दही करी: भारत के विविध व्यंजनों में “दही करी” एक ऐसा व्यंजन है जो ना सिर्फ स्वाद में लाजवाब है बल्कि इसका इतिहास भी बहुत पुराना है। अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम और विधियों से बनाया जाता है – कहीं इसे कढ़ी कहा जाता है, तो कहीं मोढ़ी, दही वाली सब्ज़ी या दही करी। लेकिन सभी जगह इसका मुख्य आधार होता है – खट्टा दही और बेसन।

📜 इतिहास और प्राचीन कथा
दही करी की उत्पत्ति से जुड़ी कोई एक निश्चित कहानी नहीं है, परंतु इसके जिक्र हमें भारत के प्राचीन शाकाहारी ग्रंथों और रसोई परंपराओं में मिलता है। माना जाता है कि यह व्यंजन हजारों साल पहले भारत के उन क्षेत्रों में बना जहाँ दही और बेसन दोनों प्रमुख रूप से उपयोग होते थे, जैसे कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश।
पुराणों में कथा:
एक लोककथा के अनुसार, महाभारत काल में जब पांडव वनवास में थे, तो द्रौपदी ने अल्प संसाधनों में एक दिन खट्टे दही और थोड़े चने के बेसन से यह करी बनाई थी, जिसे सबने बहुत सराहा।
राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में सब्ज़ियाँ कम उगती थीं और दूध-दही प्रचुर मात्रा में होता था। ऐसे में दही करी वहाँ के लोगों के लिए एक पौष्टिक और सस्ती डिश थी। खट्टे दही का उपयोग इसलिए किया जाता था क्योंकि उसे फेंकने के बजाय स्वादिष्ट व्यंजन में बदला जा सकता था। यही कारण है कि दही करी को परंपरा और बचत का प्रतीक माना जाता है।
🍲 दही करी बनाने की विधि:
📝 सामग्री (4 लोगों के लिए):
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खट्टा दही – 2 कप
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बेसन – 3 टेबलस्पून
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पानी – 2.5 कप
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हल्दी पाउडर – 1/2 टीस्पून
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नमक – स्वादानुसार
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हींग – 1 चुटकी
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सरसों के दाने – 1/2 टीस्पून
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करी पत्ता – 10-12
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साबुत लाल मिर्च – 2
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हरी मिर्च – 1 बारीक कटी
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घी या तेल – 2 टेबलस्पून
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कटी हुई धनिया पत्ती – सजावट के लिए
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(वैकल्पिक) पकोड़ी या पकौड़े – स्वाद अनुसार
👨🍳 विधि:
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दही का मिश्रण तैयार करें:
सबसे पहले खट्टे दही को अच्छी तरह फेंटें ताकि उसमें कोई गुठली न रहे। अब इसमें बेसन डालें और अच्छे से मिलाएं। फिर इसमें पानी डालकर पतला घोल तैयार करें। अब इसमें हल्दी और नमक मिलाएं। ध्यान रहे कि मिश्रण पूरी तरह से एकसार हो। -
तड़का तैयार करें:
एक गहरे बर्तन में घी या तेल गरम करें। इसमें हींग डालें, फिर सरसों के दाने, करी पत्ता, साबुत लाल मिर्च और कटी हरी मिर्च डालें। जब सरसों चटकने लगे और खुशबू आने लगे, तो गैस धीमी कर दें। -
दही का मिश्रण डालें:
अब धीरे-धीरे करके दही-बेसन का घोल डालें और लगातार चलाते रहें ताकि फटने न पाए। इसे धीमी आंच पर पकाएं। -
उबाल आने दें:
करीब 10–15 मिनट तक पकाएं जब तक कि करी में उबाल न आने लगे और उसका रंग थोड़ा गाढ़ा न हो जाए। बेसन पूरी तरह से पक जाना चाहिए, नहीं तो कच्चेपन की गंध रह जाती है। -
(वैकल्पिक) पकोड़ी डालें:
अगर आप चाहें तो बेसन की पकोड़ियाँ पहले से तल कर दही करी में डाल सकते हैं। इससे स्वाद और भी बढ़ जाता है। -
सजावट और परोसना:
ऊपर से ताज़ा हरा धनिया डालें और गरम-गरम दही करी को चावल, रोटी या बाजरे की रोटी के साथ परोसें।
🌾 प्राचीन परंपरा और आज की थाली
आज भी उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत तक, दही करी अलग-अलग अंदाज़ में बनाई जाती है। गुजरात की कढ़ी मीठी होती है, जबकि राजस्थान और हरियाणा की कढ़ी तीखी और गाढ़ी। दक्षिण भारत में इसे ताड़का लगाकर रसम के जैसा पतला बनाया जाता है और उसमें नारियल भी मिलाया जाता है।
इस व्यंजन का सबसे बड़ा आकर्षण इसका बहुउपयोगी और सादा होना है। यह पेट को ठंडक देता है, पचाने में आसान है और गर्मियों में तो किसी अमृत से कम नहीं।
दही करी सिर्फ एक डिश नहीं, बल्कि सदियों से हमारे किचन की विरासत है। यह उस दौर की याद दिलाती है जब सादगी में भी स्वाद छिपा होता था। यह गरीब की थाली से लेकर अमीर के भोज तक, हर किसी के दिल को भाती है। अगली बार जब आपके पास बचा हुआ दही हो, तो याद कीजिए द्रौपदी की वो कहानी और बना डालिए दादी के अंदाज़ वाली एक गरमा-गरम दही करी।
“दही करी – वो खट्टा स्वाद, जो हर पीढ़ी को जोड़ता है।”
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