जैन ग्रेवी: प्राचीन काल से ही जैन समाज ने शाकाहारी और सात्विक भोजन को महत्व दिया है, जिसमें कोई भी ऐसी सामग्री शामिल नहीं होती जो हिंसा या हानिकारक हो। इसलिए जैन ग्रेवी में प्याज, लहसुन, रसेदार सब्जियां और अन्य तामसिक पदार्थों का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके स्थान पर काजू, खसखस, मलाई, हल्के मसाले और ताजा हर्ब्स का उपयोग होता है, जिससे यह स्वादिष्ट होते हुए भी शुद्ध और पवित्र रहती है।
जैन ग्रेवी आमतौर पर बिना लहसुन और प्याज के बनाई जाती है। यह शाकाहारी और सात्विक होती है, जिसे जैन धर्म के अनुसार तैयार किया जाता है। नीचे एक बेसिक जैन टमाटर-काजू ग्रेवी की रेसिपी दी गई है:
🍅 जैन ग्रेवी टमाटर-काजू वाली
सामग्री:
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टमाटर – 4 मध्यम (कटे हुए)
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काजू – 10-12
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अदरक – 1 इंच टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
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हरी मिर्च – 1-2 (वैकल्पिक)
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हिंग – 1 चुटकी
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जीरा – 1/2 चम्मच
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हल्दी – 1/4 चम्मच
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धनिया पाउडर – 1 चम्मच
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गरम मसाला – 1/2 चम्मच
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तेल / घी – 2 टेबल स्पून
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नमक – स्वादानुसार
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ताजा हरा धनिया – सजावट के लिए
बनाने की विधि:
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काजू पेस्ट बनाएं:
काजू को 15–20 मिनट गर्म पानी में भिगोकर पीस लें, थोड़ा पानी मिलाकर चिकना पेस्ट बना लें। -
टमाटर प्यूरी तैयार करें:
टमाटरों को पीसकर बिना छानें प्यूरी बना लें। -
तड़का लगाएं:
एक कड़ाही में तेल या घी गर्म करें। उसमें जीरा और हिंग डालें। जीरा चटकने पर अदरक और हरी मिर्च डालें। -
मसाले डालें:
हल्दी, धनिया पाउडर डालकर कुछ सेकंड भूनें। फिर टमाटर प्यूरी डालें और मध्यम आंच पर पकने दें जब तक तेल अलग न हो जाए। -
काजू पेस्ट मिलाएं:
अब काजू का पेस्ट डालें और अच्छी तरह मिलाकर कुछ मिनट पकाएं। -
गरम मसाला और नमक डालें:
अंत में नमक और गरम मसाला डालें। जरूरत हो तो थोड़ा पानी डालकर ग्रेवी को इच्छानुसार गाढ़ा या पतला करें। -
गर्मागर्म परोसें:
ऊपर से हरा धनिया डालें और अपनी पसंद की जैन सब्ज़ी (जैसे पनीर, आलू, कोफ्ता) के साथ परोसें।
यह ग्रेवी खासकर पनीर, मिक्स वेजिटेबल, आलू, गोभी, मलई कोफ्ता, या बेसन के गट्टे जैसी सब्ज़ियों के साथ बहुत अच्छी लगती है। ग्रेवी की मलाईदार और शाही स्वाद वाली प्रकृति इन सब्ज़ियों के स्वाद को और भी निखार देती है।
अगर आप सब्ज़ी को पहले हल्का सा भूनकर इस ग्रेवी में मिलाते हैं, तो वह और भी स्वादिष्ट बन जाती है। बस ध्यान रखें कि सब्ज़ी अच्छी तरह से पक जाए और ग्रेवी के साथ अच्छे से मिल जाए।
राजा विक्रम और जैन व्यंजन की कहानी:
प्राचीन भारत के एक बड़े राज्य में राजा विक्रम सिंह का राज्य था। वे अपने न्यायप्रिय और धर्मनिष्ठ स्वभाव के लिए प्रसिद्ध थे। राजा विक्रम सिंह स्वयं जैन धर्म के अनुयायी थे और अहिंसा, सत्य और संयम के सिद्धांतों को बहुत मानते थे। उन्होंने अपने राजसी जीवन में भी जैन धर्म के नियमों का कड़ाई से पालन किया।
राजा विक्रम सिंह को भोजन का बहुत शौक था, लेकिन वे हमेशा ऐसा भोजन पसंद करते थे जो उनके धर्म और संयम के सिद्धांतों के अनुरूप हो। उन्होंने अपने दरबार में सबसे बड़े कुक और ग्रंथकारों को बुलाया और कहा, “मुझे ऐसा व्यंजन बनाओ जो स्वाद में शाही हो और साथ ही जैन नियमों का पालन करता हो।”
कुछ दिनों के प्रयास के बाद, उनके कुक ने एक विशेष ग्रेवी बनाई — जिसमें प्याज, लहसुन, और अन्य तामसिक मसालों की जगह काजू, खसखस, मलाई और हल्के मसालों का इस्तेमाल किया गया था। यह ग्रेवी इतनी मलाईदार, स्वादिष्ट और सुगंधित थी कि राजा विक्रम सिंह बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने इसे “जैन शाही ग्रेवी” का नाम दिया।
राजा ने यह रेसिपी न केवल अपने राज्य में लोकप्रिय बनाई, बल्कि इसे जैन समुदाय के त्योहारों और खास अवसरों पर भी शामिल किया। उनकी इस पहल से जैन व्यंजन और भी समृद्ध और प्रसिद्ध हुए।
राजा विक्रम सिंह की यह कहानी आज भी जैन समुदाय में प्रेरणा के रूप में सुनाई जाती है, जो दिखाती है कि कैसे धर्म और स्वाद दोनों को साथ लेकर एक समृद्ध और स्वस्थ जीवन जीया जा सकता है।
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