Dassault Aviation और Rafale Jet: राफेल लड़ाकू विमान एक बार फिर से भारतीय मीडिया और रक्षा गलियारों में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इसकी तीन मुख्य वजहें हैं — पाकिस्तान के झूठे दावों का खंडन, भारत में राफेल के निर्माण की शुरुआत, और नोएडा/जेवर में राफेल विमानों के रखरखाव केंद्र की योजना। ये घटनाएं न केवल भारत की सामरिक शक्ति को मजबूत कर रही हैं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा उत्पादन की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही हैं।
पाकिस्तान के दावों पर Dassault का करारा जवाब:
हाल ही में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने एक भारतीय राफेल लड़ाकू विमान को निशाना बनाया था। इस दावे को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हुई। हालांकि, इस पर Dassault Aviation के CEO एरिक ट्रैपियर (Éric Trappier) ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे “पूरी तरह झूठा और बेबुनियाद” बताया।
उन्होंने कहा कि भारत में इस्तेमाल किए गए सभी राफेल विमान पूरी तरह से मिशन-सक्षम हैं और कोई भी विमान नष्ट नहीं हुआ है। ट्रैपियर ने यह भी कहा कि “राफेल ने हर बार अपनी क्षमता को सिद्ध किया है और ऐसे दावे केवल अफवाह फैलाने की कोशिश हैं।”
इस बयान के बाद पाकिस्तान के दावे को नकारा गया और यह स्पष्ट हो गया कि भारत के राफेल विमान पूरी तरह सुरक्षित हैं।
भारत में राफेल फ्यूज़लाज का निर्माण — हैदराबाद में ऐतिहासिक साझेदारी:
Dassault Aviation और Tata Advanced Systems Limited (TASL) ने मिलकर भारत में राफेल विमान के फ्यूज़लाज (धड़) का निर्माण करने का फैसला किया है। हैदराबाद में बनने वाला यह संयंत्र 2028 तक हर महीने दो फ्यूज़लाज तैयार करेगा। यह राफेल की इंटरनैशनल सप्लाई चेन का हिस्सा बनेगा।
इस कदम का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह भारत को रक्षा उत्पादों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। अब भारत न केवल राफेल का इस्तेमाल करेगा, बल्कि दुनिया के अन्य देशों को भी इसका ढांचा निर्यात कर सकेगा।
मुख्य विशेषताएं:
-
स्थान: हैदराबाद
-
संभाग: Tata-Dassault संयुक्त उद्यम
-
उत्पादन: 2028 तक हर माह 2 फ्यूज़लाज
-
लाभ: Make in India को बढ़ावा, स्थानीय रोजगार सृजन
नोएडा/जेवर में MRO केंद्र की योजना — रखरखाव होगा भारत में ही:
Dassault Aviation अब भारत में MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) केंद्र की स्थापना की योजना बना रही है। यह केंद्र उत्तर प्रदेश के नोएडा या जेवर में स्थापित किया जाएगा। इसका उद्देश्य राफेल और मिराज-2000 जैसे विमानों की मरम्मत और रखरखाव भारत में ही करना है, ताकि फ्रांस या अन्य देशों पर निर्भरता कम हो सके।
इससे भारत को दो मुख्य लाभ होंगे:
-
युद्ध स्थितियों में विमान तेजी से उपयोग में लाए जा सकेंगे
-
विदेशी मरम्मत लागत में भारी कटौती होगी
इसके साथ ही यह केंद्र भारतीय युवाओं को रक्षा तकनीक के क्षेत्र में प्रशिक्षण भी देगा और हज़ारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
क्यों है यह सब कुछ अभी खास चर्चा में?
विषय | चर्चा का कारण |
---|---|
पाकिस्तान का दावा | भारतीय राफेल को मार गिराने का झूठा आरोप जिससे सोशल मीडिया पर उबाल |
स्वदेशी उत्पादन | भारत में राफेल के पार्ट्स बनने की शुरुआत, Make in India का बड़ा उदाहरण |
रखरखाव केंद्र | पहली बार भारत में ही होंगे फ्रांसीसी फाइटर जेट्स की मरम्मत और सर्विसिंग |
विशेषज्ञों की राय:
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की रणनीतिक क्षमता में एक नया अध्याय जोड़ता है। स्वदेशी निर्माण और रखरखाव क्षमता भारत को आत्मनिर्भर और युद्ध के लिए तत्पर बनाएगी। साथ ही, यह पूरी दुनिया को संकेत देता है कि भारत न केवल हथियार खरीदता है, बल्कि अब उन्हें बनाने और दुनिया को देने में सक्षम है।
Dassault Aviation और राफेल विमान से जुड़ी ये तीन खबरें भारत के रक्षा इतिहास में मील का पत्थर साबित हो रही हैं। जहां पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जवाब मिला है, वहीं भारत अब न केवल इन आधुनिक विमानों का उपयोग कर रहा है, बल्कि उन्हें अपने देश में बनाकर और सर्विस देकर वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी भूमिका को और मजबूत कर रहा है।
यह बदलाव भारत को “हथियारों के आयातक” से “हथियारों के निर्माता” देश की श्रेणी में लाकर खड़ा कर रहा है।
अब राफेल सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं, भारत की रणनीतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
ऐसे और भी Technology टॉपिक के ऊपर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
गोल्ड-कॉपर नैनोक्लस्टर से बनी भारत की उच्च दक्षता एलईडी: Calicut University की ऐतिहासिक उपलब्धि