झाग वाली कॉफी, जिसे हम प्यार से “हैंड बीटन कॉफी” भी कहते हैं, एक देसी अंदाज़ की खास कॉफी है जो अपने झागदार रूप, मिठास और गर्माहट से दिल जीत लेती है। भारत में यह कॉफी न सिर्फ स्वाद में खास है, बल्कि मेहमानों के सत्कार का एक पुराना तरीका भी रही है। थोड़ी मेहनत और प्यार से फेंटकर बनाई गई यह कॉफी हर घूंट में अपनापन भर देती है।

🌟 झाग वाली कॉफी के लिए आवश्यक सामग्री:
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इंस्टेंट कॉफी पाउडर – 2 चम्मच
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चीनी – 2 चम्मच (स्वादानुसार)
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गर्म पानी – 2 चम्मच
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दूध – 1 कप (उबला हुआ)
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पानी – ¼ कप (दूध में मिलाने के लिए)
☕ झागदार कॉफी बनाने की विधि:
स्टेप 1: कॉफी फेटने की प्रक्रिया
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एक कटोरी में कॉफी पाउडर, चीनी और 2 चम्मच गर्म पानी डालें।
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अब इस मिश्रण को एक चमच या छोटी बटेर से लगातार 8-10 मिनट तक फेंटे।
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जब तक इसका रंग हल्का भूरा हो जाए और यह क्रीमी और झागदार न हो जाए।
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यह स्टेप ही झाग वाली कॉफी का राज़ है।
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स्टेप 2: दूध गरम करना
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एक पतीले में दूध को उबालें और उसमें थोड़ा सा पानी मिलाएं (इससे कॉफी हल्की बनेगी)।
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दूध को अच्छे से उबाल लें। चाहें तो झाग बनाने के लिए दूध को ऊँचाई से गिरा सकते हैं।
स्टेप 3: कॉफी तैयार करना
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एक कप में 1-2 चम्मच फेंटी हुई कॉफी डालें।
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ऊपर से गर्म दूध धीरे-धीरे डालें।
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चमच से ऊपर की परत को हिलाएँ नहीं – इससे झाग बनी रहेगी।
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चाहें तो ऊपर से थोड़ा कॉफी पाउडर छिड़कें।
☘ सुझाव:
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ज्यादा झाग चाहिए तो दूध को अच्छे से फेंट कर डालें।
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चाहें तो हैंड ब्लेंडर या मिक्सी से भी झाग बना सकते हैं।
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स्वाद बढ़ाने के लिए थोड़ी सी दालचीनी पाउडर या चॉकलेट सिरप मिला सकते हैं।
झाग वाली कॉफी न केवल देखने में शानदार लगती है बल्कि पीने में भी काफी लाजवाब होती है। सर्दियों में या खास मेहमानों के लिए यह एक परफेक्ट विकल्प है। बिना मशीन के सिर्फ थोड़ी मेहनत से घर पर ही रेस्ट्रॉन्ट जैसी कॉफी पाई जा सकती है।
अगर आप चाहें तो “झाग वाली ठंडी कॉफी” की विधि भी बता सकता हूँ।
झाग वाली कॉफी का इतिहास :
झाग वाली कॉफी, जिसे हम आजकल “हैंड बीटन कॉफी” या “फेंटी हुई कॉफी” के नाम से जानते हैं, इसका इतिहास भारत में 20वीं सदी के मध्य में लोकप्रिय हुआ, खासकर दक्षिण भारत में। लेकिन इसका असली आधार इंस्टेंट कॉफी के आगमन से जुड़ा हुआ है।
☕ वैश्विक इतिहास:
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इंस्टेंट कॉफी की शुरुआत 1901 में जापानी वैज्ञानिक सतोरी कातो द्वारा की गई थी।
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बाद में 1938 में नेस्कैफे ब्रांड ने इंस्टेंट कॉफी को बड़े पैमाने पर दुनिया में फैलाया।
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैनिकों को इंस्टेंट कॉफी दी जाती थी – क्योंकि इसे बनाना आसान था।
🇮🇳 भारत में इतिहास:
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भारत में इंस्टेंट कॉफी की शुरुआत 1950-60 के दशक में हुई।
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दक्षिण भारत में पहले से ही “फिल्टर कॉफी” चलन में थी, लेकिन उत्तर भारत में चाय ज्यादा लोकप्रिय थी।
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जैसे ही इंस्टेंट कॉफी पहुंची, लोगों ने इसे चाय की तरह फेंटकर बनाना शुरू किया — खासतौर पर झागदार और मीठा।
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यह घरेलू नुस्खा बन गया: जहाँ कॉफी, चीनी और गर्म पानी को चम्मच से लगातार फेटा जाता है – जब तक वह क्रीमी न हो जाए।
🔄 झाग वाली कॉफी का नया दौर:
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कोविड-19 लॉकडाउन (2020) में यह कॉफी “Dalgona Coffee” के नाम से वायरल हुई, जो झागदार कॉफी की ही आधुनिक, ठंडी शैली है।
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सोशल मीडिया पर लोगों ने फेंटी हुई कॉफी को ग्लास में ठंडे दूध के ऊपर सजाया और लाखों वीडियो बने।
👑 सांस्कृतिक महत्व:
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भारत में यह कॉफी हमेशा से एक “खास मेहमानों के लिए” पेय रही है।
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पुराने ज़माने में दादी-नानी हाथ से फेंटकर मेहमानों को यह कॉफी परोसती थीं – जिससे उनका सत्कार झलकता था।
झाग वाली कॉफी का इतिहास एकदम देसी, आत्मीय और श्रम-साध्य है। यह एक ऐसा पेय है जो समय के साथ फैशन भी बना और परंपरा भी। आज भी जब आप किसी को झागदार कॉफी बनाकर देते हैं, तो उसमें स्वाद के साथ आपकी मेहनत और प्यार भी घुला होता है।
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