यमन: पश्चिम एशिया का एक छोटा सा देश यमन (Yemen), एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। दशकों से गृहयुद्ध, मानवीय संकट और भू-राजनीतिक टकरावों का केंद्र बना यह देश अब एक बार फिर वैश्विक ध्यान खींच रहा है।
हाल ही में यमन में हौथी विद्रोहियों (Houthi Rebels) और अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सेनाओं के बीच फिर से हिंसक झड़पें तेज़ हो गई हैं। साथ ही, रेड सी (Red Sea) और बाब-अल-मंदब जलसंधि के पास जहाजों पर हौथी हमलों ने वैश्विक व्यापार पर असर डाला है। आइए जानते हैं यमन की मौजूदा स्थिति, संघर्ष के कारण और इसके वैश्विक प्रभाव के बारे में।

यमन क्यों है खबरों में :
-
रेड सी में हौथी हमले
हौथी विद्रोहियों द्वारा हाल ही में अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक जहाजों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों की घटनाएं बढ़ गई हैं। ये हमले विशेष रूप से अमेरिका, इजरायल और पश्चिमी देशों से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इसके कारण रेड सी से होकर गुजरने वाले व्यापारिक मार्ग पर खतरा मंडरा रहा है। -
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव
यमन का गृहयुद्ध अब सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं रहा। इसमें ईरान (जो हौथी विद्रोहियों का समर्थन करता है) और अमेरिका-सऊदी अरब गठबंधन के बीच शक्ति संघर्ष साफ दिखता है। अमेरिका द्वारा यमन में हवाई हमले और हौथियों द्वारा जवाबी कार्रवाई ने हालात को और गंभीर बना दिया है। -
मानवीय संकट और भुखमरी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यमन में 2.3 करोड़ से अधिक लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं। लाखों लोग कुपोषण, भुखमरी और असुरक्षा का सामना कर रहे हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट बना हुआ है। -
अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार पर प्रभाव
यमन की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। बाब-अल-मंदब जलसंधि वैश्विक तेल व्यापार का अहम मार्ग है। हौथी हमलों की वजह से कई बड़ी शिपिंग कंपनियों ने अपने जहाजों का रूट बदलना शुरू कर दिया है जिससे ईंधन की लागत और वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है।
यमन का इतिहास और संघर्ष की जड़ें:
यमन में चल रहा संघर्ष अचानक नहीं हुआ। इसकी जड़ें गहरी और जटिल हैं:
-
2011 की अरब क्रांति के दौरान यमन में भी राजनीतिक अस्थिरता आई और लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे अली अब्दुल्ला सालेह को इस्तीफा देना पड़ा।
-
2014 में हौथी विद्रोहियों ने राजधानी सना (Sanaa) पर कब्जा कर लिया और सरकार को हटा दिया।
-
2015 से सऊदी अरब के नेतृत्व में गठबंधन सेना ने हौथियों के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए। तब से यह संघर्ष गृहयुद्ध का रूप ले चुका है।
हौथी विद्रोही कौन हैं?
हौथी, ज़ैदी शिया मुस्लिम समुदाय से संबंध रखने वाला एक सशस्त्र समूह है, जिसे अंसारुल्लाह भी कहा जाता है।
-
इनका उद्देश्य यमन में धार्मिक और राजनीतिक प्रभाव बढ़ाना है।
-
हौथियों को ईरान से सैन्य और रणनीतिक समर्थन प्राप्त है।
-
इनकी रणनीति में मिसाइल, ड्रोन हमले और समुद्री हमले शामिल हैं।
यमन संघर्ष का वैश्विक प्रभाव:
-
तेल और गैस की कीमतें
रेड सी मार्ग असुरक्षित होने से तेल की आपूर्ति प्रभावित होती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ती हैं। -
भारत पर प्रभाव
भारत जैसे देश जो खाड़ी देशों से व्यापार करते हैं, उनके लिए भी यह अस्थिरता महंगी साबित हो सकती है। भारत को तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, शिपिंग डिले और भू-राजनीतिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। -
आतंकवाद का खतरा
यमन की अस्थिरता का फायदा उठाकर अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन भी अपनी मौजूदगी मजबूत करने की कोशिश करते हैं।
संभावित समाधान क्या हैं?
-
संवाद और कूटनीति: संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से निकालने के प्रयास तेज़ करने चाहिए।
-
मानवीय सहायता: वैश्विक संगठनों को यमन के भूखे और विस्थापित लोगों तक भोजन, चिकित्सा और सहायता पहुँचाने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे।
-
सीमा पर नियंत्रण: ईरान और सऊदी अरब को आपसी संघर्ष को सीमित कर यमन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करना होगा।

यमन एक ऐसा देश है जहां की स्थिति न केवल वहां के नागरिकों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय है। आज यमन सिर्फ एक भू-राजनीतिक विवाद नहीं है, बल्कि यह एक मानवीय त्रासदी और वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यमन संघर्ष को केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं समझना चाहिए, बल्कि इसे एक वैश्विक आपात स्थिति के रूप में देख कर तुरंत कदम उठाने चाहिए।
ऐसे और भी एक्सप्लेनर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
GBU-57 क्यों है चर्चा में: जानिए इस मिसाइल के बारे में सबकुछ!