टॉयलेट में फोन ले जाना: आज की डिजिटल दुनिया में स्मार्टफोन हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। हम सुबह उठते ही सबसे पहले फोन देखते हैं और रात को सोने से पहले आखिरी बार उसी को चेक करते हैं। लेकिन एक चलन जो तेजी से बढ़ रहा है – वह है टॉयलेट में फोन ले जाना। कई लोग टॉयलेट में बैठकर सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हैं, वीडियो देखते हैं या गेम खेलते हैं। पर क्या वाकई टॉयलेट में फोन ले जाना सही है?
📱 टॉयलेट में फोन ले जाना की आदत क्यों?
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बोरियत से बचने के लिए: जब लोग टॉयलेट जाते हैं, तो कुछ मिनट अकेले बिताने होते हैं। इस दौरान कुछ करने के लिए लोग फोन निकाल लेते हैं।
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आदत का चुपचाप बन जाना (ऑटोमैटिक बिहेवियर): जब हम कोई काम बार-बार करते हैं, तो वह आदत बन जाती है। जैसे ही कोई खाली समय मिलता है, दिमाग खुद-ब-खुद फोन की तरफ खिंचता है। टॉयलेट में बैठना भी ऐसा ही समय है जहाँ कुछ नहीं करना होता, और हम “फोन उठा लो” वाली आदत को दोहराने लगते हैं।
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सोशल मीडिया की लत: कई लोगों को फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप जैसी ऐप्स इतनी लत लगा चुकी है कि वे हर खाली समय में इन्हें चेक करते हैं।
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काम की अधिकता: कुछ लोग इतना व्यस्त रहते हैं कि टॉयलेट ही उन्हें फोन पर बात करने या ईमेल पढ़ने का मौका देता है।
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डोपामिन की भूख: फोन चलाने से दिमाग में डोपामिन नाम का रसायन रिलीज़ होता है, जो हमें अच्छा महसूस कराता है। बार-बार मोबाइल चेक करना दिमाग को खुशी देता है। टॉयलेट जैसी शांत जगह में फोन चलाना, दिमाग को वही “reward” देने लगता है – और यह आदत में बदल जाता है।
🦠 स्वास्थ्य के लिहाज़ से कितना हानिकारक?
टॉयलेट को बैक्टीरिया और वायरस का घर माना जाता है। अब सोचिए, जब आप वहां फोन ले जाते हैं, तो आपका फोन भी उन्हीं की चपेट में आ जाता है।
1. फोन बन जाता है बैक्टीरिया का घर
एक रिसर्च के अनुसार, टॉयलेट सीट पर जितने कीटाणु होते हैं, उससे कहीं ज्यादा आपके फोन की स्क्रीन पर पाए जाते हैं। कारण? आप टॉयलेट में फोन का इस्तेमाल करते हैं और फिर उसी को अपने चेहरे के पास लगाते हैं।
2. बीमारियों का खतरा
फोन से हाथ और फिर मुंह तक पहुंचने वाले कीटाणु दस्त, उल्टी, पेट दर्द जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। ई.कोलाई, साल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया टॉयलेट से आपके शरीर में पहुंच सकते हैं।
3. फोकस में कमी और तनाव
टॉयलेट एक ऐसी जगह है जहाँ शरीर को आराम मिलना चाहिए, लेकिन जब हम वहां भी फोन देखते हैं, तो हमारा दिमाग लगातार सक्रिय रहता है। इससे मानसिक थकान बढ़ती है।
🚽 क्या यह आदत शारीरिक समस्याएं भी लाती है?
1. पाइल्स और कब्ज का खतरा
लंबे समय तक टॉयलेट में बैठना, खासकर जब ध्यान मोबाइल पर हो, तो हम जरूरत से ज्यादा देर बैठे रहते हैं। इससे गुदा क्षेत्र पर दबाव बढ़ता है, जो पाइल्स (बवासीर) जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है।
2. रीढ़ की हड्डी पर असर
झुककर मोबाइल देखने की आदत से गर्दन और रीढ़ की हड्डी पर असर पड़ता है। टॉयलेट में लंबे समय तक इसी मुद्रा में रहना दर्द और जकड़न पैदा कर सकता है।
📉 सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव:
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आदत का गुलाम बनना
जब हर जगह, यहाँ तक कि टॉयलेट में भी फोन चाहिए होता है, तो यह लत बन जाती है। धीरे-धीरे व्यक्ति अपनी असल दुनिया से कटने लगता है। -
ध्यान में कमी
फोन की अधिकता से हमारा ध्यान भटकता है, और हम एक समय में एक काम पर फोकस नहीं कर पाते।
✅ क्या करना चाहिए?
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टॉयलेट में जाने से पहले ही फोन बाहर रख दें।
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यदि बोरियत लगती है तो सांस पर ध्यान देने की आदत डालें – यह एक तरह का माइंडफुलनेस अभ्यास भी बन सकता है।
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अगर ज़रूरी कॉल है, तो टॉयलेट से निकलकर ही बात करें।
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दिन में एक समय “नो फोन जोन” तय करें जिसमें टॉयलेट भी शामिल हो।
टॉयलेट में फोन ले जाना आज एक आम आदत बन चुकी है, लेकिन यह आदत हमारे स्वास्थ्य, मानसिक स्थिति और सामाजिक व्यवहार को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। गंदगी, कीटाणु, मानसिक तनाव और शारीरिक समस्याएं – ये सभी कारण बताते हैं कि टॉयलेट में फोन ले जाना एक खराब आदत है।
इसलिए आज ही से यह निर्णय लें कि टॉयलेट में फोन नहीं ले जाएंगे। यह एक छोटा सा बदलाव, आपके जीवन में बड़ा फर्क ला सकता है।
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