ग्रीष्म संक्रांति 2025: साल का सबसे लंबा दिन और इसके पीछे का रहस्य

साल का सबसे लंबा दिन: हर साल जब जून का महीना आता है, तब एक ऐसा दिन आता है जो बाकी सभी दिनों से अलग होता है – साल का सबसे लंबा दिन, जिसे वैज्ञानिक रूप से ग्रीष्म संक्रांति (Summer Solstice) कहा जाता है। वर्ष 2025 में यह विशेष दिन 21 जून को पड़ रहा है। यह दिन केवल दिन की अवधि के लिए ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, खगोलीय और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि ग्रीष्म संक्रांति क्यों होती है, इसका इतिहास क्या है, इसके पीछे कौन-सा खगोलीय कारण है और विभिन्न संस्कृतियों में इसकी क्या मान्यता है।

साल का सबसे लंबा दिन
            साल का सबसे लंबा दिन

ग्रीष्म संक्रांति क्या है?

ग्रीष्म संक्रांति उस दिन को कहा जाता है जब पृथ्वी पर सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध (Northern Hemisphere) में कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर सीधी पड़ती हैं। इस कारण, इस दिन सूर्योदय सबसे पहले होता है और सूर्यास्त सबसे देर से, जिससे दिन की अवधि सबसे लंबी होती है।

2025 में यह दिन 21 जून को होगा। इस दिन भारत जैसे देशों में सूरज लगभग 13.5 से 14 घंटे तक चमकता है।

यह दिन क्यों होता है सबसे लंबा?

इसके पीछे का कारण पृथ्वी का झुकाव (Axial Tilt) है। पृथ्वी की घूर्णन धुरी 23.5 डिग्री झुकी हुई है। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए ऐसे बिंदु पर पहुंचती है जहाँ उत्तर गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है, तब वहां दिन लंबा और रात छोटी हो जाती है।

ग्रीष्म संक्रांति वह क्षण होता है जब पृथ्वी की धुरी सूर्य की ओर अपनी अधिकतम झुकाव पर होती है।

ग्रीष्म संक्रांति का खगोलीय महत्व:

  1. सूर्य की स्थिति: इस दिन सूर्य उत्तरी गोलार्ध में अपने उच्चतम स्थान पर होता है। भारत में यह कर्क रेखा के आसपास के क्षेत्रों में देखा जा सकता है।

  2. दिन और रात की लंबाई: भारत में 21 जून 2025 को लगभग 14 घंटे तक दिन रहेगा और केवल 10 घंटे की रात

  3. इसके बाद का समय: इस दिन के बाद दिन धीरे-धीरे छोटे होने लगते हैं और रातें लंबी।

ग्रीष्म संक्रांति का ऐतिहासिक महत्व:

मानव सभ्यता के आरंभिक काल से ही लोग सूर्य की गति को ट्रैक करते आए हैं। कई पुरातन सभ्यताओं ने इस दिन को विशेष मानते हुए स्मारक और आयोजन बनाए।

1. स्टोनहेंज (Stonehenge) – इंग्लैंड

इंग्लैंड का स्टोनहेंज एक प्रसिद्ध स्मारक है, जो ग्रीष्म संक्रांति के समय सूर्य की दिशा में संरेखित होता है। हजारों लोग इस दिन यहाँ एकत्र होकर सूर्योदय देखते हैं।

2. माया सभ्यता – मध्य अमेरिका

माया कैलेंडर में यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था। वे कृषि और खगोलीय गणनाओं के लिए इसका उपयोग करते थे।

3. मिस्र की सभ्यता

मिस्रवासी ग्रीष्म संक्रांति को नील नदी की बाढ़ से जोड़ते थे, जिससे खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी मिलती थी।

4. भारत में महत्व

भारत में यह समय कृषि कार्यों की शुरुआत का प्रतीक होता है। साथ ही, योग दिवस (International Yoga Day) भी इसी दिन यानी 21 जून को मनाया जाता है, जो सूर्य और जीवन ऊर्जा से जुड़ा हुआ है।

आधुनिक भारत और ग्रीष्म संक्रांति:

भारत सरकार ने 2015 से हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है। इसके पीछे का कारण यही है कि यह दिन सूर्य की ऊर्जा और जीवन की सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। योग में सूर्य नमस्कार जैसी क्रियाएं इसी से जुड़ी होती हैं।

साल का सबसे लंबा दिन
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ग्रीष्म संक्रांति से जुड़े रोचक तथ्य:

  1. सबसे लंबा दिन हर साल 21 या 22 जून को ही क्यों आता है?
    क्योंकि यही वह समय होता है जब पृथ्वी अपने सूर्य के चक्कर में उत्तरायण की चरम स्थिति पर होती है।

  2. क्या यह दिन हर जगह एक जैसा होता है?
    नहीं, अलग-अलग देशों में सूरज के उगने और डूबने का समय अलग होता है। जैसे, नॉर्वे के कुछ हिस्सों में यह दिन 24 घंटे का भी हो सकता है – जिसे “मिडनाइट सन” कहते हैं।

  3. दक्षिणी गोलार्ध में क्या होता है?
    जब उत्तर में ग्रीष्म संक्रांति होती है, तो दक्षिणी गोलार्ध में शीत संक्रांति (Winter Solstice) होती है – यानी वहां सबसे छोटा दिन।

ग्रीष्म संक्रांति 2025 पर कैसे करें आत्म चिंतन:

इस दिन को केवल खगोलीय घटना न मानकर हम इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और सकारात्मक सोच के दिन के रूप में अपना सकते हैं। योग, ध्यान, प्रकृति से जुड़ाव और सूर्य को धन्यवाद देने की परंपराएं अपनाकर इसे सार्थक बनाया जा सकता है।

ग्रीष्म संक्रांति केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि मानव इतिहास, संस्कृति, और प्राकृतिक संतुलन का प्रतीक है। 21 जून 2025 को जब आप सुबह सूरज को उगते हुए देखें, तो याद रखें कि यह प्रकृति का एक अद्भुत चक्र है, जो हमें अपने अस्तित्व, समय और जीवन की महत्ता का बोध कराता है। यह दिन हमें सिखाता है कि प्रकाश, ऊर्जा और संतुलन – जीवन की सबसे जरूरी चीजें – हमेशा हमारे चारों ओर होती हैं, बस उन्हें पहचानने की जरूरत है।

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