वे युवाओं के लिए एक आदर्श हैं, खासकर उन छात्रों के लिए जो विज्ञान और रक्षा क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं।
निष्कर्ष
शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से भेजा गया पहला संदेश एक प्रेरणा है – न केवल छात्रों और युवाओं के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए। यह मिशन सिर्फ विज्ञान और तकनीक का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारत के सपनों और उसकी क्षमताओं की ऊंची उड़ान का प्रतीक है।
Axiom-4 एक ऐसा मील का पत्थर है, जिससे भारत की अंतरिक्ष यात्रा को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी। शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा एक बच्चे की उत्सुकता से शुरू हुई है, और अब यह पूरे देश के लिए उम्मीद की किरण बन गई है।
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