आलू ठेठवानी– उत्तराखंड की रसोई में आपको कई अनोखे स्वादों की सौगात मिलती है, जो स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होती हैं। इन्हीं में से एक खास रेसिपी है “आलू की ठेठवानी”। यह कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में बेहद पसंद की जाती है, खासकर ठंड के मौसम में। इस व्यंजन का नाम जितना देसी है, उतना ही इसका स्वाद और कहानी भी।

📜 इतिहास और नाम के पीछे की कहानी:
“ठेठवानी” शब्द उत्तराखंड की बोली से आया है। इसमें “ठेठ” मतलब गाढ़ा या गाढ़ापन और “वानी” का अर्थ है सब्ज़ी या तरकारी। यानी “ठेठवानी” का मतलब हुआ एक ऐसी गाढ़ी सब्जी जिसमें मसाले और स्वाद ठेठ पहाड़ी अंदाज में हों।
कहा जाता है कि यह डिश उस समय बनाई जाती थी जब ज्यादा सब्ज़ियां घर में नहीं होती थीं और आलू ही प्रमुख सामग्री के रूप में उपलब्ध रहता था। पहाड़ के मौसम में जब बाहर जाना मुश्किल होता था, लोग घर में रखे आलू और मसालों से इस गाढ़ी सब्ज़ी को बनाते थे। धीरे-धीरे यह व्यंजन त्यौहारों और खास मौकों पर भी बनने लगा।
🥔 आलू की ठेठवानी की रेसिपी:
🧂 आलू ठेठवानी के लिए आवश्यक सामग्री:
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उबले हुए आलू – 4 मध्यम आकार के
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सरसों के दाने – 1 चम्मच
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जीरा – 1 चम्मच
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हींग – एक चुटकी
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हल्दी पाउडर – 1/2 चम्मच
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धनिया पाउडर – 1 चम्मच
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लाल मिर्च पाउडर – 1/2 चम्मच
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काली मिर्च – 1/2 चम्मच (दरदरी कुटी हुई)
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अदरक – 1 चम्मच (कद्दूकस किया हुआ)
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लहसुन – 3-4 कलियां (कुटी हुई)
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छांछ (मट्ठा) या दही – 1 कप (फेंटा हुआ)
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पानी – आवश्यकता अनुसार
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सरसों का तेल – 2-3 चम्मच
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नमक – स्वादानुसार
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हरा धनिया – गार्निशिंग के लिए
👨🍳 आलू ठेठवानी बनाने की विधि:
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आलू तैयार करें:
सबसे पहले उबले हुए आलुओं को हाथ से मोटा-मोटा तोड़ लें। इन्हें बिल्कुल चिकना नहीं करना है, हल्के मोटे टुकड़े अच्छे लगते हैं। -
तड़का लगाएं:
कढ़ाई में सरसों का तेल गरम करें। जब तेल से धुआं उठने लगे तो गैस धीमी करें और उसमें सरसों के दाने, जीरा और हींग डालें। जैसे ही ये तड़कने लगे, इसमें अदरक और लहसुन डालकर हल्का भून लें। -
मसाले डालें:
अब इसमें हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च और काली मिर्च डालें। इन मसालों को थोड़ा भूनें ताकि खुशबू अच्छी आ जाए। -
आलू डालें:
अब टूटे हुए आलू कढ़ाई में डालें और मसालों के साथ अच्छे से मिला लें। 2-3 मिनट तक इसे भूनें ताकि आलू में मसाले अच्छे से लग जाएं। -
दही या छांछ डालें:
अब फेंटा हुआ दही या मट्ठा डालें। ध्यान रखें कि दही फट न जाए, इसलिए लगातार चलाते रहें और आंच मध्यम रखें। अगर आप ज्यादा गाढ़ी ठेठवानी चाहते हैं, तो पानी कम डालें। अगर पतली gravy पसंद है तो थोड़ा और पानी मिला सकते हैं। -
उबालें:
अब सब्जी को ढककर 10-12 मिनट तक धीमी आंच पर पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें ताकि दही फटे नहीं और स्वाद अच्छे से मिल जाए। -
गार्निश करें:
पकने के बाद गैस बंद करें और ऊपर से हरा धनिया छिड़क दें।
🍛 कैसे परोसें:
आलू ठेठवानी को गरमा गरम मंडुए की रोटी, चावल, या झंगोरा के साथ परोसा जाता है। इसे खासतौर पर दाल-भात के साथ सर्व किया जाता है। आलू ठेठवानी की गाढ़ी ग्रेवी ठंडी में शरीर को गर्माहट देती है और इसका तीखा-खट्टा स्वाद भूख को दोगुना कर देता है।
❤️ कुछ देसी टिप्स:
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सरसों का तेल ही इस रेसिपी का असली स्वाद है। रिफाइंड तेल न इस्तेमाल करें।
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मट्ठा न हो तो दही भी चलेगा, लेकिन फेंटकर ही डालें।
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अगर मसालेदार पसंद है तो हरी मिर्च का तड़का भी डाला जा सकता है।
आलू की ठेठवानी सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि उत्तराखंड की पहाड़ियों की मिट्टी से जुड़ा स्वाद है। यह रेसिपी हमें सिखाती है कि कम संसाधनों में भी कैसे बेहतरीन स्वाद तैयार किया जा सकता है। जब अगली बार आप कुछ अलग और देसी खाना चाहें, तो एक बार इस पारंपरिक व्यंजन को जरूर आज़माएं। उत्तराखंडी भोजन का असली स्वाद आपको इस गाढ़े आलू के जादू में जरूर मिलेगा।
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