राजदीप सरदेसाई: हाल ही में सोशल मीडिया पर एक नई बहस शुरू हो गई है जिसमें दिग्गज पत्रकार राजदीप सरदेसाई की इंडिया टुडे से अचानक विदाई को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। खास बात यह है कि इस कथित विदाई पर ना तो चैनल की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है और ना ही सरदेसाई की तरफ से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी गई है।

क्या हुआ है मामला?
सूत्रों के अनुसार, राजदीप सरदेसाई को चैनल से हटाया गया है, और चौंकाने वाली बात यह है कि उनके लिए कोई औपचारिक विदाई समारोह भी आयोजित नहीं किया गया। सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा है कि हाल ही में PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) को लेकर दिए गए एक कथित बयान के बाद यह कदम उठाया गया। हालांकि इस बयान की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
पहले भी रहे हैं विवादों में
यह पहली बार नहीं है जब राजदीप सरदेसाई विवादों में आए हों। जनवरी 2021 में किसान आंदोलन के दौरान एक किसान की मौत पर गलत जानकारी साझा करने के चलते उन्हें दो हफ्ते के लिए ऑफ-एयर किया गया था और एक महीने की सैलरी भी काटी गई थी। इसके बाद भी वे राष्ट्रपति भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से जुड़ी गलत जानकारी साझा करने को लेकर आलोचना का शिकार हुए।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर #RajdeepSardesai और #IndiaToday ट्रेंड करने लगे हैं। कई लोग उनके समर्थन में सामने आए हैं, जबकि कुछ ने चैनल के फैसले को सही ठहराया है।
क्या है सच्चाई?
अब तक इंडिया टुडे ग्रुप की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है जिससे पुष्टि हो सके कि राजदीप सरदेसाई को निकाला गया है या उन्होंने स्वयं इस्तीफा दिया है।
जब तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आती, तब तक इस पूरे घटनाक्रम को लेकर अटकलें ही लगाई जा सकती हैं। लेकिन यह बात साफ है कि पत्रकारिता की दुनिया में यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है — क्या विचारों की आज़ादी की क़ीमत चुकानी पड़ती है?
खबर से इतर:
राजदीप सरदेसाई भारत के प्रमुख पत्रकारों में से एक हैं, जिनका करियर तीन दशकों से अधिक का है। उन्होंने प्रिंट और टेलीविज़न पत्रकारिता दोनों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:
🏆 प्रमुख पुरस्कार और सम्मान
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पद्मश्री (2008): भारत सरकार द्वारा पत्रकारिता में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित।
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इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टर्स अवार्ड: 2002 के गुजरात दंगों की कवरेज के लिए।
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रामनाथ गोयनका एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म अवार्ड (2006): पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए।
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प्रेम भाटिया अवार्ड (2019): राजनीतिक पत्रकारिता में विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग के लिए।
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ENBA लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड (2020): पत्रकारिता में आजीवन योगदान के लिए।
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एशियन टेलीविज़न अवार्ड: टॉक शो और न्यूज़ प्रेजेंटेशन दोनों के लिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय।
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इंडियन टेलीविज़न एकेडमी अवार्ड: ‘न्यूज़ एंकर ऑफ द ईयर’ का खिताब दस बार प्राप्त किया।
📚 लेखक के रूप में योगदान
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2014: द इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया: 2014 के आम चुनावों पर आधारित पुस्तक।
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2019: हाउ मोदी वोन इंडिया: 2019 के चुनावों की गहन विश्लेषणात्मक रिपोर्ट।
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डेमोक्रेसी इलेवन: भारतीय क्रिकेट की कहानियों पर आधारित पुस्तक, जिसे MCC लॉर्ड्स द्वारा ‘क्रिकेट बुक ऑफ द ईयर’ के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया।
📺 करियर की मुख्य झलकियाँ
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टाइम्स ऑफ इंडिया: 1988 में करियर की शुरुआत, मुंबई संस्करण के सिटी एडिटर रहे।
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NDTV: 1994 में टेलीविज़न पत्रकारिता में प्रवेश, NDTV 24×7 और NDTV इंडिया के मैनेजिंग एडिटर रहे।
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CNN-IBN: 2005 में CNN और TV18 के साथ मिलकर CNN-IBN की स्थापना की, जो भारत के प्रमुख अंग्रेज़ी समाचार चैनलों में से एक बना।
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इंडिया टुडे ग्रुप: वर्तमान में कंसल्टिंग एडिटर और प्रमुख न्यूज़ एंकर के रूप में कार्यरत।
👨👩👧👦 व्यक्तिगत जीवन
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जन्म: 24 मई 1965, अहमदाबाद, गुजरात।
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पिता: दिलीप सरदेसाई, पूर्व भारतीय क्रिकेटर।
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शिक्षा: सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से स्नातक; ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स और कानून की डिग्री।
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पत्नी: सागरिका घोष, वरिष्ठ पत्रकार और लेखिका।
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बच्चे: एक बेटा ईशान (ईएनटी सर्जन) और एक बेटी तारिणी।
नोट: यह लेख सोशल मीडिया पर चल रही अपुष्ट चर्चाओं और अटकलों पर आधारित है। खबर लिखे जाने तक इंडिया टुडे या राजदीप सरदेसाई की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
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