ईरान और इज़राइल की दुश्मनी: संघर्ष की शुरुआत, वैश्विक गठबंधन और वर्तमान हालात

ईरान और इज़राइल की दुश्मनी: मध्य पूर्व में दशकों से चला आ रहा ईरान और इज़राइल का तनाव आज एक खतरनाक मुकाम पर पहुंच चुका है। यह संघर्ष केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके प्रभाव से पूरा क्षेत्र, वैश्विक राजनैतिक समीकरण, और ऊर्जा सुरक्षा प्रभावित हो रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि ईरान और इज़राइल के बीच यह दुश्मनी कब और क्यों शुरू हुई, कौन-कौन से देश या संगठन इसमें शामिल हैं, और वर्तमान में हालात कैसे हैं।

ईरान और इज़राइल की दुश्मनी
                      ईरान और इज़राइल की दुश्मनी

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संघर्ष की शुरुआत: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

ईरान और इज़राइल के बीच संबंध 1948 में इज़राइल के गठन के बाद प्रारंभिक वर्षों में सामान्य थे। शाह रज़ा पहलवी के शासन में ईरान ने इज़राइल को मान्यता दी थी और दोनों देशों के बीच सैन्य, खुफिया और व्यापारिक संबंध थे।

लेकिन यह स्थिति 1979 में ईरान की इस्लामी क्रांति के बाद पूरी तरह बदल गई। अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में ईरान एक इस्लामी गणराज्य बना, और उसने इज़राइल को “शैतान” और “अवैध ज़ायोनी शासन” कहना शुरू कर दिया। तब से ईरान इज़राइल को मध्य पूर्व में इस्लामिक समुदाय का सबसे बड़ा दुश्मन मानता आया है।

ईरान और इज़राइल अभी (2024-2025) के दौरान इसलिए लड़ रहे हैं क्योंकि पिछले कुछ महीनों में कई घटनाएं हुईं, जिनकी वजह से हालात अचानक बहुत तनावपूर्ण और हिंसक हो गए। नीचे इस पूरे घटनाक्रम को आसान भाषा में समझाते हैं:

🔥 2023-24 की मुख्य वजहें जिनसे युद्ध भड़का:

1. हमास और इज़राइल युद्ध (अक्टूबर 2023):

  • हमास (जो ईरान समर्थित फिलिस्तीनी संगठन है) ने अक्टूबर 2023 में इज़राइल पर बड़ा हमला किया था (जिसे ‘ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड’ कहा गया)।

  • इस हमले में 1200+ इज़राइली नागरिक मारे गए और कई को बंधक बना लिया गया।

  • इसके जवाब में इज़राइल ने गाज़ा पर भीषण हमला शुरू किया, जिसमें हजारों फिलिस्तीनी नागरिक मारे गए।

📌 ईरान ने खुले तौर पर हमास का समर्थन किया, जिससे इज़राइल को लगा कि ईरान भी युद्ध में शामिल है।

2. इज़राइल द्वारा ईरानी नेताओं की हत्या:

  • जनवरी 2024 में इज़राइल ने सीरिया के दमिश्क में मिसाइल हमला कर ईरान की सेना के शीर्ष कमांडर (IRGC) को मार गिराया।

  • यह हमला ईरान के लिए बहुत बड़ा झटका था, और उसने “बदला लेने की कसम” खा ली।

3. ईरान का सीधा हमला अप्रैल 2024 में:

  • पहली बार, ईरान ने डायरेक्ट इज़राइल पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया।

  • यह हमला बड़ी संख्या में हुआ (300 से ज्यादा मिसाइल/ड्रोन), जिसे अमेरिका, ब्रिटेन और इज़राइल ने मिलकर रोक दिया।

  • इससे यह साफ हो गया कि अब सिर्फ प्रॉक्सी वॉर नहीं, सीधा युद्ध शुरू हो गया है।

🧨 क्यों पनपा यह युद्ध ?

