अलीगढ़ के मशहूर आलू बरुले: स्वाद, परंपरा और इतिहास का संगम

आलू बरुले: उत्तर भारत के प्रसिद्ध शहर अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश) की एक विशेष व्यंजन है – आलू बरुले। यह व्यंजन अपने चटपटे स्वाद, मसालों की गहराई और पारंपरिक पकाने के तरीके के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर इसे पूड़ी या पराठे के साथ परोसा जाता है और यह शहर की पहचान बन चुकी है।

आलू बरुले
आलू बरुले

इतिहास: कहां से आए आलू बरुले?

‘बरुले’ शब्द का प्रयोग उत्तर भारत के ग्रामीण अंचलों में एक खास तरह की तरी वाली सब्जी के लिए किया जाता है, जिसमें बेसन या मसालों से गाढ़ी ग्रेवी बनाई जाती है और उसमें उबले हुए आलू को डाला जाता है।

अलीगढ़ के बरुले की विशेषता यह है कि इसमें रायता, सोंठ (सूखी अदरक), हींग और खटाई जैसे पारंपरिक उत्तर भारतीय मसालों का संयोजन मिलता है। माना जाता है कि यह डिश मुगल काल के दौरान विकसित हुई जब शाही बावर्चियों ने देसी मसालों से नए प्रयोग किए और स्थानीय सब्जियों को खास अंदाज़ में पकाया। अलीगढ़ के बाज़ारों और नाई-ब्राह्मण की शादियों में यह व्यंजन अनिवार्य रूप से बनता है।

विशेषता क्या है आलू बरुले की?

  • इसमें हींग, सोंठ, अमचूर और भुना मसाला का अद्भुत तालमेल होता है।

  • यह स्वाद में खट्टी-चटपटी होती है, जो पेट को हल्की और ज़ुबान को तीखी लगती है।

  • इसे तवे पर पकाया जाता है और कभी-कभी बग़ैर टमाटर-प्याज़ के भी बनाया जाता है, जिससे यह सात्त्विक भोजनों की श्रेणी में भी आ सकती है।

  • यह पूरी तरह शुद्ध शाकाहारी व्यंजन है।

आलू बरुले बनाने की पारंपरिक विधि (Authentic Aligarh Style)

सामग्री (4 लोगों के लिए):

सामग्री मात्रा
उबले हुए आलू 5-6 मध्यम आकार के
हींग 1 चुटकी
जीरा 1 छोटा चम्मच
सौंफ 1/2 छोटा चम्मच
अदरक पाउडर (सोंठ) 1/2 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर 1 छोटा चम्मच
हल्दी पाउडर 1/2 छोटा चम्मच
धनिया पाउडर 1.5 छोटा चम्मच
अमचूर पाउडर 1 छोटा चम्मच
गरम मसाला 1/2 छोटा चम्मच
नमक स्वाद अनुसार
सरसों का तेल 2 बड़े चम्मच
पानी 1.5 कप (या जरूरत अनुसार)

बनाने की विधि:

  1. आलू तैयार करें:
    उबले हुए आलू को हाथ से हल्का-सा तोड़ लें या मसल लें। ज़्यादा बारीक ना करें, क्यूंकि बरुले में हल्के टुकड़े ज़रूरी होते हैं।

  2. तड़का लगाएं:
    एक लोहे की कढ़ाई या मोटे तले की कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें। जब तेल थोड़ा धुआं छोड़ने लगे, तब गैस धीमी करें।

  3. हींग और मसाले भूनें:
    अब इसमें हींग, जीरा और सौंफ डालें। जब ये चटकने लगे, तो हल्दी, लाल मिर्च, धनिया पाउडर, सोंठ और थोड़ा पानी डालकर मसालों को भून लें।

  4. आलू डालें:
    अब इन मसालों में तोड़े हुए आलू डालें और अच्छी तरह मिलाएं ताकि मसाले आलू में समा जाएं।

  5. पानी डालें:
    जरूरत के अनुसार पानी डालें और सब्जी को मध्यम आंच पर 8-10 मिनट तक पकने दें। बीच-बीच में चलाते रहें ताकि सब्जी नीचे ना लगे।

  6. खटास और खुशबू:
    अंत में अमचूर और गरम मसाला डालें। 2 मिनट और पकाएं।

  7. सर्व करें:
    इसे गर्मागरम पूड़ी, पराठा या कचौड़ी के साथ परोसें।

अलीगढ़ी स्वाद का राज:

  • लोहे की कढ़ाई में पकाने से इसका रंग गहरा और स्वाद गाढ़ा होता है।

  • सौंफ और सोंठ का संयोजन इसे पेट के लिए हल्का बनाता है।

  • अमचूर या खटाई इसकी सबसे खास बात है, जो इसे बाकी आलू की सब्जियों से अलग बनाती है।

कहां खाएं असली बरुले?

अगर आप अलीगढ़ जाएं, तो तामसी रोड, बनिया टोला या रेलवे रोड के पुराने ढाबों में यह स्वाद मिल सकता है। शादी-विवाह या धार्मिक आयोजनों में भी यह खास तौर पर बनवाई जाती है।

आलू बरुले केवल एक व्यंजन नहीं, बल्कि अलीगढ़ की संस्कृति और स्वाद का प्रतीक है। यह हर उस इंसान को पसंद आएगी जो मसालेदार लेकिन पारंपरिक स्वाद की खोज में है। आज भी यह डिश लोगों को उनके बचपन की याद दिलाती है, जब दादी या माँ लोहे की कढ़ाई में इसे पकाया करती थीं।

ऐसी और भी रेसिपीज़ के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।

प्याज़ की सब्ज़ी: एक साधारण स्वाद जो हर भारतीय रसोई में खास है

Leave a Comment

Exit mobile version