कटहल-आलू की सब्ज़ी राजा वंशधर की स्टाइल में

कटहल-आलू की सब्ज़ी: कटहल-आलू की सब्ज़ी भारत की पारंपरिक रसोई का हिस्सा है, जिसमें कटहल की गहराई और आलू की सादगी मिलती है। यह रेसिपी भारत की सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक खानपान परंपरा का एक बेहतरीन उदाहरण है। आधुनिक दौर में भी, यह सब्ज़ी त्योहारों, विशेष भोजों और पारिवारिक दावतों में बनाई जाती है।

कटहल-आलू की सब्ज़ी
              कटहल-आलू की सब्ज़ी

कटहल-आलू की सब्ज़ी का इतिहास:

कटहल (Jackfruit) भारत में प्राचीन काल से उगाया और खाया जाता रहा है। यह विशेष रूप से दक्षिण भारत और पूर्वी भारत के क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। वेदों और पुरातन ग्रंथों में “फणस” नाम से इसका उल्लेख मिलता है। यह एक ऐसा फल है जो पकने से पहले सब्ज़ी के रूप में और पकने के बाद फल के रूप में खाया जाता है।

  • मौर्य और गुप्तकाल में कटहल को राजा-महाराजाओं के भोजनों में शामिल किया जाता था क्योंकि यह स्वाद के साथ-साथ पोषण से भरपूर होता था।

  • बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कटहल को “गरीबों का मांस” कहा जाता था, क्योंकि इसका स्वाद मांस जैसा लगता है और यह शाकाहारी लोगों के लिए एक विशेष विकल्प बनता है।

  • कटहल की सब्ज़ी में आलू को जोड़ा गया जब 17वीं शताब्दी में आलू भारत आया। आलू पुर्तगालियों द्वारा भारत लाया गया था और धीरे-धीरे इसे हर भारतीय सब्ज़ी में मिलाना शुरू कर दिया गया।

🏡 ग्रामीण परंपरा में स्थान:

  • गांवों में जब कटहल के पेड़ों पर फल आता था, तो महिलाएं इसे काटकर बड़ी उत्सुकता से आलू के साथ मिलाकर सब्ज़ी बनाती थीं।

  • शादी-ब्याह या तीज-त्योहारों में इसे विशेष रूप से बनाया जाता था क्योंकि यह एक शाही, भारी और पेट भरने वाली सब्ज़ी मानी जाती थी।

कटहल आलू की सब्ज़ी (कुकर में) बनाने की विधि

📝 सामग्री:

  • कटहल – 250 ग्राम (छिले और टुकड़ों में कटे हुए)

  • आलू – 2 मध्यम आकार के (छिले और कटे हुए)

  • टमाटर – 2 (बारीक कटे या प्यूरी बनाएँ)

  • प्याज – 1 बड़ा (बारीक कटा)

  • लहसुन – 5-6 कलियां (कुचली हुई)

  • अदरक – 1 छोटा टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)

  • हरी मिर्च – 1-2 (बारीक कटी)

  • तेल – 3 बड़े चम्मच

  • हींग – 1 चुटकी

  • जीरा – 1/2 छोटा चम्मच

  • हल्दी पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच

  • धनिया पाउडर – 1 छोटा चम्मच

  • लाल मिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच (स्वाद अनुसार)

  • गरम मसाला – 1/2 छोटा चम्मच

  • नमक – स्वादानुसार

  • हरा धनिया – सजावट के लिए

🔥 बनाने की विधि:

1. कटहल को भूनें (वैकल्पिक):

  • यदि चाहें तो कटहल के टुकड़ों को थोड़ा सा तेल डालकर तवे पर हल्का भून सकते हैं। इससे इसका चिपचिपापन और कचापन कम हो जाता है।

2. कुकर में मसाला भूनना:

  1. कुकर में तेल गरम करें।

  2. उसमें हींग और जीरा डालें।

  3. फिर प्याज डालकर सुनहरा भूनें।

  4. अब अदरक-लहसुन और हरी मिर्च डालें और कुछ सेकंड भूनें।

  5. कटे टमाटर डालें, साथ ही हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, और नमक डालें।

  6. मसाले को तब तक भूनें जब तक तेल अलग न हो जाए।

3. सब्ज़ी डालना और पकाना:

  1. अब कटहल और आलू डालें और मसालों में अच्छी तरह मिलाएँ।

  2. एक से डेढ़ कप पानी डालें (आप ग्रेवी जैसी या सूखी जैसा पसंद करें उस हिसाब से पानी कम-ज्यादा करें)।

  3. कुकर का ढक्कन बंद करें और 2 से 3 सीटी आने तक पकाएँ।

  4. सीटी निकलने पर ढक्कन खोलें और देखें कि कटहल और आलू गल गए हों।

4. अंतिम स्वाद और सजावट:

  • गरम मसाला डालें और मिलाएँ।

  • हरा धनिया डालकर सजाएं।

🥄 परोसने का तरीका:

इसे आप रोटी, पराठा या चावल के साथ गरमा-गरम परोस सकते हैं। यह खासकर दोपहर के खाने में बहुत स्वादिष्ट लगती है।

“राजा की थाली में कटहल”

बहुत समय पहले की बात है। उत्तर भारत के एक छोटे से राज्य “कोसलपुर” में एक प्रसिद्ध राजा हुआ करते थे – राजा वंशधर सिंह। वह शिकार और युद्ध में तो वीर थे ही, लेकिन खाने के बेहद शौकीन भी थे। राजमहल में हर दिन नई-नई रसोइयां बुलवाई जाती थीं, जो राजा को कोई नया स्वाद चखाने की कोशिश करती थीं।

एक बार, गर्मियों के मौसम में, जब जंगलों में कटहल के पेड़ फलने लगे थे, गांव की एक बुज़ुर्ग महिला ‘माई गंगा’ को दरबार में बुलाया गया। कहा जाता था कि उसके हाथों में जादू था। वह कटहल की ऐसी सब्ज़ी बनाती थी कि लोग उंगलियाँ चाटते रह जाते।

राजमहल में माई गंगा ने चुपचाप अपने मिट्टी के चूल्हे पर कटहल और आलू को मसाले में भूनकर, धीमी आंच पर पकाया। जब वह सब्ज़ी राजा की थाली में परोसी गई, तो राजा ने पहला निवाला लेते ही आंखें बंद कर लीं – “ये तो मांस से भी ज्यादा स्वादिष्ट है!” उन्होंने कहा।

राजा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने कटहल को शाही सब्ज़ियों की सूची में शामिल कर दिया। उस दिन से लेकर कई वर्षों तक राज्य के हर उत्सव में कटहल-आलू की सब्ज़ी एक परंपरा बन गई।

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