1. हमास के बहाने असली लड़ाई शुरू:

ईरान शुरू से हमास और हिज़्बुल्लाह जैसे संगठनों को समर्थन देता था, लेकिन इज़राइल ने जब गाज़ा में जवाबी कार्रवाई की और आम लोगों की मौत हुई, तो ईरान ने इसे “इस्लामी दुनिया का अपमान” कहा और खुलकर लड़ाई में कूद पड़ा।

2. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इज़राइल की चिंता:

इज़राइल को डर है कि ईरान कुछ ही महीनों में परमाणु बम बना सकता है। इसलिए वह हर हाल में ईरान को रोकना चाहता है।

3. अमेरिका और अब्राहम समझौते के देश:

ईरान को ये लगता है कि इज़राइल धीरे-धीरे अरब देशों के साथ गठजोड़ कर उसे घेर रहा है — UAE, बहरीन, सऊदी अरब जैसे देशों के साथ इज़राइल के संबंध बढ़ने से ईरान नाराज़ है।

4. धार्मिक और वैचारिक दुश्मनी:

ईरान शिया इस्लामिक देश है और इज़राइल एक यहूदी राष्ट्र। दोनों के धार्मिक दृष्टिकोण बिल्कुल अलग हैं, और दोनों खुद को “धार्मिक अधिकारिता” का रक्षक मानते हैं।

🌍 इसका असर क्या पड़ा दुनिया पर?

  1. तेल की कीमतें बढ़ गईं, क्योंकि ईरान होरमुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी देता रहा है।

  2. अमेरिका और ब्रिटेन ने इज़राइल के समर्थन में सैन्य सहायता भेज दी।

  3. चीन और रूस शांति की अपील कर रहे हैं, लेकिन परोक्ष रूप से ईरान का समर्थन करते हैं।

  4. संयुक्त राष्ट्र सीजफायर की कोशिश कर रहा है, लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिल रही।

ईरान और इज़राइल की दुश्मनी
                   ईरान और इज़राइल की दुश्मनी

मुख्य कारण: ईरान-इज़राइल संघर्ष के पीछे की वजहें:

  1. फिलिस्तीन मुद्दा:
    ईरान खुले तौर पर फिलिस्तीन के स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करता है और हमास तथा इस्लामिक जिहाद जैसे संगठनों को हथियार, पैसे और प्रशिक्षण देता है। इज़राइल इन्हें आतंकी संगठन मानता है।

  2. सीरिया युद्ध:
    2011 के बाद सीरिया में ईरान ने बशर अल-असद की सरकार का समर्थन किया, जबकि इज़राइल ने वहां ईरानी ठिकानों पर कई बार हवाई हमले किए। इससे तनाव और बढ़ गया।

  3. हिज़्बुल्लाह:
    लेबनान में सक्रिय हिज़्बुल्लाह संगठन, जिसे ईरान प्रायोजित करता है, इज़राइल के खिलाफ कई हमलों में शामिल रहा है। इज़राइल इसे अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।

  4. परमाणु कार्यक्रम:
    ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इज़राइल हमेशा से चिंतित रहा है। उसे डर है कि अगर ईरान के पास परमाणु हथियार आ गए, तो वह इज़राइल की सुरक्षा को सीधा खतरा होगा।

गठबंधन और समर्थन: कौन किसके साथ:

ईरान के समर्थक और सहयोगी:

  1. हिज़्बुल्लाह (लेबनान):
    यह ईरान समर्थित शिया मिलिशिया है जो इज़राइल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।

  2. हौथी विद्रोही (यमन):
    यमन में सक्रिय ये विद्रोही ईरान से समर्थन प्राप्त करते हैं और इज़राइल तथा सऊदी अरब के खिलाफ मिसाइल हमले करते हैं।

  3. हमास और इस्लामिक जिहाद (गाज़ा पट्टी):
    ईरान इन्हें आर्थिक और सामरिक सहायता देता है।

