आलूबुखारे का जाम: आलूबुखारा यानी प्लम, वो फल है जो दिखने में छोटा होता है लेकिन स्वाद में ज़बरदस्त! और जब इससे जाम बनता है, तो हर सुबह की रोटी भी मुस्कुराने लगती है। आज हम जानेंगे आलूबुखारे के जाम की विधि, उसका इतिहास।
🕰️ इतिहास और कहानी
आलूबुखारे की खेती हजारों सालों से हो रही है। इसका मूल स्थान चीन और यूरोप माना जाता है। चीन में 2000 ईसा पूर्व से यह फल खाया जा रहा है। रोमन साम्राज्य के दौरान भी प्लम का खूब इस्तेमाल होता था।
जाम (Jam) बनाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इतिहास में माना जाता है कि जाम बनाने की शुरुआत फ्रांस में हुई, जब वहां की रानी को ताज़े फल नहीं मिल पाए और फल खराब होने लगे। तब रसोइयों ने उन्हें चीनी में पका कर स्टोर किया – और यूं जाम का जन्म हुआ!
भारत में कहानी कुछ यूं है:
ब्रिटिश काल में जब अंग्रेज भारत आए, तो वे अपने पसंदीदा फल और व्यंजन भी लाए। उन्हीं में से एक था “प्लम जैम”। इसे उन्होंने हिमाचल और कश्मीर के पहाड़ों में उगने वाले देशी आलूबुखारे से बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे यह स्वाद भारत के घरों में अपनी जगह बनाने लगा।
🧂 आलूबुखारे का जाम के लिए सामग्री (Ingredients):
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पके हुए आलूबुखारे – 1 किलो
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चीनी – 700 से 800 ग्राम (स्वादानुसार)
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नींबू का रस – 2 बड़े चम्मच
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दालचीनी (वैकल्पिक) – 1 छोटी स्टिक
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पानी – 1/4 कप (सिर्फ शुरू में पकाने के लिए)
👩🍳 विधि (बनाने की प्रक्रिया):
1. आलूबुखारे की तैयारी:
आलूबुखारे को अच्छे से धो लें। बीज निकाल लें और टुकड़ों में काट लें। अगर छिलके पतले हैं तो उन्हें भी रहने दें क्योंकि इनमें ही नैचुरल पेक्टिन होता है जो जाम को गाढ़ा करने में मदद करता है।
2. पकाना शुरू करें:
एक भारी तले वाले बर्तन में कटे हुए आलूबुखारे और थोड़ा सा पानी डालें। मध्यम आंच पर पकाना शुरू करें। जब फल नरम हो जाए, तब उसे चम्मच या मैशर से मैश कर लें।
3. चीनी और नींबू डालें:
अब इसमें चीनी और नींबू का रस डालें। नींबू का रस न केवल स्वाद को संतुलित करता है बल्कि जाम को लंबे समय तक टिकाने में मदद करता है। अगर आप चाहें तो हल्की दालचीनी की स्टिक डाल सकते हैं जिससे खुशबू और स्वाद बढ़ेगा।
4. लगातार चलाते रहें:
इस मिश्रण को धीमी आंच पर पकाते रहें। इसे जलने से बचाने के लिए लगातार चमचे से चलाते रहें। धीरे-धीरे यह मिश्रण गाढ़ा होने लगेगा और जाम जैसा रूप लेने लगेगा।
5. गाढ़ापन चेक करें:
जाम कितना गाढ़ा हुआ है, यह जांचने के लिए एक ठाली में थोड़ा सा मिश्रण डालें और ठंडा होने दें। अगर उसमें लकीर खींचने पर वो अपनी जगह बना रहता है और बहता नहीं, तो समझिए आपका जाम तैयार है।
6. स्टरलाइजेशन और स्टोरेज:
जाम को बंद बोतल या कांच के जार में भरने से पहले जार को गर्म पानी में उबालकर स्टरलाइज़ करें। फिर जाम को गरम-गरम जार में डालें और ढक्कन कसकर बंद कर दें। जब ठंडा हो जाए, तब फ्रिज में रखें। यह 6 महीने तक खराब नहीं होता।
🧾 कुछ काम की बातें (Tips & Tricks):
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अगर आपके पास पेक्टिन पाउडर है, तो एक चुटकी डालने से जाम जल्दी सेट हो जाता है।
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कम चीनी वाला जाम जल्दी खराब हो सकता है, इसलिए स्टोर करने के लिए हमेशा स्वच्छ बर्तन और चम्मच का इस्तेमाल करें।
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बच्चों के लिए हल्का मीठा बनाना हो तो चीनी कम करें लेकिन फिर फ्रिज में ही रखें।
🌸 स्वाद के साथ स्वास्थ्य भी:
आलूबुखारा एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और विटामिन C से भरपूर होता है। इससे बना जाम स्वाद तो देता ही है, साथ ही शरीर को भी ताकत देता है। सुबह की रोटी, पराठा या टोस्ट पर इसका स्वाद लाजवाब लगता है।
🪔 एक किस्सा:
कहते हैं कि एक बार हिमाचल की एक दादी माँ ने अपने पोते को स्कूल में टिफिन में प्लम का जाम रोटी के साथ दिया। वो बच्चा इतना खुश हुआ कि स्कूल की सभी क्लासेस में सिर्फ यही बता रहा था – “मेरी दादी का जाम सबसे बेस्ट है!”
उसकी खुशी देख कर गाँव की बाकी महिलाएं भी आलूबुखारे से जाम बनाना सीख गईं। बाद में उस दादी माँ के जाम को शहर की दुकानों में भी बेचा जाने लगा।
आलूबुखारे का जाम सिर्फ एक मीठा व्यंजन नहीं, बल्कि एक मीठी याद बन सकता है। इसके पीछे छिपा इतिहास, प्यार और स्वाद इसे खास बनाता है। अगली बार जब आलूबुखारे मिलें, तो उनसे जाम ज़रूर बनाएं – और घर में खुशबू और स्वाद दोनों फैलाएं।
“एक जार जाम में बंद होती है कई कहानियाँ, और हर चम्मच में होता है प्यार भरा स्वाद!” 🍯💜
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