आलू संग चौलाई – देसी Popeye की थाली!

चौलाई: भारत की पारंपरिक थाली में कई ऐसी सब्ज़ियाँ शामिल हैं जो न सिर्फ स्वादिष्ट होती हैं बल्कि सेहत का खज़ाना भी होती हैं। ऐसी ही एक खास और कम प्रसिद्ध लेकिन बेहद पोषक सब्ज़ी है – चौलाई की सब्ज़ी

चौलाई
                              चौलाई

 

चौलाई का इतिहास और महत्व:

चौलाई (जिसे अंग्रेज़ी में Amaranth कहा जाता है) एक बहुत पुरानी फसल है और इसका इतिहास लगभग 8000 साल पुराना माना जाता है। यह मुख्य रूप से दक्षिण और मध्य अमेरिका (विशेष रूप से मेक्सिको, पेरू और ग्वाटेमाला) में सबसे पहले उगाई गई थी।

इसे भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है – जैसे कि रामदाना, राजगीरा, लाली साग, चौलई, मरसा आदि। चौलाई की खेती भारत में हजारों सालों से की जा रही है। यह खासकर आदिवासी क्षेत्रों और ग्रामीण भारत में बहुतायत से उगाई जाती थी और आज भी उगाई जाती है।

वैदिक काल में भी चौलाई का उल्लेख मिलता है। यह न सिर्फ एक सब्ज़ी के रूप में बल्कि व्रत-उपवास में इसका प्रयोग अनाज की जगह भी किया जाता था, जैसे कि राजगीरा के लड्डू। इसे “गरीबों का पालक” भी कहा जाता है क्योंकि इसमें पालक से कहीं ज़्यादा पोषक तत्व होते हैं लेकिन ये सस्ती और सुलभ होती है।

चौलाई आयरन, कैल्शियम, विटामिन A और C से भरपूर होती है और खून बढ़ाने, हड्डियों को मजबूत करने तथा पेट साफ रखने में बहुत फायदेमंद मानी जाती है।

🌾 ऐतिहासिक तथ्य:

  • माया, एज़टेक और इंका सभ्यताओं में चौलाई एक मुख्य आहार थी।

  • एज़टेक लोग इसके बीजों को पीसकर उसका आटा बनाते थे और इसे धार्मिक अनुष्ठानों में भी इस्तेमाल करते थे।

  • इसको “अमर अनाज” (Grain of Immortality) कहा जाता था क्योंकि इसे बहुत पौष्टिक और जीवनदायी माना जाता था।

चौलाई की सब्ज़ी बनाने की विधि:

सामग्री (4 लोगों के लिए):

  • चौलाई के पत्ते – 500 ग्राम (साफ किए हुए और कटे हुए)

  • आलू – 2 मध्यम आकार के (क्यूब्स में कटे हुए)

  • सरसों का तेल – 2 बड़े चम्मच

  • जीरा – 1 छोटा चम्मच

  • हींग – एक चुटकी

  • हरी मिर्च – 2 (लंबाई में कटी हुई)

  • लहसुन – 5-6 कलियाँ (कुटी हुई)

  • अदरक – 1 इंच टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)

  • हल्दी – 1/2 छोटा चम्मच

  • नमक – स्वादानुसार

  • लाल मिर्च पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच

  • नींबू का रस – 1 छोटा चम्मच (वैकल्पिक)

विधि:

1. पत्तियों की सफाई:

सबसे पहले चौलाई के पत्तों को अच्छी तरह धोकर बारीक काट लें। ध्यान रहे कि डंठल बहुत मोटे न हों। अगर हों, तो उन्हें हटा दें।

2. उबालना (वैकल्पिक):

यदि आपको गैस की समस्या होती है तो चौलाई को थोड़े पानी में हल्का उबाल लें और पानी छान दें। इससे उसका कड़वापन भी कम होता है।

3. तड़का बनाना:

एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम करें। तेल जब अच्छी तरह गरम हो जाए तो उसमें जीरा और हींग डालें। फिर हरी मिर्च, अदरक और लहसुन डालकर भूनें जब तक सुगंध न आने लगे।

4. आलू डालें:

अब कटे हुए आलू डालें और हल्दी, नमक, लाल मिर्च डालकर अच्छी तरह मिलाएं। ढककर 5-7 मिनट तक धीमी आँच पर पकने दें ताकि आलू थोड़े नरम हो जाएँ।

5. चौलाई मिलाएं:

अब कटी हुई चौलाई डालें और अच्छी तरह मिलाएं। ढककर 8-10 मिनट तक पकने दें जब तक चौलाई गल न जाए। बीच-बीच में चलाते रहें ताकि सब्ज़ी जल न जाए।

6. स्वाद बढ़ाएं:

जब सब्ज़ी तैयार हो जाए तो अंत में नींबू का रस डालें और हल्के हाथ से मिला दें।

परोसने का तरीका:

इसकी सब्ज़ी को आप गरमागरम रोटी, पराठा या बाजरे की रोटी के साथ परोस सकते हैं। इसे दाल और चावल के साथ भी खाया जा सकता है। अगर आप हेल्दी डाइट पर हैं, तो इसे ऐसे ही बाउल में डालकर भी खा सकते हैं।

स्वास्थ्य लाभ:

  1. हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मददगार: आयरन की प्रचुरता से खून की कमी दूर होती है।

  2. हड्डियों के लिए फायदेमंद: कैल्शियम की मात्रा ज्यादा होती है।

  3. डायबिटीज वालों के लिए उपयोगी: ब्लड शुगर कंट्रोल में सहायक है।

  4. वजन घटाने में मददगार: फाइबर से भरपूर, पेट भरा रहता है।

  5. त्वचा और बालों के लिए बेहतरीन: विटामिन A और C से युक्त।

इसकी सब्ज़ी एक ऐसी पारंपरिक रेसिपी है जिसे आज की आधुनिक जीवनशैली में फिर से अपनाने की ज़रूरत है। यह स्वाद, सेहत और परंपरा – तीनों का मेल है। यदि आप कुछ सस्ता, टिकाऊ और पौष्टिक खाना चाहते हैं तो इस “चौलाई की चौकस सब्ज़ी” को ज़रूर आज़माएँ।

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