  4. सीरिया की असद सरकार:
    यह ईरान की सैन्य और रणनीतिक सहायता पर निर्भर है।

इज़राइल के समर्थक और सहयोगी:

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका:
    अमेरिका इज़राइल का सबसे बड़ा सैन्य और कूटनीतिक सहयोगी है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ अमेरिका की नीति इज़राइल की सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप है।

  2. यूरोपीय संघ के कुछ देश:
    जैसे फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन, जो इज़राइल के साथ खड़े रहते हैं, विशेषकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के संदर्भ में।

  3. अब्राहम समझौता देश (UAE, बहरीन आदि):
    2020 में हुए अब्राहम समझौतों के बाद इज़राइल और कई अरब देशों के संबंध सुधरे हैं, जिससे ईरान अलग-थलग पड़ा है।

वर्तमान स्थिति (2024-2025): तनाव चरम पर

1. गाज़ा युद्ध और इज़राइल-हिज़्बुल्लाह संघर्ष

2023-24 में गाज़ा पट्टी में हमास और इज़राइल के बीच गंभीर युद्ध छिड़ा, जिसमें हजारों लोगों की जान गई। ईरान ने हमास का समर्थन किया और हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल की उत्तरी सीमा पर हमले तेज़ कर दिए।

2. सीरिया और इराक में इज़राइली हमले

इज़राइल लगातार सीरिया और इराक में ईरानी ठिकानों और मिलिशिया समूहों पर हमले कर रहा है। जनवरी 2024 में दमिश्क में ईरानी सैन्य सलाहकार मारे गए, जिससे ईरान बौखला गया।

3. ईरान का जवाबी हमला: अप्रैल 2024

अप्रैल 2024 में ईरान ने पहली बार सीधे इज़राइल पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जो कि अमेरिका और ब्रिटेन की सहायता से विफल कर दिए गए। लेकिन इससे पश्चिम एशिया में युद्ध की आंशका बढ़ गई।

4. वैश्विक प्रतिक्रिया

  • अमेरिका और नाटो:
    अमेरिका ने इज़राइल की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए ईरान को चेतावनी दी।

  • चीन और रूस:
    चीन ने संयम बरतने की अपील की, जबकि रूस ने इसे पश्चिमी हस्तक्षेप का नतीजा बताया।

  • संयुक्त राष्ट्र:
    कई बार सीजफायर की कोशिशें हुईं, लेकिन जमीनी हालात में कोई खास बदलाव नहीं हुआ।

🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया: ईरान-इज़राइल संघर्ष पर भारत का रुख

ईरान और इज़राइल के बीच 2024-2025 में जो तनाव चरम पर पहुंचा, उस पर भारत ने संतुलित, राजनयिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण अपनाया है। भारत की प्रतिक्रिया सीधे किसी पक्ष के साथ खड़े होने की नहीं रही, बल्कि शांति की अपील, नागरिकों की सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने वाली रही है।

क्या तीसरा विश्व युद्ध निकट है?

कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर ईरान और इज़राइल के बीच सीधे युद्ध की स्थिति बनी रही, और इसमें अमेरिका, सऊदी अरब या रूस जैसे देश सक्रिय हो गए, तो यह संघर्ष वैश्विक युद्ध का रूप ले सकता है। खासतौर पर जब यह मामला परमाणु हथियारों और तेल आपूर्ति पर असर डालने लगे।

ईरान और इज़राइल का यह संघर्ष केवल दो देशों का नहीं, बल्कि विचारधाराओं, धार्मिक समूहों, वैश्विक रणनीति और ऊर्जा सुरक्षा का संघर्ष बन गया है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी सुरक्षा और अस्तित्व की बात करते हैं, लेकिन इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। दुनिया की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या कूटनीति इस संकट को रोक पाएगी, या फिर यह टकराव इतिहास का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक संकट बन जाएगा।

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Why Iran Attacked a US Military Base: Full Report with Historical Background

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