बिसी बेले भात एक पारंपरिक और बेहद प्रसिद्ध कर्नाटक व्यंजन है, जो स्वाद, पौष्टिकता और संस्कृति का अनोखा मेल है। इस डिश का नाम ही अपने स्वाद और तापमान को दर्शाता है:
- बिसी = गरम
- बेले = दाल
-
भात = चावल आधारित व्यंजन
यानि — “गरम दाल चावल का मिश्रण”, जो विशेष मसालों, ताजे सब्जियों और देसी तड़के के साथ बनता है।

🧾 बिसी बेले भात का इतिहास:
📜 शुरुआत राजमहल से: मैसूर दरबार की रसोई में जन्म
बिसी बेले भात का इतिहास दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों में से एक, कर्नाटक से जुड़ा हुआ है। यह व्यंजन अपने आप में शाही विरासत और लोकप्रियता की यात्रा का प्रतीक है।
इस व्यंजन की शुरुआत 18वीं सदी के दौरान मानी जाती है, जब मैसूर साम्राज्य (Mysore Kingdom) अपने वैभव के चरम पर था। उस समय के वाडियार राजवंश (Wodeyar Dynasty) के शाही रसोईयों (Royal Cooks) ने विशेष रूप से यह व्यंजन महाराजाओं के लिए तैयार किया।
यह व्यंजन केवल स्वाद के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और पोषण को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था। दाल, चावल, इमली, सब्जियां और गरम मसालों का संयोजन एक ऐसा राजसी मिश्रण बनाता था, जो शरीर को ऊर्जा, गर्मी और पाचन शक्ति देता।
🔐 1. शाही बावर्चियों का “गोपनीयता नियम” (Royal Secret Protocol)
बिसी बेले भात मूल रूप से मैसूर दरबार (Mysore Palace) की रसोई में बना था।
राजमहलों में काम करने वाले बावर्चियों को ये साफ निर्देश होते थे कि:
“राजा की थाली का स्वाद आम आदमी को नहीं पता चलना चाहिए।“
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ये राजशाही ‘विशेषता’ का हिस्सा था
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हर व्यंजन का स्वाद महल की पहचान होता था
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इसे “राजसी ब्रांड” की तरह देखा जाता था
इसलिए बिसी बेले भात का असली मसाला मिश्रण और विधि केवल चुनिंदा रसोइयों को ही मालूम होती थी, और वे इसे पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक परंपरा से ही आगे बढ़ाते थे — लिखित नहीं।
🕉️ धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध:
समय के साथ, यह व्यंजन केवल शाही महलों तक सीमित नहीं रहा। धीरे-धीरे यह मंदिरों, त्योहारों और पारंपरिक भोजों में शामिल होने लगा। विशेष रूप से कर्नाटक के मंदिरों में प्रसाद के रूप में बिसी बेले भात परोसा जाने लगा।
इसका गहरा धार्मिक पहलू भी है — माना जाता है कि यह व्यंजन अन्नपूर्णा देवी को अर्पित किया जाता था, जो भोजन और पोषण की देवी हैं।
🥣 बिसी बेले भात रेसिपी (कर्नाटक स्टाइल):
🧂 सामग्री:
मुख्य सामग्री:
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चावल – 1 कप
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तूर दाल – 1/2 कप
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बीन्स – 8–10 (कटी हुई)
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गाजर – 1 (कटी हुई)
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टमाटर – 1
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हरी मटर – 1/2 कप
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इमली का गूदा – 2 टेबल स्पून
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नमक – स्वादानुसार
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हल्दी – 1/2 चम्मच
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गुड़ – 1 चम्मच (स्वाद संतुलन के लिए)
तड़का सामग्री:
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राई – 1/2 चम्मच
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कड़ी पत्ता – 8–10
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सूखी लाल मिर्च – 2
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हिंग – एक चुटकी
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घी/तेल – 2 टेबल स्पून
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काजू – 6–8 (वैकल्पिक)
बिसी बेले भात मसाला:
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धनिया बीज – 2 टेबल स्पून
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सूखी लाल मिर्च – 5
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दालचीनी – 1 टुकड़ा
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लौंग – 3–4
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चना दाल – 1 टेबल स्पून
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उड़द दाल – 1 टेबल स्पून
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मेथी दाना – 1/4 चम्मच
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नारियल (सूखा) – 2 टेबल स्पून
इन सभी मसालों को भूनकर पीस लें।
👩🍳 बनाने की विधि:
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चावल और तूर दाल को हल्दी और पानी के साथ प्रेशर कुकर में 3–4 सीटी तक पका लें।
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सब्जियों को अलग से उबाल लें या भाप में पकाएं।
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एक कढ़ाही में पकी दाल-चावल, सब्जियाँ, इमली का रस, गुड़ और तैयार मसाला डालें।
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सभी को मिलाकर धीमी आंच पर 8–10 मिनट पकाएँ।
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एक छोटे पैन में घी गरम करें, उसमें राई, हिंग, लाल मिर्च, कड़ी पत्ता और काजू डालें — यह तड़का तैयार भात पर डालें।
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बिसी बेले भात को गर्म-गर्म पापड़, रायता या बोंडा के साथ परोसें।
🍛 बिसी बेले भात के लाभ:
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एक ही बर्तन में दाल, चावल और सब्जियाँ — एक पूर्ण पौष्टिक भोजन।
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मसाले पाचन को सुधारते हैं और शरीर को ऊर्जावान रखते हैं।
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गर्मी या बरसात के मौसम में विशेष रूप से लाभकारी।
बिसी बेले भात सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक विरासत है। इसका स्वाद, सुगंध और संतुलन इसे एक अनोखी थाली बनाता है — जो शरीर और आत्मा दोनों को तृप्त करती है।

“बिसी बेले भात — कर्नाटक की रसोई से निकली गरम, सुगंधित और संतुलित देसी थाली!”
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